शिवसेना नेता का विवादित बयान, संजय राउत के भाई ने महिला उम्मीदवार को कहा 'बकरी'!
Maharastra: शिवसेना के नेता सुनील राउत के एक बयान ने फिर से हलचल मचा दी है. उन्होंने विक्रोली की महिला उम्मीदवार सुवर्णा करंजे को 'बकरी' कहकर संबोधित किया, जिससे फिर से पार्टी की छवि पर सवाल उठने लगे हैं. क्या इस बार शिवसेना अपने बयानों के कारण नुकसान उठाएगी? जानें पूरी कहानी में!
Maharastra: शिवसेना (उद्धव ठाकरे) के नेता एक बार फिर अपने विवादित बोल के कारण सुर्खियों में हैं. संजय राउत के भाई सुनील राउत ने विक्रोली विधानसभा सीट से शिवसेना शिंदे गुट की महिला उम्मीदवार सुवर्णा करंजे का अपमान करते हुए उन्हें "बकरी" कहकर संबोधित किया. यह पहली बार नहीं है, जब शिवसेना के नेताओं ने महिलाओं के प्रति अपमानजनक शब्दों का इस्तेमाल किया है.
सुनील राउत का एक वीडियो सामने आया है, जिसमें वे स्पष्ट रूप से कहते हैं कि उनके सामने कोई गंभीर उम्मीदवार नहीं है. उन्होंने मजाक में कहा, 'अगर कोई उम्मीदवार नहीं मिला तो एक बकरी को लाकर मेरे सामने खड़ा कर दिया. अब बकरी आई तो बकरे को सर झुकाना ही पड़ेगा,' इस बयान ने एक बार फिर पार्टी के अंदर और बाहर हलचल मचा दी है.
महिलाओं के प्रति अपमान
यह पहली बार नहीं है जब शिवसेना के नेताओं ने महिलाओं का अपमान किया है. इससे पहले, पार्टी के सांसद अरविंद सावंत ने भी शिंदे गुट की उम्मीदवार शायना एनसी को 'माल' कहकर संबोधित किया था. ऐसे बयानों ने शिवसेना (उद्धव ठाकरे) की छवि को नुकसान पहुंचाया है और कई लोगों में आक्रोश पैदा किया है.
सुनील राउत की राजनीति
सुनील राउत विक्रोली विधानसभा से तीसरी बार चुनाव लड़ रहे हैं। उन्हें पूरा विश्वास है कि इस बार वे न केवल जीतेंगे, बल्कि मंत्री पद भी प्राप्त करेंगे। उनके सामने शिंदे गुट की उम्मीदवार सुवर्णा करंजे हैं, जिन्हें उन्होंने अपमानित किया। इस चुनाव में उनके दावों की असली परीक्षा होगी।
मुस्लिम समुदाय का समर्थन
सुनील राउत ने अपने बयान में यह भी कहा कि मुस्लिम समुदाय हमेशा शिवसेना के साथ रहा है. उन्होंने यह दावा किया कि हाल के लोकसभा चुनाव में ईशान्य मुंबई में मुस्लिम वोटरों ने एकतरफा वोट किया, जिससे उनके उम्मीदवार संजय पाटिल ने बंपर जीत हासिल की. यह उनकी रणनीति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, खासकर जब विधानसभा चुनाव 20 नवंबर को होने वाले हैं और नतीजे 23 नवंबर को घोषित होंगे.
शिवसेना के नेताओं के अपमानजनक बयानों ने एक बार फिर समाज में महिला सम्मान पर चर्चा को जन्म दिया है. चुनावी माहौल में ऐसे बयानों का असर मतदाताओं पर पड़ सकता है. क्या यह बयानों का सिलसिला शिवसेना के लिए नुकसानदायक साबित होगा? या फिर पार्टी इन विवादों के बावजूद जीतने में सफल रहेगी? यह तो आने वाले चुनाव के नतीजों के बाद ही स्पष्ट होगा.