Maharastra:' रामदास अठावले का फडणवीस पर बड़ा आरोप, मंत्रिमंडल विस्तार में आरपीआई (ए) को क्यों नजरअंदाज किया?'
महाराष्ट्र के केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले ने कैबिनेट विस्तार पर नाराजगी जताई है. उन्होंने कहा कि महायुति का हिस्सा होने के बावजूद उनकी पार्टी को मंत्रिमंडल में कोई स्थान नहीं मिला, जबकि फडणवीस ने उन्हें एक मंत्रालय देने का वादा किया था. अठावले अब सरकार से अपनी पार्टी के लिए कम से कम एक मंत्रालय की मांग कर रहे हैं. क्या इस बार आरपीआई (ए) को मिलेगा मंत्री पद? पढ़ें पूरी खबर में!
Maharastra: हाल ही में महाराष्ट्र कैबिनेट विस्तार के दौरान केंद्रीय मंत्री और रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (ए) के नेता रामदास अठावले ने अपनी नाराजगी जाहिर की है. नागपुर में हुए शपथ ग्रहण समारोह में जिन मंत्रियों ने शपथ ली, उनमें आरपीआई (ए) का कोई भी नेता शामिल नहीं था और यही वजह है कि अठावले ने सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं.
आरपीआई (ए) की अनदेखी से नाराज अठावले
रामदास अठावले ने कहा, 'महायुति का हिस्सा होने के बावजूद मुझे इस महत्वपूर्ण समारोह का निमंत्रण तक नहीं मिला.' उनका आरोप है कि रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (ए) ने महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में अच्छा प्रदर्शन किया था, लेकिन फिर भी उनके दल को कैबिनेट विस्तार में कोई प्रतिनिधित्व नहीं मिला. अठावले का यह भी कहना है कि उनकी पार्टी के नेताओं ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से इस मामले में बातचीत की थी और फडणवीस ने उन्हें कम से कम एक मंत्रालय देने का वादा किया था.
#WATCH मुंबई, महाराष्ट्र: केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले ने कहा, "महाराष्ट्र मंत्रिमंडल विस्तार में मंत्रियों का शपथ ग्रहण समारोह नागपुर में आयोजित किया जा रहा है... महायुति का हिस्सा होने के बावजूद मुझे समारोह का निमंत्रण तक नहीं मिला... रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (ए) ने विधानसभा… pic.twitter.com/pGIDxFlfUT
— ANI_HindiNews (@AHindinews) December 15, 2024
क्या मांग रहे हैं अठावले?
रामदास अठावले ने इस कैबिनेट विस्तार के बाद सरकार से स्पष्ट रूप से एक मंत्रालय की मांग की है. उनका कहना है कि अगर उनकी पार्टी को उचित प्रतिनिधित्व नहीं मिलता है, तो यह उनके लिए एक गंभीर मुद्दा होगा, क्योंकि पार्टी ने राज्य में महायुति के साथ चुनावी सहयोग किया था.
क्या कहना है सरकार का?
हालांकि, महाराष्ट्र सरकार की तरफ से अभी तक अठावले की इस मांग पर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है. लेकिन आरपीआई (ए) की इस नाराजगी के बाद राज्य में राजनीतिक हलचल तेज हो गई है. अठावले की यह बयानबाजी इस बात को और स्पष्ट करती है कि सरकार में भागीदारी के मामले में उनकी पार्टी के लिए स्थिति असंतोषजनक रही है.
राजनीतिक पृष्ठभूमि और भविष्य की दिशा
इस घटनाक्रम के बाद, अठावले के बयान से यह जाहिर होता है कि रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (ए) भविष्य में अपनी मांगों को लेकर और अधिक सक्रिय हो सकती है. अठावले का यह गुस्सा यह भी बताता है कि महायुति में सहयोग करने वाली पार्टियों के बीच संतुलन और समान प्रतिनिधित्व की आवश्यकता है, ताकि सभी को उनकी राजनीतिक स्थिति के अनुसार उचित हिस्सेदारी मिले.
राजनीतिक समीकरण पर असर
अठावले की नाराजगी से राज्य की राजनीति में हलचल मच सकती है, क्योंकि महायुति के अंदर ही असंतोष का माहौल बन सकता है. हालांकि, यह भी देखने वाली बात होगी कि सरकार इस मुद्दे को किस तरह सुलझाती है और क्या आरपीआई (ए) को इस कैबिनेट विस्तार में प्रतिनिधित्व मिलेगा या नहीं. रामदास अठावले का यह बयान इस बात को दर्शाता है कि आरपीआई (ए) को सरकार से उम्मीदें अभी भी बनी हुई हैं और अगर उनकी मांगें पूरी नहीं होतीं, तो आने वाले समय में यह विवाद और बढ़ सकता है.