मध्य प्रदेश वन विभाग की सैलरी में गड़बड़ी, अब वनरक्षकों से होगी वसूली

मध्य प्रदेश के वन विभाग ने 6,592 वनरक्षकों से करीब 165 करोड़ रुपए वसूलने का निर्णय लिया है. 2006-2014 के बीच उनकी सैलरी में हुई गड़बड़ी के कारण हर वनरक्षक को औसतन ढाई लाख लौटाने होंगे. इस स्थिति ने वनरक्षकों में चिंता बढ़ा दी है. अब जांच के बाद ही वसूली की प्रक्रिया शुरू होगी. क्या सरकार इसका कोई समाधान निकालेगी

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Madhya Pradesh: मध्य प्रदेश के वन विभाग ने हाल ही में एक चौंकाने वाली घोषणा की है. विभाग ने अपने 6,592 वनरक्षकों से करीब 165 करोड़ रुपए की वसूली करने का निर्णय लिया है. इसका कारण है वनरक्षकों की सैलरी में हुई एक बड़ी गलती. इस गलती के चलते हर वनरक्षक को औसतन ढाई लाख रुपए सरकारी खजाने में वापस जमा करने होंगे.

असल में ये समस्या 1 जनवरी 2006 से 8 सितंबर 2014 के बीच भर्ती हुए वनरक्षकों की सैलरी के गलत गणना से उत्पन्न हुई है. भर्ती नियम के अनुसार, वनरक्षकों को 5200 रुपए का पे बैंड दिया जाना था लेकिन उन्हें 5680 रुपए दिए गए. इस भिन्नता के कारण वित्त विभाग ने आपत्ति जताई, जिसके बाद वन विभाग ने सैलरी बैंड में सुधार के निर्देश दिए.

पुरानी मांगें और नई स्थिति

वनरक्षकों ने सालों से 5680 वेतन बैंड और 1900 ग्रेड पे की मांग की है. लेकिन अब जब वसूली की बात सामने आई है, तो वनरक्षकों की चिंता बढ़ गई है. दरअसल ये वसूली 2006 से पहले और बाद में भर्ती वनरक्षकों पर निर्भर करेगी, जिनसे डेढ़ से पांच लाख रुपए तक की वसूली की जाएगी.

इस पूरे मामले में वित्त विभाग ने स्पष्ट किया है कि वनरक्षकों की सैलरी की गणना में हुई गलती के लिए जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई हो सकती है. विभाग ने सभी कोष लेखा अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि वे वनरक्षकों के वेतन का निर्धारण सही नियमों के अनुसार करें. इससे यह सुनिश्चित होगा कि भविष्य में ऐसी गलतियां न हों.

जिला स्तर पर होगी गणना

हर वन मंडल में रिकॉर्ड की जांच की जाएगी, ताकि यह पता चल सके कि किस वनरक्षक को कितनी अतिरिक्त राशि दी गई थी. इस प्रक्रिया के बाद ही वसूली के आदेश जारी किए जाएंगे. ब्याज के साथ वसूली की राशि और भी बढ़ जाएगी जिससे यह समस्या और भी ज्यादा गंभीर हो सकती है.

वनरक्षकों का संघर्ष

जिन वनरक्षकों को पहले से बढ़ा हुआ वेतन मिला है, उन्हें अब अपनी सैलरी में कटौती का सामना करना पड़ेगा और यह स्थिति उनके लिए मानसिक और आर्थिक तनाव का कारण बन सकती है. साथ ही, यह सवाल भी उठता है कि, क्या सरकार इस गलती को सुधारने का कोई और उपाय निकालेगी.

मध्य प्रदेश के वन विभाग की इस गलती ने हजारों वनरक्षकों को मुश्किल में डाल दिया है. अब देखना है कि सरकार इस स्थिति का समाधान कैसे करती है और क्या वनरक्षक अपनी पुरानी मांगों को लेकर कोई नया रास्ता निकाल पाएंगे.  First Updated : Thursday, 19 September 2024