चुरू में प्रदीप मिश्रा की कथा के दौरान धूल भरी आंधी से मची भगदड़... तीन लोग घायल, बिना इजाज़त हुआ था आयोजन
Rajasthan: धार्मिक कथा के बीच अचानक तेज आंधी आई, हजारों की भीड़ में मच गई अफरा-तफरी. कुछ लोग घायल भी हुए और अब आयोजकों पर गिर सकती है गाज़. जानिए क्या थी लापरवाही और कैसे टल गया बड़ा हादसा — पूरी खबर पढ़िए अंदर.

Rajasthan: राजस्थान के चुरू जिले में बीते दिनों एक धार्मिक आयोजन के दौरान उस वक्त हड़कंप मच गया, जब अचानक तेज हवाओं के साथ धूल भरी आंधी ने पूरे माहौल को अस्त-व्यस्त कर दिया. हजारों की भीड़ उस कथा को सुनने आई थी, लेकिन मौसम के अचानक बिगड़ने और आयोजन में सुरक्षा के पर्याप्त इंतजाम न होने के कारण वहां भगदड़ जैसी स्थिति बन गई. इस घटना में तीन लोग घायल हो गए – एक पुरुष, एक महिला और एक बच्चा.
क्या था मामला?
यह पूरा मामला चुरू जिले के रतनगढ़ का है, जहां प्रसिद्ध कथावाचक पंडित प्रदीप मिश्रा की कथा चल रही थी. कार्यक्रम में करीब 15,000 लोग शामिल हुए थे. जैसे ही धूल भरी तेज आंधी आई, मंच और पंडालों में अफरा-तफरी मच गई. लोग इधर-उधर भागने लगे, जिससे भगदड़ जैसा माहौल बन गया.
घटना में क्या नुकसान हुआ?
हालांकि गनीमत यह रही कि कोई बड़ी जनहानि नहीं हुई लेकिन तीन लोग मामूली रूप से घायल हो गए. इनमें एक पुरुष, एक बच्चा और एक महिला शामिल हैं. कार्यक्रम को बीच में ही रद्द करना पड़ा और सुरक्षा के मद्देनजर स्थल को तुरंत खाली करा लिया गया.
बिना अनुमति हुआ था आयोजन
सबसे हैरान करने वाली बात यह सामने आई है कि यह पूरा आयोजन जिला प्रशासन से बिना जरूरी अनुमति लिए किया गया था. रतनगढ़ के सर्किल अधिकारी अनिल कुमार ने बताया कि आयोजक न तो जिला कलेक्टर और न ही पुलिस अधीक्षक की ओर से दिए गए निर्देशों का पालन कर पाए. उन्होंने आयोजन की जरूरी सुरक्षा व्यवस्था भी नहीं की थी.
बिजली सप्लाई भी हुई बाधित
उप-विभागीय अधिकारी राम कुमार ने जानकारी दी कि आंधी के दौरान लाउडस्पीकर का खंभा बिजली की लाइन पर गिर गया, जिससे बिजली आपूर्ति भी बाधित हो गई. यदि वक्त रहते सावधानी न बरती जाती, तो यह हादसा बड़ा रूप ले सकता था.
क्या होगी अगली कार्रवाई?
जिला प्रशासन ने स्पष्ट कर दिया है कि आयोजकों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी. अधिकारियों ने बुधवार और गुरुवार को खुद कार्यक्रम स्थल का निरीक्षण किया था, बावजूद इसके आयोजकों ने जरूरी मानकों को नजरअंदाज किया. यह घटना न केवल आयोजकों के लिए बल्कि सभी के लिए एक चेतावनी है कि बड़े आयोजनों में सुरक्षा और प्रशासनिक मंजूरी कितनी जरूरी होती है. थोड़ी सी लापरवाही से हजारों लोगों की जान जोखिम में पड़ सकती है.