बिहार में बने जूते पहनेगी रूसी आर्मी, वैश्विक स्तर पर भारतीय आर्मी बूट्स की बढ़ी मांग!
भारत अब अपनी सुरक्षा जरूरतों के लिए आत्मनिर्भर होता जा रहा है। 'मेक इन इंडिया' पहल के तहत देश में 65% डिफेंस इक्विपमेंट का उत्पादन किया जा रहा है, जो पहले आयात पर निर्भर था. खास बात यह है कि बिहार में बनने वाले आर्मी बूट्स का उपयोग भारतीय सेना के साथ-साथ रूसी सेना भी कर रही है.

भारत की रक्षा क्षमता लगातार मजबूत हो रही है और 'मेक इन इंडिया' पहल के तहत डिफेंस सेक्टर में बड़े बदलाव देखने को मिल रहे हैं. पहले जहां देश अपनी सुरक्षा जरूरतों के लिए बड़े पैमाने पर आयात पर निर्भर था, वहीं अब 65% डिफेंस इक्विपमेंट का उत्पादन देश में ही हो रहा है. खास बात यह है कि बिहार में बने आर्मी बूट्स का उपयोग भारतीय सेना के अलावा अब रूसी सेना भी कर रही है.
सरकार का लक्ष्य 2029 तक डिफेंस प्रोडक्शन को 3 लाख करोड़ रुपये तक पहुंचाने का है. मौजूदा समय में यह आंकड़ा 1.27 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच चुका है. यह आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत रक्षा उत्पादन में एक ऐतिहासिक उपलब्धि है.
मेड इन बिहार ने दिलाई वैश्विक पहचान
बिहार में बनने वाले आर्मी बूट्स अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी अपनी पहचान बना चुके हैं. भारतीय सेना के अलावा रूस की सेना भी इनका उपयोग कर रही है. यूक्रेन युद्ध के दौरान रूसी सेना में इन जूतों की भारी मांग देखी गई. यह भारतीय रक्षा उद्योग के मजबूत होते स्टैंडर्ड्स को दर्शाता है और स्वदेशी उत्पादों को वैश्विक पहचान दिलाने में सहायक साबित हो रहा है.
तेजी से बढ़ रहा है स्वदेशी रक्षा उत्पादन
देश में बने रक्षा उपकरणों की सूची में अब बुलेटप्रूफ जैकेट, डॉर्नियर एयरक्राफ्ट, चेतक हेलीकॉप्टर, इंटरसेप्टर बोट्स और हल्के टॉरपीडो शामिल हैं. इसके अलावा धनुष आर्टिलरी गन सिस्टम, अर्जुन टैंक, तेजस हल्का लड़ाकू विमान, आकाश मिसाइल सिस्टम और स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर जैसी महत्वपूर्ण डिफेंस टेक्नोलॉजी को भी भारत में ही विकसित किया जा रहा है.
डिफेंस बजट में ऐतिहासिक बढ़ोतरी
सरकार ने रक्षा क्षेत्र को और मजबूत करने के लिए बजट में भी उल्लेखनीय वृद्धि की है. 2013-14 में जहां रक्षा बजट 2.53 लाख करोड़ रुपये था, वहीं 2025-26 तक इसे 6.81 लाख करोड़ रुपये तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया है. सितंबर 2020 में एफडीआई नियमों में बदलाव के बाद 74% तक ऑटोमैटिक रूट से निवेश की अनुमति दी गई, जिससे अब तक डिफेंस सेक्टर में 5,516.16 करोड़ रुपये का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) आ चुका है.
निजी क्षेत्र की भूमिका भी अहम
कैबिनेट ने हाल ही में 155mm/52 कैलिबर की 307 गन और 327 हाई मोबिलिटी गन टोइंग व्हीकल्स की खरीद को मंजूरी दी है. इनका निर्माण डीआरडीओ, भारत फोर्ज और टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स द्वारा किया गया है. भारत में वर्तमान में 16 डिफेंस पीएसयू, 430 से अधिक लाइसेंस प्राप्त कंपनियां और करीब 16,000 एमएसएमई रक्षा उत्पादन में योगदान दे रही हैं. कुल रक्षा उत्पादन में निजी क्षेत्र की हिस्सेदारी 21% तक पहुंच गई है, जिससे आत्मनिर्भरता को और बढ़ावा मिल रहा है.
भारत का रक्षा उत्पादन बन रहा है नई ताकत
मेक इन इंडिया अभियान के तहत देश की रक्षा उत्पादन क्षमता लगातार बढ़ रही है. भारत अब सिर्फ अपनी सुरक्षा जरूरतों को पूरा करने तक सीमित नहीं है, बल्कि वैश्विक रक्षा बाजार में भी अपनी मजबूत पहचान बना रहा है.