अचानक इस गांव में गंजे हो रहे लोग, स्वास्थ्य विभाग में मचा हडकंप, सर्वे जारी
महाराष्ट्र के बुलढाणा जिले के कई गांवों के लोगों ने अचानक बाल झड़ने और कुछ ही दिनों में गंजापन होने की शिकायत की है. एकसाथ निर्माण हुई इस समस्या से यह प्रदूषित पानी के कारण होने की बात सामने आई.
भारत में खूबसूरती को अक्सर त्वचा और बालों से जोड़ा जाता है. अगर हमारे बाल झड़ने लगें तो हम परेशान हो जाते हैं, और अगर हम अचानक गंजे हो जाएं, तो यह बहुत डरावना और दुखद हो सकता है. कुछ ऐसा ही महाराष्ट्र के बुलढाणा जिले में हो रहा है. यहां के लोग अचानक बाल झड़ने की समस्या का सामना कर रहे हैं, और यह कोई वायरस नहीं, बल्कि एक अजीब बीमारी है, जिसने लोगों को चौंका दिया है.
बुलढाणा जिले के कई गांवों में लोग एक साथ बाल झड़ने और गंजेपन का सामना कर रहे हैं. पहले यह ध्यान में नहीं आया, लेकिन बाद में जब एक साथ कई लोग इस समस्या से जूझने लगे, तो यह एक बड़ी समस्या बन गई. इस बीमारी के बारे में शुरुआती जांच से यह सामने आया कि यह प्रदूषित पानी के कारण हो सकता है. इसके बाद अधिकारियों ने पानी के स्रोतों की जांच शुरू कर दी है.
सिर में खुजली, बाल झड़ना और गंजापन
शेगांव की स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. दीपाली बहेकर ने बताया कि जब यह मामला सामने आया, तो स्वास्थ्य विभाग की टीम ने गांवों में सर्वेक्षण शुरू किया और प्रभावित लोगों का इलाज शुरू कर दिया. शेगांव तालुका के बोडगांव, कलावड, और हिंगाना गांवों में कई लोग इस समस्या से पीड़ित हैं. इसमें पहले सिर में खुजली, फिर बाल झड़ने की समस्या और तीसरे दिन गंजापन हो रहा है. इस कारण गांवों में डर का माहौल बन गया है.
30 से अधिक लोग प्रभावित
अधिकारियों ने बताया कि शेगांव तालुका के कलवाड़, बोडगांव और हिंगना गांवों के 30 से ज्यादा लोग बाल झड़ने और गंजेपन से परेशान हैं. स्वास्थ्य विभाग ने लक्षण के आधार पर मरीजों का इलाज शुरू कर दिया है और त्वचा रोग विशेषज्ञों की सलाह ली जा रही है. इसके साथ ही पानी के नमूने भी जांच के लिए भेजे गए हैं, ताकि पानी में किसी तरह का संदूषण तो नहीं है, यह पता लगाया जा सके.
नागरिकों की मांग
कई नागरिक इस समस्या का इलाज निजी अस्पतालों से करा रहे हैं. डॉक्टरों का मानना है कि यह शैम्पू के कारण हो सकता है, लेकिन यह सवाल उठ रहा है कि जिन लोगों ने कभी शैम्पू का इस्तेमाल नहीं किया, उनके भी बाल झड़ रहे हैं. अभी तक स्वास्थ्य विभाग ने इस पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया है, इसलिए अब गांववाले उपचार शिविर की मांग कर रहे हैं.