प्रेमिका की हत्या के आरोप में दोषी पाया गया पुलिसकर्मी, 2017 में राष्ट्रपति पदक से हो चुका है सम्मानित
तीन लोगों को हत्या का दोषी मानते हुए जज केजी पालदेवर ने कहा, "यह आश्चर्यजनक है कि अभय कुरुंदकर को राष्ट्रपति पदक से सम्मानित कैसे किया गया, जबकि वह अप्रैल 2016 में अश्विनी बिद्रे हत्या के मामले में आरोपी है. इसलिए, यह सवाल उठता है कि पुलिस विभाग की समिति ने इस बात की जानकारी होने के बावजूद कि वह एक हत्या के मामले में आरोपी था, पुरस्कार के लिए उसके नाम की सिफारिश कैसे की?

सहायक पुलिस निरीक्षक अश्विनी बिद्रे के बिना किसी सुराग के गायब हो जाने के लगभग एक दशक बाद एक सत्र अदालत ने उनके सहकर्मी अभय कुरुंदकर को हत्या का दोषी पाया है. 37 वर्षीय बिद्रे इंस्पेक्टर अभय कुरुंदकर के साथ रिलेशनशिप में थी, लेकिन एक विवाद ने उनकी जान ले ली. अभियोक्ताओं का कहना है कि अभय कुरुंदकर ने उसकी हत्या कर दी, शव के टुकड़े कर दिए, अवशेषों को एक ट्रंक और एक बोरी में भर दिया और उन्हें वसई क्रीक में फेंक दिया. उसका शव कभी नहीं मिला.
अदालत ने पुलिस इंस्पेक्टर के ड्राइवर कुंदन भंडारी और उसके करीबी सहयोगी महेश फलनीकर को भी सबूत मिटाने में मदद करने का दोषी पाया. रिपोर्ट के अनुसार फैसला सुनाए जाने के समय फलनीकर अदालत में बेहोश हो गया.
राष्ट्रपति पदक से किया गया सम्मानित
हत्या के एक मामले में संदिग्ध होने के बावजूद कुरुंदकर को 2017 में वीरता के लिए राष्ट्रपति पदक से सम्मानित किया गया. एक ऐसा कदम जिसे न्यायाधीश ने 'आश्चर्यजनक' और जांच के योग्य बताया. अदालत ने खुले तौर पर सवाल उठाया कि इस तरह के सम्मान को कैसे मंजूरी दी गई, जिससे सिस्टम में अंधे धब्बों इससे भी बदतर, संरक्षण का संकेत मिलता है.
दोषी अधिकारियों के खिलाफ जांच जरूरी
तीन लोगों को हत्या का दोषी मानते हुए जज केजी पालदेवर ने कहा, "यह आश्चर्यजनक है कि अभय कुरुंदकर को राष्ट्रपति पदक से सम्मानित कैसे किया गया, जबकि वह अप्रैल 2016 में अश्विनी बिद्रे हत्या के मामले में आरोपी है. इसलिए, यह सवाल उठता है कि पुलिस विभाग की समिति ने इस बात की जानकारी होने के बावजूद कि वह एक हत्या के मामले में आरोपी था, पुरस्कार के लिए उसके नाम की सिफारिश कैसे की. दोषी अधिकारियों के खिलाफ जांच जरूरी है.
विशेष सरकारी वकील प्रदीप घरात ने तर्क दिया कि कुरुंदकर ने हत्या के समय खुद को काम पर रखने का दिखावा करने के लिए आधिकारिक गश्ती रिकॉर्ड में भी हेराफेरी की. लेकिन जीपीएस डेटा और गूगल मैप्स लोकेशन हिस्ट्री ने एक अलग कहानी बताई, जिससे पता चला कि वह ठीक उसी जगह पर था, जहां बिद्रे के शव को फेंका गया था.
कुरुंदकर को नहीं कोई पश्चाताप
अदालत ने बिना किसी संकोच के मामले को 'दुर्लभतम' श्रेणी में रखा और हत्या का मामला दर्ज करने में एक साल की देरी की ओर इशारा किया, जो कथित तौर पर राजनीतिक दबाव के कारण हुआ. जज केजी पालदेवर ने कहा कि बिदरे की बेटी और पिता ने सबसे भारी बोझ उठाया और सजा सुनाए जाने से पहले उनके नुकसान के लिए मुआवजे पर विचार किया जाएगा. कुरुंदकर ने कोई पश्चाताप नहीं दिखाया. बिद्रे के अलग हुए पति ने कहा कि अदालत द्वारा उन्हें दोषी करार दिए जाने पर भी उनके चेहरे पर कोई भाव नहीं आया. मुआवजे की राशि पर बिद्रे के पिता और बेटी की सुनवाई के बाद 11 अप्रैल को सज़ा सुनाए जाने की उम्मीद है