फर्श बना बिस्तर, कंधे बने तकिए...ओडिशा विधानसभा बना विधायकों का आशियाना, जानिए क्या है मामला
ओडिशा विधानसभा में मंगलवार को बड़ा राजनीतिक घमासान देखने को मिला, जब सदन में नारेबाजी और हंगामा करने के कारण 12 कांग्रेस विधायकों को एक हफ्ते के लिए निलंबित कर दिया गया. कांग्रेस विधायकों ने महिलाओं के खिलाफ बढ़ते अपराधों की जांच के लिए एक हाउस कमेटी की मांग को लेकर सदन में प्रदर्शन किया था.

ओडिशा विधानसभा में मंगलवार को बड़ा सियासी ड्रामा देखने को मिला, जब 12 कांग्रेस विधायकों को सदन में हंगामा करने के चलते एक हफ्ते के लिए निलंबित कर दिया गया. कांग्रेस विधायकों ने महिलाओं के खिलाफ बढ़ते अपराधों की जांच के लिए एक हाउस कमेटी की मांग को लेकर सदन के अंदर जोरदार नारेबाजी की थी. इस निलंबन के विरोध में कांग्रेस नेताओं ने मास्टर कैंटीन चौक पर धरना शुरू कर दिया है और 27 मार्च को विधानसभा का घेराव करने की घोषणा की है.
इस मुद्दे पर कांग्रेस और बीजेडी ने सत्तारूढ़ बीजेपी पर विपक्ष की आवाज दबाने और राजनीतिक प्रतिशोध लेने का आरोप लगाया. दोनों दलों का कहना है कि यह कार्रवाई कर्नाटक में कांग्रेस सरकार द्वारा 18 बीजेपी विधायकों के निलंबन के जवाब में की गई है. वहीं, बीजेपी ने इस फैसले का बचाव करते हुए इसे "अंतिम उपाय" बताया और कहा कि कांग्रेस बार-बार सदन की कार्यवाही में बाधा डाल रही थी.
12 कांग्रेस विधायक निलंबित
ओडिशा विधानसभा अध्यक्ष सुरमा पड्ही ने सदन में हंगामा करने और कार्यवाही बाधित करने के आरोप में कांग्रेस के 12 विधायकों को एक हफ्ते के लिए निलंबित कर दिया. जिन विधायकों पर कार्रवाई हुई, उनमें सागर चरण दास, मंगू खिला, सत्यजीत गोमांगो, अशोक कुमार दास, दसरथी गोमांगो और सोफिया फिरदौस शामिल हैं.
हालांकि, कांग्रेस विधायक ताराप्रसाद बहिनिपति और रमेश जेना इस कार्रवाई से बच गए क्योंकि वे पोस्ट-लंच सत्र में मौजूद नहीं थे. इससे पहले 11 मार्च को बहिनिपति को भी हंगामे के चलते सात दिनों के लिए निलंबित किया गया था.
बीजेपी पर राजनीतिक बदले का आरोप
कांग्रेस और बीजेडी ने निलंबन को लेकर बीजेपी पर हमला बोला और इसे कर्नाटक में कांग्रेस सरकार द्वारा 18 बीजेपी विधायकों के निलंबन का जवाबी हमला बताया. बीजेडी विधायक अरुण साहू ने कहा, "हम कांग्रेस के हंगामे से सहमत नहीं हैं, लेकिन बीजेपी सरकार चाहती तो विपक्ष की मांग मानकर इस विवाद को टाल सकती थी."
ओडिशा प्रदेश कांग्रेस कमेटी (ओपीसीसी) के अध्यक्ष भक्तचरण दास ने निलंबन की निंदा करते हुए कहा, "बीजेपी विपक्ष की आवाज दबाने की कोशिश कर रही है, लेकिन कांग्रेस पीछे हटने वाली नहीं है. हम 27 मार्च को विधानसभा का घेराव करेंगे."
महिलाओं के खिलाफ अपराधों पर कांग्रेस का प्रदर्शन जारी
कांग्रेस विधायक पिछले कई दिनों से राज्य में महिलाओं के खिलाफ बढ़ते अपराधों के मुद्दे को उठा रहे थे. 7 मार्च से जब बजट सत्र के दूसरे चरण की शुरुआत हुई, तभी से कांग्रेस ने हाउस कमेटी के गठन की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया था.
मंगलवार को जब कांग्रेस विधायक सदन के वेल में जाकर नारेबाजी करने लगे, तो स्पीकर ने उन्हें बार-बार चेतावनी दी. बावजूद इसके जब हंगामा नहीं रुका, तो आखिरकार 12 विधायकों के निलंबन का आदेश दिया गया.
बीजेपी ने फैसले का किया बचाव
सत्तारूढ़ बीजेपी ने कांग्रेस विधायकों के निलंबन का बचाव किया और इसे स्पीकर का "अंतिम उपाय" बताया. शहरी विकास मंत्री कृष्ण चंद्र महापात्र ने कहा, "स्पीकर ने सदन की शांति बनाए रखने के लिए कई बार विपक्ष के नेताओं से बातचीत की और सर्वदलीय बैठकें भी बुलाईं, लेकिन कांग्रेस ने बार-बार कार्यवाही में बाधा डाली. ऐसे में यह कार्रवाई जरूरी थी."
विधानसभा के बाहर प्रदर्शन जारी
निलंबन के बाद कांग्रेस विधायकों और कार्यकर्ताओं ने विधानसभा से लेकर कांग्रेस भवन तक विरोध प्रदर्शन किया. धरने पर बैठे कांग्रेस विधायक ताराप्रसाद बहिनिपति ने कहा, "हम रातभर सदन में ही बैठेंगे और अपनी मांग से पीछे नहीं हटेंगे. अगर सरकार हमें जबरदस्ती बाहर निकालना चाहती है, तो हमें पुलिस या मार्शलों का सामना करने से भी डर नहीं है."