महाविकास अघाड़ी में बग़ावत, क्या चुनावों से पहले टूटेगा गठबंधन?

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024 नजदीक आ रहे हैं और महाविकास अघाड़ी (एमवीए) में दरारें साफ दिखाई दे रही हैं. कांग्रेस और शिवसेना के बीच सीट बंटवारे को लेकर चल रही खींचतान ने इस गठबंधन को कमजोर कर दिया है. अब तीनों दल एक-दूसरे के खिलाफ उम्मीदवार उतारने को मजबूर हैं. जबकि बीजेपी अपनी एकता बनाए रखने में सफल रही है, एमवीए के भीतर असंतोष और मतभेद बढ़ते जा रहे हैं. क्या यह गठबंधन इन चुनौतियों का सामना कर पाएगा? जानने के लिए पूरा लेख पढ़ें!

JBT Desk
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Maharashtra Assembly Election 2024: महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024 नजदीक आते ही महाविकास अघाड़ी (एमवीए) के भीतर की अंदरूनी कलह खुलकर सामने आ गई है. शरद पवार और उद्धव ठाकरे द्वारा स्थापित इस गठबंधन में दरारें उभरने लगी हैं और अब सभी तीन प्रमुख दल एक-दूसरे के खिलाफ प्रत्याशी उतारने पर मजबूर हो गए हैं. इस स्थिति ने न केवल गठबंधन की एकता को प्रभावित किया है, बल्कि इसके भविष्य पर भी गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं.

सीट बंटवारे पर असहमति

कांग्रेस और शिवसेना के बीच सीट बंटवारे को लेकर लगातार असहमति रही है. दोनों दलों के बीच बातचीत बार-बार विफल हो रही है, जिससे गठबंधन के प्रति जनता का विश्वास कम हो रहा है. कुछ खास निर्वाचन क्षेत्रों जैसे परांदा, दक्षिण सोलापुर, दिगराज और मिराज में प्रत्याशी खड़ा करना इस बात का स्पष्ट संकेत है कि महाविकास अघाड़ी के भीतर गहरी मतभेद हैं. यह स्थिति न केवल गठबंधन की छवि को नुकसान पहुंचा रही है, बल्कि कार्यकर्ताओं के बीच भी असंतोष का माहौल पैदा कर रही है.

नेतृत्व और सामंजस्य की कमी

महाविकास अघाड़ी के भीतर नेतृत्व के सवाल भी उठने लगे हैं. मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार को लेकर आपसी असहमति ने तनाव को और बढ़ा दिया है. जब गठबंधन अपने कार्यकर्ताओं के बीच सामंजस्य बनाए रखने में असफल हो रहा है, तो राज्य की राजनीति को कैसे संभालेगा यह बड़ा सवाल बन गया है. इससे यह आशंका बढ़ रही है कि एमवीए अपने मतदाताओं के बीच एकजुटता दिखाने में भी नाकाम हो सकता है.

बीजेपी की एकता बनाम महाविकास अघाड़ी की विफलता

वहीं, भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और उसके सहयोगी दल इस समय अधिक समन्वय और एकता का प्रदर्शन कर रहे हैं. बीजेपी ने अपने गठबंधनों को बरकरार रखते हुए विभिन्न गुटों के स्थानीय नेताओं को एकजुट करने में सफलता प्राप्त की है. इससे स्पष्ट है कि बीजेपी की स्थिति मजबूत हो रही है और एमवीए के लिए चुनौती पेश कर रही है.

छोटे दलों की असंतोष

महाविकास अघाड़ी ने छोटे दलों को एकजुट करने में भी विफलता दिखाई है. कई छोटे दल और स्वतंत्र उम्मीदवार असंतोष के चलते स्वतंत्र रूप से चुनाव लड़ने का विकल्प चुन रहे हैं. सोशलिस्ट पार्टी का अपना अलग रास्ता अपनाना इस गठबंधन की विफलता का एक और उदाहरण है.

इस तरह, महाविकास अघाड़ी की अंदरूनी कलह और असहमति ने चुनावी रण में उसकी स्थिति को कमजोर कर दिया है. यदि यह स्थिति यथावत रही, तो इसके चुनावी परिणामों पर गंभीर असर पड़ सकता है. अब देखना होगा कि क्या महाविकास अघाड़ी इन चुनौतियों का सामना कर पाएगी, या फिर बीजेपी की एकता के सामने वह बिखर जाएगी.

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30 October 2024, 12:30 PM IST

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