सुखबीर बादल का कमबैक... क्या शिरोमणि अकाली दल फिर से अपनी खोई हुई ताकत वापस पाएगा?

शिरोमणि अकाली दल में लंबे समय बाद बदलाव हुआ और सुखबीर बादल एक बार फिर पार्टी के अध्यक्ष चुने गए. हालांकि, इस फैसले के बाद भी पार्टी में कई सवाल खड़े हैं. पिछले कुछ सालों में पार्टी में बगावत और विवादों के बाद, अब देखना होगा कि क्या सुखबीर अपनी नई जिम्मेदारी के साथ शिअद को फिर से ताकत दे पाएंगे. क्या ये नया नेतृत्व पार्टी को फिर से सशक्त बना पाएगा? जानने के लिए पूरी खबर पढ़ें.

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Edited By: Aprajita

Punjab: शिरोमणि अकाली दल (शिअद) में बदलाव के बीच, सुखबीर सिंह बादल एक बार फिर पार्टी के अध्यक्ष चुने गए हैं. यह फैसला अमृतसर के श्री दरबार साहिब के परिसर में हुए एक अहम चुनावी बैठक में लिया गया, जिसमें 500 से अधिक डेलीगेट्स ने हिस्सा लिया. बैठक में पार्टी की कार्यकारी कमेटी के अलावा नए अध्यक्ष के नाम पर भी मुहर लगाई गई. इस चुनाव में किसी और के नाम की अनुपस्थिति में सुखबीर बादल को सर्वसम्मति से शिरोमणि अकाली दल का नया अध्यक्ष चुना गया.

सुखबीर बादल का पुनः अध्यक्ष बनने का सफर

सुखबीर बादल 2008 से लगातार शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष रहे थे, लेकिन पिछले साल नवंबर में उन्होंने पार्टी अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था. उनके इस्तीफे के बाद से शिअद में नए अध्यक्ष की तलाश तेज हो गई थी, लेकिन अब एक बार फिर से सुखबीर बादल ने पार्टी की कमान संभाली है. इस दौरान पार्टी में कई विवाद और बगावत की आवाजें भी उठीं, लेकिन अब इस फैसले से पार्टी को एक नई दिशा मिलने की उम्मीद जताई जा रही है.

पार्टी में बगावत और इस्तीफे का दबाव

शिरोमणि अकाली दल के पतन की शुरुआत बेअदबी की घटनाओं के बाद हुई थी, और जब तक प्रकाश सिंह बादल जीवित थे, पार्टी में विरोधी सुर नहीं उभरे थे. उनके निधन के बाद से ही पार्टी में बदलाव की मांग तेज हो गई थी. कई वरिष्ठ नेताओं ने सुखबीर बादल पर निशाना साधा और पार्टी प्रमुख के पद से इस्तीफा देने का दबाव डाला. जब सुखबीर ने पद छोड़ने से इनकार किया तो कई नेताओं ने पार्टी छोड़ दी और अपनी अलग पार्टी बना ली. इन नेताओं में प्रेम सिंह चंदूमाजरा, गुरप्रताप वडाला और बीबी जागीर कौर जैसे नाम शामिल थे.

धार्मिक विवाद और सुखबीर पर दबाव

शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष पर एक जुलाई को अकाल तख्त से तनखाहिया घोषित की गई थी. इसके बाद सुखबीर बादल पर धार्मिक गलतियों के आरोप लगाए गए, खासकर उस समय की सरकार के कार्यकाल के दौरान. उन्होंने एक सजा के रूप में धार्मिक सजा भी भुगती. इस दौरान चार दिसंबर को श्री हरमंदिर साहिब में एक जानलेवा हमले का सामना भी करना पड़ा था, जिसमें वह बाल-बाल बच गए थे. हमले के समय वहां मौजूद लोगों ने हमलावर को पकड़ लिया था.

नए अध्यक्ष का चुनाव और पार्टी की नई दिशा

सुखबीर बादल के तनखाहिया घोषित होने के बाद, पार्टी के वरिष्ठ नेता बलविंदर सिंह भूंदड़ को कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया गया था. अब सुखबीर बादल के फिर से अध्यक्ष बनने से पार्टी में नई ऊर्जा का संचार होने की उम्मीद जताई जा रही है. पार्टी के भीतर लंबे समय से चल रही उठापटक और विवादों के बाद अब शिअद को एक मजबूत नेतृत्व की जरूरत थी और ऐसा लगता है कि सुखबीर बादल ने वह जिम्मेदारी फिर से उठाई है.

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12 April 2025, 03:12 PM IST

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