बिहार: सुप्रीम कोर्ट ने जातीय आधारित जनगणना की सभी याचिकाएं ख़ारिज कीं
सुप्रीम कोर्ट द्वारा बिहार सरकार को बड़ी राहत मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार के जाति आधारित जनगणना कराने के नितीश कुमार के फ़ैसले के खिलाफ सभी याचिकाकर्ताओं द्वारा की गयी याचिकाओं को ख़ारिज कर दिया है।
सुप्रीम कोर्ट द्वारा बिहार सरकार को बड़ी राहत मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार के जाति आधारित जनगणना कराने के नितीश कुमार के फ़ैसले के खिलाफ सभी याचिकाकर्ताओं द्वारा की गयी याचिकाओं को ख़ारिज कर दिया है।
कोर्ट ने इसकी सभी दलीलों पर विचार करने से इनकार कर दिया है। कोर्ट ने ये भी कहा की इस पर हम निर्देश कैसे दे सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस विक्रम नाथ की बैंच ने कहा कि याचिकाओं में कोई ख़ास बात नहीं है और इस मामले में याचिकाकर्ताओं को उच्च न्यायलय में जाने की पूरी स्वतंत्रता है। पीठ ने याचिकाकर्ताओं से कहा कि, "यह एक प्रचार हित याचिका है। हम अमूक जाति को कितना आरक्षण दिया जाना चाहिए, इस बारे में निर्देश कैसे जारी कर सकते हैं? क्षमा करें, हम इस तरह के निर्देश जारी नहीं कर सकते और इन याचिकाओं पर विचार नहीं कर सकते। " पीठ ने अपने आदेश में कहा, " सभी याचिकाओं को वापिस ले लिया है ये मानकर ख़ारिज किया जाता है और कानून में उचित उपाय खोजने की स्वतंत्रता दी जाती है। "
उन्होंने ये भी कहा कि याचिकाकर्ता पटना उच्च न्यायालय का दरवाज़ा खटखटा सकते हैं। ग़ैरतलब है कि बिहार की नितीश कुमार की सरकार ने जून 2022 में जातीय जनगणना की अधिसूचना जारी की थी। यह जनगणना 7 जून 2022 को शुरू हुई थी। यह जातीय सर्वे दो चरणों में होगा। पहले चरण में परिवार के लोगों के नाम, उनकी जाति, जन्मस्थान और परिवार के सदस्यों की संख्या से जुड़े सवाल होंगे। साथ ही आय से जुड़े आर्थिक सवाल भी पूछे जाएंगे। सर्वे के दूसरे चरण की शुरुआत अप्रैल में होगी। इसमें लोगों की जाति, उपजाति और और धर्म से जुड़े आंकड़े जुटाए जाएंगे। माना जा रहा है कि बिहार सरकार इस सर्वे पर 500 करोड़ रुपये का खर्च करेगी।