CM मान की बड़ी सौगात, अनुसूचित जाति के लिए न्यायिक क्षेत्र में खुलेंगे नए दरवाजे
Bhagwant Mann SC Representation: मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान के नेतृत्व में पंजाब सरकार ने अनुसूचित जाति समुदाय के लिए न्यायिक सेवाओं में प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने की दिशा में बड़ा कदम उठाया है. कैबिनेट ने कानून अधिकारियों की संविदा पर नियुक्ति में एससी वर्ग को प्राथमिकता देने के लिए अध्यादेश को मंजूरी दी है.

Bhagwant Mann SC Representation: पंजाब सरकार ने अनुसूचित जाति समुदाय को न्यायिक प्रणाली में प्रभावी प्रतिनिधित्व देने की दिशा में एक बड़ा और ऐतिहासिक फैसला लिया है. मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान की अध्यक्षता में आज हुई मंत्रिमंडल की बैठक में कानून अधिकारियों की संविदा पर नियुक्ति में एससी वर्ग को उचित प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने के उद्देश्य से एक महत्वपूर्ण अध्यादेश को मंजूरी दी गई.
मुख्यमंत्री कार्यालय के प्रवक्ता के अनुसार, पंजाब लॉ ऑफिसर्स (एंगेजमेंट) एक्ट, 2017 में संशोधन के लिए अध्यादेश लाया जाएगा, जिसके माध्यम से एससी वर्ग को नियुक्तियों के लिए लागू आय मानदंडों में छूट दी जाएगी. यह निर्णय राज्य के महाधिवक्ता कार्यालय में एससी समुदाय की भागीदारी बढ़ाने की दिशा में एक निर्णायक पहल मानी जा रही है.
ए.जी. कार्यालय में एससी वर्ग को मिलेगा अधिक प्रतिनिधित्व
मंत्रिमंडल की इस बैठक में स्पष्ट रूप से तय किया गया कि अब ए.जी. कार्यालय, पंजाब में कानून अधिकारियों की संविदा पर भर्ती में अनुसूचित जाति वर्ग के लिए आय मानदंडों में छूट दी जाएगी. इस बदलाव का मुख्य उद्देश्य न्यायिक क्षेत्र में एससी समुदाय की भागीदारी को मजबूत करना है.
इंप्रूवमेंट ट्रस्टों के आवंटियों को बड़ी राहत
बैठक में एक और अहम निर्णय लिया गया जिसमें राज्य के इंप्रूवमेंट ट्रस्टों के आवंटियों को गैर-निर्माण शुल्क और बकाया राशि के संदर्भ में एकमुश्त राहत (वन टाइम रिलीफ) नीति को स्वीकृति दी गई. इससे आवंटियों को ब्याज माफी का लाभ मिलेगा और वे आर्थिक रूप से राहत महसूस करेंगे.
राज्य में ब्लॉकों का होगा पुनर्गठन
मंत्रिमंडल ने राज्य में प्रशासनिक दक्षता बढ़ाने और संसाधनों के बेहतर उपयोग हेतु मौजूदा ब्लॉकों के पुनर्गठन को भी हरी झंडी दी है. वर्तमान में राज्य में कुल 154 ब्लॉक हैं, जिनमें प्रशासनिक अस्पष्टता के चलते दिक्कतें सामने आ रही थीं. नए पुनर्गठन से प्रशासनिक व्यवस्था अधिक तर्कसंगत और पारदर्शी होगी.
मेडिकल कॉलेजों में सेवानिवृत्ति आयु में बढ़ोतरी
स्वास्थ्य क्षेत्र में गुणवत्ता को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने मेडिकल कॉलेजों में प्रोफेसरों और डॉक्टरों की सेवानिवृत्ति की आयु 62 से बढ़ाकर 65 वर्ष करने का निर्णय लिया है. यह निर्णय मेडिकल शिक्षा की गुणवत्ता को बनाए रखने और छात्रों को अनुभवी शिक्षकों से मार्गदर्शन प्राप्त करने में सहायक सिद्ध होगा.
विशेषज्ञ डॉक्टरों की सेवाएं अब सेवानिवृत्ति के बाद भी संभव
सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों की कमी को दूर करने के लिए मंत्रिमंडल ने जनहित में एक और महत्वपूर्ण निर्णय लिया है. इसके अंतर्गत अब जरूरत पड़ने पर सेवानिवृत्त विशेषज्ञ डॉक्टरों की सेवाएं वार्षिक आधार पर पुनः ली जा सकेंगी, जिससे मरीजों को समय पर चिकित्सा सुविधा मिल सकेगी.