"प्रशांत किशोर का 'आमरण अनशन' और लग्जरी वैन: आंदोलन या महज शो?"

चुनावी रणनीतिकार से नेता बने प्रशांत किशोर इन दिनों बीपीएससी परीक्षा के भ्रष्टाचार के खिलाफ आमरण अनशन पर हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि आधी से ज्यादा सीटें बिक चुकी हैं। लेकिन उनका अनशन सिर्फ मुद्दे तक ही सीमित नहीं रहा, बल्कि उनकी लग्जरी वैन के कारण यह विवादों में घिर गया है। सोशल मीडिया पर उनकी वैनिटी वैन की तस्वीरें वायरल हो रही हैं, जिससे इस आंदोलन को लेकर अलग-अलग सवाल उठ रहे हैं। क्या यह आंदोलन सच में छात्र हित में है, या फिर कुछ और? जानें इस दिलचस्प विवाद के बारे में पूरी खबर में!

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Edited By: Aprajita

Prashant Kishor Hunger Strike: भारत में जब भी कोई बड़ा आंदोलन होता है, तो वह सिर्फ मुद्दे के कारण नहीं बल्कि उसके आसपास की घटनाओं के कारण भी चर्चा का विषय बनता है। बिहार में बीपीएससी (बिहार लोक सेवा आयोग) परीक्षा से जुड़ी धोखाधड़ी और भ्रष्टाचार को लेकर जन सुराज पार्टी के प्रमुख प्रशांत किशोर ने हाल ही में आमरण अनशन शुरू किया। लेकिन इस आंदोलन में सबसे बड़ा विवाद उनके अनशन स्थल के पास खड़ी उनकी शानदार वैनिटी वैन को लेकर उठ खड़ा हुआ है।

क्यों कर रहे हैं अनशन?

प्रशांत किशोर ने बीपीएससी के अधिकारियों पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उनका कहना है कि बीपीएससी की आधी से ज्यादा सीटें बेच दी गई हैं, और इस भ्रष्टाचार को लेकर सरकार कुछ नहीं कर रही है। 70वीं बीपीएससी प्रारंभिक परीक्षा की पुनर्परीक्षा आयोजित की जा रही है, लेकिन आंदोलनकारी छात्रों का कहना है कि यह परीक्षा केवल 15,000 छात्रों के लिए है, जबकि विरोध कर रहे छात्र संख्या में 3.5 लाख हैं। किशोर का कहना है कि डीएसपी के पद 1.5 करोड़ रुपये में बिक रहे हैं और यह खुलेआम हो रहा है। इस मामले को लेकर सरकार की चुप्पी ने छात्रों को और भी ज्यादा परेशान कर दिया है।

लग्जरी वैन का विवाद

प्रशांत किशोर का अनशन तो जारी है, लेकिन धरने के स्थल पर खड़ी उनकी वैनिटी वैन ने तूल पकड़ लिया है। सोशल मीडिया पर इस वैन की तस्वीरें वायरल हो रही हैं, जो कि कथित तौर पर करोड़ों रुपये की है। इसमें एयर कंडीशनिंग, पाकगृह और शयन कक्ष जैसी सुविधाएं हैं, जो एक घर जैसी लगती हैं। जब यह मुद्दा मीडिया में आया तो जन सुराज पार्टी के प्रवक्ता ने इसका खंडन करते हुए कहा कि यह कोई बड़ा मुद्दा नहीं है और असल मुद्दा तो उम्मीदवारों के भविष्य का है।

क्या है असल मुद्दा?

प्रशांत किशोर का अनशन सिर्फ एक आंदोलन नहीं बल्कि बिहार के शिक्षा और भर्ती सिस्टम में व्याप्त भ्रष्टाचार के खिलाफ एक संघर्ष बन गया है। 13 दिसंबर को सीसीई परीक्षा के दौरान भी सैकड़ों छात्रों ने प्रश्नपत्र लीक होने के आरोप लगाए थे और उन्होंने परीक्षा का बहिष्कार किया था। बिहार लोक सेवा आयोग ने इन आरोपों को नकारते हुए इसे "साज़िश" करार दिया, लेकिन फिर भी कई छात्रों के लिए पुनः परीक्षा का आदेश दिया गया। इस पूरे घटनाक्रम में परीक्षाओं और भर्ती प्रक्रियाओं पर सवाल उठने लगे हैं।

सवाल और बहस का नया केंद्र

आखिरकार, प्रशांत किशोर के अनशन ने एक नई बहस को जन्म दिया है - क्या भ्रष्टाचार और प्रशासन की लापरवाही का कोई ठोस हल है? क्या सरकार और बीपीएससी को छात्रों के हित में कोई ठोस कदम उठाना चाहिए? और सबसे अहम सवाल यह है कि जब देशभर के लोग भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं, तो क्या ऐसे आंदोलनकारियों की जीवनशैली और प्रतीकों को नकारा किया जा सकता है?

प्रशांत किशोर का आमरण अनशन और उनकी लग्जरी वैन दोनों ही एक बड़े मुद्दे का हिस्सा बन चुके हैं। जहां एक ओर वे बीपीएससी परीक्षा के भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे हैं, वहीं दूसरी ओर उनकी वैन को लेकर उठते सवाल सरकार और प्रशासन की नाकामी को उजागर करते हैं। यह तो वक्त ही बताएगा कि इस आंदोलन का क्या असर होगा और बिहार के छात्रों के भविष्य में सुधार होगा या नहीं।

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04 January 2025, 09:26 PM IST

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