Ram Mandir: आखिर कैसी थी भगवान राम की वंश परंपरा? जानें रघुवर का रघुवंश
Ram Mandir: दशरथ के घर चार पुत्रों ने जन्म लिया. प्रभु राम, भरत, लक्ष्मण व शुत्रुघ्न, अज से पुत्र दशरथ और दशरथ अयोध्या के राजा थे.
हाइलाइट
- रघु के जन्म के बाद ही इस वंश का नाम रघुवंश रखा गया.
- भगीरथ के पुत्र ककुत्स्थ हुए व ककुत्स्थ के पुत्र का नाम रघु हुआ.
Ram Mandir: अयोध्या में आने वाले 22 जनवरी को रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा की जाएगी, जिसकी तैयारियां जोरो पर है. भगवान राम हिंदूओं के आराध्य देवता कहे जाते हैं, श्री राम का जन्म अयोध्या में त्रेया युग में हुआ था. भगवान श्री राम विष्णु के सातवें अवतार के रूप में धरती पर जन्म लिए थे. प्रभु राम का जन्म सूर्य वंश में हुआ था.
सूर्यवंश के आरंभ की कहानी
शास्त्रों में बताया गया है कि, ब्रह्माजी से मरीचि प्रकट हुए और मरीचि के पुत्र कश्यप हुए. वहीं कश्यप के पुत्र विवस्वान हुए, विवस्वान का जब वंश बढ़ा तो, सूर्यवंश का आरंभ हुआ. विवस्वान से पुत्र वैवस्वत मनु के कई पुत्र हुए, जिनके नाम इल, इक्ष्वाकु, कुशनाम, अरिष्ट, धृष्ट, नरिष्यन्त, करुष, महाबली, शर्याति, पृषध थे.
वहीं इक्ष्वाकु से सूर्यवंश में वृद्धि होनी प्रारंभ हुई, इक्ष्वाकु वंश में कई पुत्रों का जन्म हुआ. जिनमें विकुक्षि, निमि, दण्डक, वक्त के साथ धीरे-धीरे यह वंश आगे की तरफ बढ़ता चला गया. जिसमें हरिश्चन्द्र रोहित, वृष, बाहु, सागर ने भी जन्म लिया. बता दें अयोध्या नगरी की स्थापना इक्ष्वाकु के वक्त ही की गई थी. जबकि इक्ष्वाकु सुख और कौशल देश के राजा थे. जिसकी राजधानी साकेत हुआ करती थी, जिसका नाम आज अयोध्या है. वहीं रामायण में गुरु वशिष्ठ ने प्रभु राम के कुल का वर्णन विस्तार से किया है.
वंशो का हुआ विस्तार
दरअसल इक्ष्वाकु के पुत्र कुक्षि, कुक्षि के पुत्र का नाम विकुक्षि हुआ, जिसके बाद में विकुक्षि की संतान बाण हुई एवं बाण के पुत्र अनरण्य हुए. वक्त के मुताबिक यह क्रम बढ़ता चला गया. जिसमें अनरण्य से पृथु व पृथु से त्रिशंकु का जन्म हुआ. त्रिशंकु के पुत्र धुंधुमार कहे जाते हैं. धुन्धुमार के पुत्र का नाम युवनाश्व था. युवनाश्व के पुत्र मान्धाता जिसके बाद मान्धाता से सुसन्धि का जन्म हुआ. सुसन्धि के दो पुत्र हुए- ध्रुवसन्धि और प्रसेनजित.
मां गंगा का कठोर तप
वहीं इनके वंश हुए सगर जोकि अयोध्या के बहुत ही सूर्यवंशी पराक्रमी राजा हुआ करते थे. राजा सगर के पुत्र का नाम असमंज हुआ. इसी प्रकार से असमंज के पुत्र अंशुमान हुए फिर अंशुमान के पुत्र का नाम दिलीप हुआ. दिलीप से प्रतापी भगीरथ पुत्र का जन्म हुआ. इनके बारे में बताया जाता है कि, इन्होंने ही मां गंगा को कठोर तप करके मनाया और पृथ्वी पर गंगा लाने में सफल हुए थे. साथ ही भगीरथ के पुत्र ककुत्स्थ हुए व ककुत्स्थ के पुत्र का नाम रघु हुआ.
रघु के जन्म के बाद ही इस वंश का नाम रघुवंश रखा गया, क्योंकि रघु बहुत ही पराक्रमी होने के साथ ओजस्वी नरेश थे. रघु से उनके पुत्र प्रवृद्ध पैदा हुए, प्रवृद्ध से कई वंश बढ़ते गए. जिसके बाद नाभाग हुए फिर नाभाग के पुत्र अज हुए. अज से पुत्र दशरथ और दशरथ अयोध्या के राजा बने. दशरथ के घर चार पुत्रों ने जन्म लिया. प्रभु राम, भरत, लक्ष्मण व शुत्रुघ्न, इस तरह से भगवान राम का जन्म ब्रह्राजी की 67 पीढ़ियों में हुआ.