ऋषिकेश में शराब की खाली बोतलों का मिला ढेर! आध्यात्मिकता का बढ़ता कब्रिस्तान या लापरवाह पर्यटन का नतीजा... कौन जिम्मेदार?
गंगा किनारे बिखरी शराब की खाली बोतलों की तस्वीर ने सोशल मीडिया पर बवाल मचा दिया है. कोई इसे बेकाबू पर्यटन का नतीजा बता रहा है तो कोई प्रशासन की लापरवाही. लेकिन सवाल ये है—क्या सिर्फ पर्यटक ही इसके लिए जिम्मेदार हैं या फिर सच्चाई कुछ और है? जानिए इस बहस से जुड़े हर पहलू!

Uttarakhand: ऋषिकेश, जिसे आध्यात्मिकता और शांति का केंद्र माना जाता है आजकल एक अलग ही वजह से चर्चा में है. हाल ही में सोशल मीडिया पर वायरल हुई एक तस्वीर में गंगा किनारे दर्जनों खाली शराब की बोतलें देखी गईं जिससे लोगों की भावनाएं आहत हो गईं. इस तस्वीर को लेकर इंटरनेट पर बहस छिड़ गई—क्या पर्यटन इस पवित्र नगरी की शांति को खत्म कर रहा है या फिर समस्या की जड़ कहीं और है?
गंगा किनारे बिखरी शराब की बोतलें भड़के लोग
इंस्टाग्राम पर हिमाद्री फाउंडेशन नाम के एक संगठन ने एक तस्वीर शेयर की जिसमें गंगा नदी के किनारे शराब की खाली बोतलों का ढेर नजर आया. इस पोस्ट में लिखा गया, 'ऋषिकेश, जो कभी आध्यात्मिकता का प्रतीक था, धीरे-धीरे अपनी पहचान खो रहा है. अब यहां मंत्रोच्चार और शांति की जगह शराब की बोतलों और सिगरेट के धुएं ने ले ली है.'
इस तस्वीर के सामने आते ही सोशल मीडिया पर लोगों का गुस्सा फूट पड़ा. कई लोगों ने तीखी प्रतिक्रिया दी और कहा कि 'पर्यटकों की लापरवाही ने ऋषिकेश की पवित्रता को खत्म कर दिया है.' कुछ लोगों ने तो यहां तक कह दिया कि अगर ऐसे ही चलता रहा तो आने वाले समय में यह जगह अपनी आध्यात्मिक पहचान पूरी तरह खो सकती है.
पर्यटन को दोष देना सही या गलत?
हालांकि, कुछ लोगों ने इस मुद्दे पर अलग राय रखी. उनका कहना है कि सिर्फ पर्यटकों को दोष देना सही नहीं है क्योंकि 'उत्तराखंड की अर्थव्यवस्था का बड़ा हिस्सा पर्यटन पर निर्भर करता है.' अगर सभी पर्यटक ऋषिकेश आना बंद कर दें तो यहां के स्थानीय लोगों की रोजी-रोटी पर गहरा असर पड़ेगा. कुछ सोशल मीडिया यूजर्स का मानना है कि 'समस्या पर्यटकों से ज्यादा प्रशासनिक लापरवाही की है.' अगर गंगा घाटों और अन्य पर्यटन स्थलों की साफ-सफाई और निगरानी सही तरीके से की जाए तो इस तरह की गंदगी देखने को नहीं मिलेगी.
समाधान क्या हो सकता है?
इस पूरे मामले को लेकर लोग समाधान भी सुझा रहे हैं. कुछ लोगों ने सुझाव दिया कि 'उत्तराखंड में कड़े सफाई नियम लागू होने चाहिए और कचरा फैलाने पर सख्त जुर्माना लगना चाहिए.' वहीं, कुछ लोगों ने कहा कि सरकार को एक 'पर्यटक पुलिस' बनानी चाहिए जो न केवल पर्यटकों की सुरक्षा का ध्यान रखे बल्कि उन्हें गंदगी न फैलाने के लिए भी प्रेरित करे.
ऋषिकेश सिर्फ एक पर्यटन स्थल ही नहीं बल्कि एक आध्यात्मिक धरोहर भी है. ऐसे में इसे स्वच्छ और पवित्र बनाए रखना सिर्फ सरकार की जिम्मेदारी नहीं बल्कि यहां आने वाले हर व्यक्ति की भी जिम्मेदारी बनती है. इस बहस से एक बात तो साफ है—अगर हमें ऋषिकेश की आध्यात्मिकता और सुंदरता को बचाना है तो सिर्फ बहस करने के बजाय सही कदम उठाने होंगे.