रतलाम: नोटों और सोने-चांदी के जेवरात से सजा मां लक्ष्मी का दरबार
हर साल दिवाली पर रतलाम के महालक्ष्मी मंदिर को करेंसी नोट्स से सजाया जाता है। करोड़ों रुपए के नोट इसमें इस्तेमाल होते हैं। इस बार दर्शन व्यवस्था में बदलाव किया गया है। इस बार मंदिर में बाहर से ही दर्शन करने होंगे
मध्यप्रदेश। हर साल दिवाली पर रतलाम के महालक्ष्मी मंदिर को करेंसी नोट्स से सजाया जाता है। करोड़ों रुपए के नोट इसमें इस्तेमाल होते हैं। इस बार दर्शन व्यवस्था में बदलाव किया गया है। इस बार मंदिर में बाहर से ही दर्शन करने होंगे। करोड़ों रुपये के करेंसी नोट्स से सजा देवी महालक्ष्मी का दरबार रतलाम में तैयार है।
इस बार भी करेंसी नोट्स की गड्डियों और उनकी झालर से मंदिर को सजाया गया है। कोरोना के चलते इस बार सावधानी बरती जा रही है। किसी भी भक्त को मंदिर में प्रवेश नहीं दिया जा रहा। बाहर से ही दर्शन किए जा सकते हैं। मध्यप्रदेश का रतलाम सराफा और अपनी खास रतलामी सेंव के लिए प्रसिद्ध है।
इसी रतलाम के माणक चौक में महालक्ष्मी मंदिर है, जो दिवाली के दौरान अपनी सजावट की वजह से भक्तों और लोगों का ध्यान खींचता है। रतलाम के महालक्ष्मी मंदिर की प्रसिद्धि कुबेर के खजाने के रूप में है। दीपावली के पांच दिनों तक यहां कुबेर के खजाने-सा नजारा रहता है। मंदिर में हार-पुष्प से सजावट नहीं होती बल्कि नोटों की गड्डियों के वंदनवार बनाए जाते हैं।
सोने-चांदी के जेवरात से सजावट की जाती है। स्थानीय ही नहीं बल्कि दूसरे राज्यों के भक्त भी यहां अपना नकदी ज्वेलरी लेकर आते है। वहीं दर्शन के लिए मुम्बई और देश के कोने-कोने से श्रद्धालु रतलाम पहुंचते है, और इसी परंपरा के चलते रतलाम के महालक्ष्मी मंदिर को कुबेर का खजाना कहा जाता है।