Sanatan Dharma: सनातन धर्म परिवार और राष्ट्र के प्रति कर्तव्य सिखाता है, इसे क्यों नष्ट करना... विवादों के बीच मद्रास हाईकोर्ट
अदालत ने कहा कि ऐसा लगता है कि एक विचार ने पूरी तरीके जोर पकड़ लिया है कि सनातन धर्म में जातिवाद और छूआछूत को बढ़ावा देने वाला बताया जा रहा है. लेकिन अब छूआछूत को किसी भी प्रकार से बढ़ावा नहीं दिया जा सकता है.
हाइलाइट
- सनातन धर्म पर मद्रास हाईकोर्ट की टिप्पणी
- छूआछूत को किसी भी स्तर पर बढ़ावा नहीं दिया जा सकता
डीएमके नेता और मद्रास सरकार में मंत्री उदयनिधि स्टालिन के सनातन धर्म वाले बयान के बाद से ही लगातार सुर्खियों में बने हुए हैं. जहां एक ओर उदयनिधि समेत डीएमके के कई नेताओं के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है. वहीं, इस विवाद पर मद्रास हाईकोर्ट ने सनातन धर्म पर सुनवाई करते हुए कहा कि सनातन धर्म शाश्वत कर्तव्यों का एक समूह है, जिसे कई स्त्रोतों से इकट्ठा किया गया है. इसे किसी खास विशिष्ट साहित्य में नहीं खोजा गया है.
सनातन धर्म को लेकर जारी हुआ था सर्कुलर
दरअसल, मामला यह है कि तिरुवर में एक सरकारी कॉलेज ने एक सर्कुलर जारी कर विद्यार्थियों से पूर्व मुख्यमंत्री अन्नादुरई की जयंती पर सनातन के विरोध में अपने विचार रखने के लिए अनुरोध किया था. सोशल मीडिया पर सर्कुलर वायरल होने के बाद इसको हाईकोर्ट में चुनौती दी गई. इस मामले में पर सुनवाई करते हुए जस्टिस एन शेषशायी की सिंगल बेंच ने टिप्पणी करते हुए कहा कि हम सनातन धर्म पर हो रहे विवाद पर सचेत हैं. उन्होंने कहा कि सनातन धर्म शाश्वत कर्तव्यों का एक समूह है, जिसको कई स्त्रोतों से लिया गया है.
सनातन धर्म में राष्ट्र, राजा और प्रजा के प्रति कर्तव्य: मद्रास हाईकोर्ट
हाईकोर्ट ने आगे कहा कि सनातन धर्म में राष्ट्र, राजा और प्रजा के प्रति कर्तव्य, अपने माता-पिता और गुरूओं के प्रति आदर-सम्मान, गरीबों की देखभाल आदि की बात करता है. हैरानी की बात है कि इन कर्तव्यों को नष्ट करने की बात कही जा रही है. कोर्ट ने आगे कहा कि स्वतंत्र भाषणा का मतलब सिर्फ यहीं नहीं हो सकता है कि वह घृणास्पद हो. अनुच्छेद 51 (ए) इस बात तस्दीक करता है कि भारत का हर शख्स संविधान का सम्मान करें और उसके मूल्यों का आत्मसात करे. इसलिए सनातन के बाहर और अंदर छूआछूत नहीं हो सकता है.
छूआछूत को किसी भी प्रकार से बढ़ावा नहीं दिया सकता है
अदालत ने कहा कि ऐसा लगता है कि एक विचार ने पूरी तरीके जोर पकड़ लिया है कि सनातन धर्म में जातिवाद और छूआछूत को बढ़ावा देने वाला बताया जा रहा है. लेकिन अब छूआछूत को किसी भी प्रकार से बढ़ावा नहीं दिया जा सकता है. सनातन धर्म के बाहर और अंदर कहीं भी छूआछूत संवैधानिक रूप से वैध नहीं है. लेकिन अफसोस है कि यह आज समाज में अब भी हो रहा है.