अनशन के पीछे की राजनीति की सच्चाई पढ़े, कैसे मैनेज हुआ अनशन
धर्मनगरी हरिद्वार में स्मैक और नशे के बढ़ते कारोबार के खिलाफ पिछले एक हफ्ते से युवा जागृति मंच के बैनर तले चल रहा आमरण अनशन आज समाप्त हो गया।
हरिद्वार: धर्मनगरी हरिद्वार में स्मैक और नशे के बढ़ते कारोबार के खिलाफ पिछले एक हफ्ते से युवा जागृति मंच के बैनर तले चल रहा आमरण अनशन आज समाप्त हो गया। मजेदार बात यह रही कि अनशन समाप्त कराने जो नेताजी पहुंचे, वो खुद नशा प्रेम को लेकर बदनाम रह चुके हैं।
राजनीतिक गलियारों से यह चर्चा जोरो पर है कि इस पूरे अनशन के ड्रामे को लेकर जिन दो राजनेताओं ने पर्दे के पीछे से खेल रचा था वह ही अनशन समाप्त कराने सामने आए। इस पूरे प्रकरण से नशे के खिलाफ इस पूरी मुहिम की मंशा भी सवाल खड़े होते दिखाई दे रहे हैं। हद तो तब हुई जब नशे के खिलाफ जैसी सच्ची-ईमानदार लड़ाई के लिए भी कुछ नियत पत्रकारों को हर दिन पारितोषित दिया गया।
24 अगस्त से हरिद्वार के कनखल थाना क्षेत्र के सिंहद्वार चौक पर युवा जागृति मंच के सदस्य मनीष चौहान द्वारा शहर में बढ़ रहे नशे के कारोबार के खिलाफ आमरण अनशन शुरू किया गया था शुरुआत में इस अनशन की मंशा और दिशा सच्ची, साफ और ईमानदार लग रही थी परंतु जैसे-जैसे अनशन चलता गया। अनशन को लेकर पीछे से राजनीति करने वाले दो पूर्व विधायकों के नाम चर्चा में आने लगे ,चर्चा में है कि हरिद्वार शहर विधायक को घेरने के लिए यह अनशन की राजनीति अपनाई गई थी और जिन दो विधायकों ने यह राजनीति अपनाई।
उन दोनों विधायकों में से एक विधायक तो खुद नशे प्रेम को लेकर काफी चर्चित रहे हैं चाहे हरिद्वार हो ,चाहे राजधानी हो सब तरफ उनके नशा प्रेम की चर्चा जोरों पर है। विडंबना यह देखिए कि एक सच्चे और ईमानदार प्रयास के तहत शुरू किए गए आमरण अनशन समापन करवाने के लिए ऐसे नेता जी पहुंचते हैं जो खुद नशे से प्रेम करते है । नाम न छापने की शर्त पर राजनीति की समझ रखने वाले कुछ लोगों ने बताया कि अनशन स्थल पर हवा पानी और भीड़ एकत्र करने के साथ-साथ पत्रकार जगत को खुश करने के लिए बाकायदा एक बजट तैयार किया गया था।
चर्चा तो इस बात की भी रही कि विधायक के नजदीकी वरिष्ठ पत्रकारों द्वारा खबर दिखा कर प्रतिदिन के हिसाब से एक नियत पारितोषित भी पत्रकारों को दिया गया, नाम न छापने की शर्त पर इन्हीं में से एक पत्रकार ने इस पूरे प्रकरण की एक वीडियो बनाए जाने का दावा भी किया है, मगर मायाकथन इसकी पुष्टि नहीं करता है।