रेवाड़ी: सरकारी वादों की खुली पोल शनिवार को भी नही हुई MSP पर खरीद
हरियाणा प्रदेश अध्यक्ष युद्धवीर सिंह अहलावत ने बताया कि बाजरा उत्पादक क्षेत्रों में किसानों, किसान प्रतिनिधियों, आढ़तियों और मंडी अधिकारियों से बातचीत करने पर यह स्पष्ट सामने आया कि 01 अक्टूबर तक किसानों का बाजरा गैर सरकारी खरीदा गया है
संबाददाता-राजीव शर्मा (रेवाड़ी, हरियाणा)
हरियाणा। रेवाड़ी में शनिवार को जय किसान आंदोलन के हरियाणा प्रदेश अध्यक्ष युद्धवीर सिंह अहलावत व प्रदेश प्रवक्ता संदीप राव व अन्य पदाधिकारियो ने रेवाड़ी, कनीना, अटेली मंडी का दौरा किया व रेवाड़ी मार्किट कमेटी के सचिव से मुलाकात कर रेवाड़ी मंडी के किसानों से बात कर समस्याए जानी और मार्किट कमेटी अधिकारियों को बाजरा खरीद में देरी और किसानों की समस्याओं से अवगत कराया।
हरियाणा प्रदेश अध्यक्ष युद्धवीर सिंह अहलावत ने बताया कि बाजरा उत्पादक क्षेत्रों में किसानों, किसान प्रतिनिधियों, आढ़तियों और मंडी अधिकारियों से बातचीत करने पर यह स्पष्ट सामने आया कि 01 अक्टूबर तक किसानों का बाजरा गैर सरकारी खरीदा गया है।
रेवाड़ी में 30 सितम्बर तक 1,26,800 क्विंटल बाजरे की गैर सरकारी खरीद हो चुकी है। जबकि MSP रेट 2,350 प्रति क्विंटल है। मोजुदा सरकार किसान को उसका न्यायोचित अधिकार दिलाने में असफल साबित हुई है। जबकि हर किसान को उसकी बाजरे की फसल का 2,350 प्रति क्विंटल का दाम अब तक मिल जाना था।
लेकिन वास्तव में मंडियों में यह रेट किसी किसान को नहीं मिला। क्योंकि सरकार ने 1% बाजरा की खरीद भी नहीं की। संदीप राव प्रदेश प्रवक्ता ने बताया कि अब तक सरकारी खरीद आरंभ नहीं हुई जिस कारण से किसानों को औने पौने दामों पर अपना बाजरा बेचना पड़ रहा है। रेवाड़ी मंडी में बाजरा 1,850 रुपए प्रति क्विंटल बिका है।
जबकि सरकारी एमएसपी रेट 2,350 रुपए प्रति क्विंटल है। मंडी में सरकारी बोली के अभाव में व्यापारी बाजरे की खुली बोली लगाकर लगभग 1,850 रुपए प्रति क्विंटल खरीद रहा है, जिससे किसानों को 400 से 450 प्रति क्विंटल नुकसान उठाना पड़ रहा है। यह है सरकार के एमएसपी पर खरीद की सच्चाई। भावान्तर भी सरकार नहीं दे रही है।
मौसम की अनुकूलता से रेवाड़ी जिले में अब की बार करीब 75 हजार हेक्टेयर (एक लाख 80 हजार एकड़) भूमि में किसानों ने बाजरे की बिजाई की हुई है। किसान फसल ज्यादा करें जब भी या मौसम की मार से फसल कम पैदा हो तब भी दोनों समस्याओं में सरकार की बेरुखी से घाटे में रहता है। यानी किसान कर्ज में पैदा होकर कर्ज में ही मर जाता है।
जय किसान आंदोलन किसान के साथ सरकार की इस बेरुखी/अनदेखी को सहन नहीं करेगा। सरकार का किसान के साथ ऐसा व्यवहार असहनीय है। जो किसान की मेहनत पर कुठाराघात है। इस मोके पर अभय सिंह फिदेड़ी, रामनिवास व लाल सिंह डहिना, धर्मबीर बाम्बड, राजपाल मुंडिया खेडा, योगेश शर्मा जैतपुर शेखपुर, प्रकाश अहरोद, जगमाल सिंह लोधाना, रामोतार रेवाड़ी, सतपाल चौधरी मिलकपुर, महावीर आदि मौजूद रहे।