विपक्ष के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा ने कहा-अगर राष्ट्रपति चुना गया तो संविधान के प्रति जवाबदेह रहूंगा

राष्ट्रपति पद के चुनाव में विपक्ष के संयुक्त उम्मीदवार यशवंत सिन्हा ने बृहस्पतिवार को कहा कि अगर वह निर्वाचित होते है

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राष्ट्रपति पद के चुनाव में विपक्ष के संयुक्त उम्मीदवार यशवंत सिन्हा ने बृहस्पतिवार को कहा कि अगर वह निर्वाचित होते है तो वे सिर्फ संविधान के प्रति जवाबदेह रहेंगे और सरकार को ऐसा कुछ भी करने से रोकेंगे जो लोकतंत्र के सिद्धांतों का उल्लंघन करता हो, जैसे राज्य में चुनी हुई सरकार को गिराना। राष्ट्रपति चुनाव में अपने लिए समर्थन जुटाने के लिए लखनऊ पहुंचे सिन्हा ने कहा, ‘‘इस बार का राष्टपति का चुनाव कुछ असाधारण परिस्थितियों में हो रहा है। असाधारण इसलिए हैं कि हम देख रहे हैं कि हमारा पूरा समाज अशांत हो गया है। ऐसा लगता हैं कि वह दो-तीन भागों में बंट गया है।’’

लखनऊ में समाजवादी पार्टी (सपा) कार्यालय में गुरूवार को पत्रकार वार्ता के दौरान सिन्हा ने कहा, ” मैं राष्ट्रपति भवन में संविधान के संरक्षक के तौर पर कार्य करुंगा। यदि मेरे संज्ञान में यह आता है कि भारत सरकार ऐसा कुछ कर रही है जो लोकतंत्र का उल्लंघन है, जैसे कई राज्यों में चुनी हुई सरकारों को गिराने में देखा गया है, तब यह राष्ट्रपति की जिम्मेदारी होगी कि वह भारत सरकार को ऐसा करने से रोके। 

पत्रकारों से बातचीत के दौरान सपा के अध्यक्ष अखिलेश यादव और राष्ट्रीय लोकदल (आरएलडी) के राष्ट्रीय अध्यक्ष जयंत चौधरी भी उनके साथ थे। सिन्हा ने कहा, ”अगर मुझे देश का राष्ट्रपति चुन लिया गया तो सबसे पहले मैं संविधान के प्रति जवाबदेह रहूंगा, केवल संविधान के प्रति। इसका यह मतलब नहीं हुआ कि जो भी प्रधानमंत्री हैं उसके साथ टकराव के रास्ते पर चल पड़ें। प्रधानमत्री के साथ बैठकर बातचीत करके एक रास्ता निकाला जा सकता हैं, जैसे कई बार पूर्व में हुआ है।”

उन्होंने कहा, ‘‘समाज का जो सांप्रदायिक ढंग से बंटवारा हो रहा है, उसे रोकने का प्रयास करूंगा। इसके अलावा मैं प्रेस की आजादी तथा अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की रक्षा संविधान के दायरे में करूंगा। प्रेस का क्या हाल है, न आपसे छिपा हैं न हमसे छिपा हैं। इस दौरान उन्होंने पत्रकार जुबैर की गिरफ्तारी की निंदा की। उन्होंने कहा कि देश को खामोश नहीं, बल्कि अपने विवेक का इस्तेमाल करने वाला राष्ट्रपति चाहिए। उन्होंने कहा, ‘‘एक अशांत और असाधारण परिस्थिति हमारे देश में पैदा हो गई हैं। इसका नतीजा यह हुआ है कि संविधान की मर्यादा खत्म हो गई हैं। संविधान के मूल्यों की रक्षा आज नहीं हो रही हैं बल्कि सरकारी पार्टी के द्वारा और सरकार के द्वारा उन मूल्यों की अवहेलना की जा रही हैं। अगर ऐसा चलता रहा तो एक दिन हम पायेंगे कि संविधान नष्ट हो गया है और संविधान की धाराओं का कोई महत्व नहीं रहा।’’

उन्होंने कहा, ‘‘अनुच्छेद 370 का मामला वर्ष 2019 से उच्च्तम न्यायालय में है, संशोधित नागरिकता कानून अदालत में है, इन सभी मामलों की सुनवाई कब होगी पता नहीं है। कुछ मामले बहुत त्वरित ढंग से उच्चतम न्यायालय सुन लेता है, लेकिन अनेक महत्वपूर्ण मामले हैं जिसमें अप्रत्याशित विलंब होता हैं।’’ उन्होंने कहा कि चुनाव के बाद जो भी व्यक्ति राष्ट्रपति भवन में जाएगा उसको अपने कर्तव्यों का निर्वहन करना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि संविधान में राष्ट्रपति के जो भी कर्तव्य हैं उसका निर्वहन करना पड़ेगा।

सिन्हा ने राष्ट्रपति पद के लिए राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू से बिना उनका नाम लिए सवाल किया कि देश की स्थिति के बारे में उनके क्या विचार हैं? देश की आर्थिक स्थिति के बारे में क्या विचार है? देश की विदेश नीति के बारे में उनके क्या विचार हैं? समाज में जो हो रहा हैं उसके बारे में उनके क्या उदगार हैं? उन्होंने कहा कि अगर वह (मुर्मू) पत्रकारों से मिलती हैं तो उनसे यह सवाल आप लोगों को पूछना है।

उन्होंने कहा, ‘‘मैने राष्ट्रपति पद पर चुने जाने के बाद, करने वाली जो बात बोली हैं क्या वह भी ऐसा करने को तैयार हैं? या वह एक खामोश राष्ट्रपति बन कर रह जाएगी। भारत को खामोश राष्ट्रपति नहीं चाहिए, बल्कि विवेक का इस्तेमाल करने वाला राष्ट्रपति चाहिए।’’ जनजाति समुदाय से पहली बार राष्ट्रपति बनने के सवाल पर सिन्हा ने कहा कि एक व्यक्ति के उत्थान से पूरे समाज का उत्थान नहीं होता। First Updated : Friday, 08 July 2022