मणिपुर में ड्रोन-रॉकेट का खतरनाक खेल, हिंसा के नए हथियार या फिर विदेशी साजिश?
मणिपुर में हाल ही में हिंसा ने नया मोड़ ले लिया है. मैतई और कूकी समुदायों के बीच संघर्ष में ड्रोन और रॉकेट का इस्तेमाल हो रहा है जो पहले कभी नहीं देखा गया. म्यांमार और बांग्लादेश पर संदेह है लेकिन इन हथियारों का असली स्रोत अब भी रहस्य का विषय बना हुआ है. सरकार ने इंटरनेट बंद और कर्फ्यू जैसे उपाय किए हैं लेकिन हिंसा के आगे बढ़ने का खतरा अभी भी बना हुआ है.
Manipur Riots: मणिपुर में हाल ही में भड़की हिंसा ने राज्य की स्थिति को और जटिल बना दिया है. मैतई और कूकी समुदायों के बीच चल रही हिंसा अब ड्रोन और रॉकेट के उपयोग से और भी गंभीर हो गई है. सितंबर महीने में अब तक 9 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है और इस बार हथियारों की तकनीक ने हिंसा की दिशा बदल दी है.
दरअसल सितंबर की शुरुआत में, मणिपुर के इंफाल वेस्ट में हुए बम धमाके ने हिंसा की नई लहर की शुरुआत की. इस धमाके में पहली बार ड्रोन का उपयोग देखा गया था जो पहले केवल सुरक्षा बलों द्वारा सर्विलांस के लिए प्रयोग में लाए जाते थे. इसके बाद, 6 सितंबर को विष्णुपुर में रॉकेट से हमला हुआ जिससे एक व्यक्ति घायल हो गया. इस घटना ने स्थिति को और गंभीर बना दिया.
म्यांमार का संभावित हाथ और हथियारों की तस्करी
मणिपुर में हिंसा के पीछे म्यांमार के उग्रवादी संगठनों की भूमिका पर सवाल उठ रहे हैं. भारत और म्यांमार के बीच लगभग डेढ़ हजार किमी की सीमा है और यह सीमा अक्सर हथियारों और उग्रवादियों की तस्करी का मार्ग बनती है. पिछले साल भी म्यांमार और बांग्लादेश से मणिपुर में हथियारों की सप्लाई की पुष्टि हुई थी. माना जा रहा है कि इस हिंसा में म्यांमार का पीपुल्स डिफेंस फोर्स शामिल हो सकता है जो वहां की सेना के खिलाफ ड्रोन का इस्तेमाल करता है.
भारी मात्रा में बरामद हथियार
मणिपुर में सुरक्षा बलों ने हाल ही में कई हथियार और गोला-बारूद जब्त किए हैं, जिसमें राइफल, मोर्टार और रॉकेट शामिल हैं. ये हथियार विदेश से आए होने की संभावना को बढ़ाते हैं. इन हथियारों की बरामदगी से यह स्पष्ट हो गया है कि मणिपुर में हिंसा को बढ़ावा देने में विदेशी हाथ भी शामिल हो सकते हैं.
इंटरनेट बैन और सुरक्षा उपाय
इस हिंसा की स्थिति को नियंत्रित करने के लिए मणिपुर सरकार ने 15 सितंबर तक इंटरनेट बंद कर दिया है. इस दौरान कर्फ्यू भी लगाया गया है और स्कूलों तथा कॉलेजों को बंद कर दिया गया है. बात दें कि यह कदम हिंसा और नफरत फैलने से रोकने के लिए उठाया गया है.
मणिपुर में जारी हिंसा और हथियारों की तस्करी की स्थिति को देखते हुए सुरक्षा बलों और जांच एजेंसियों को इस पर सख्त निगरानी और त्वरित कार्रवाई की जरूरत है. यह महत्वपूर्ण है कि स्थिति को नियंत्रित करने और शांति की बहाली के लिए उचित कदम उठाए जाएं.