महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से पहले दशहरा रैली, शिवसेना का शक्ति प्रदर्शन!
महाराष्ट्र में दशहरा रैली का आयोजन इस बार खास मन जा रहा है क्योंकि शिवसेना के दो गुट—एकनाथ शिंदे और उद्धव ठाकरे—अपने-अपने तरीकों से शक्ति प्रदर्शन कर रहे हैं. शिंदे गुट ने आजाद मैदान में रैली की, जबकि उद्धव गुट ने शिवाजी पार्क में. दोनों गुट बालासाहेब ठाकरे की विरासत को आगे बढ़ाने का दावा कर रहे हैं लेकिन एक-दूसरे पर तंज भी कस रहे हैं. इस रैली का राजनीतिक महत्व चुनावों के नजदीक आने के चलते और बढ़ गया है. जानें पूरी कहानी!
Dussehra rally In Maharastra: हर साल दशहरा के मौके पर शिवसेना की रैली एक विशेष महत्व रखती है. दरअसल यह आयोजन बालासाहेब ठाकरे की परंपरा को आगे बढ़ाने का एक अवसर होता है. पिछले कुछ वर्षों से शिवसेना में विभाजन के बाद, इस रैली का आयोजन दो गुटों—एकनाथ शिंदे गुट और उद्धव ठाकरे गुट—द्वारा किया जा रहा है. यह रैली केवल बधाई देने के लिए ही नहीं बल्कि देश को एक दिशा दिखाने और एक विचारधारा प्रकट करने का भी माध्यम है.
शिंदे गुट की रैली आजाद मैदान मे
इस बार, एकनाथ शिंदे गुट ने मुंबई के आजाद मैदान में अपनी दशहरा रैली का आयोजन किया. शिंदे गुट का कहना है कि वे बालासाहेब ठाकरे की विचारधारा को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध हैं. इस रैली में उन्होंने बुराई पर अच्छाई की जीत के त्योहार को धूमधाम से मनाने का संकल्प लिया.
उद्धव ठाकरे का जवाब
वहीं, उद्धव ठाकरे गुट ने शिवाजी पार्क में अपनी अलग रैली आयोजित की. शिवसेना (यूबीटी) सांसद अरविंद सावंत ने इस अवसर पर कहा, 'जब बालासाहेब ठाकरे ने शिवसेना बनाई थी, तब से यह आयोजन पिछले 55-56 वर्षों से जारी है. यह रैली विचारधारा और राष्ट्र नीति को आगे बढ़ाने का कार्य करती है.' उन्होंने शिंदे गुट को 'नए मशरूम' कहकर उन पर तंज कसा और कहा कि उनके पास न तो विचार हैं और न ही कोई नीति.
डुप्लीकेट शिवसेना का सवाल
इस बीच, उद्धव ठाकरे ने शिंदे गुट को 'डुप्लीकेट शिवसेना' कहकर उनकी विचारधारा पर सवाल उठाया. मिलिंद देवड़ा ने कहा कि लोग बालासाहेब की असली विचारधारा को आगे ले जाना चाहते हैं और जो लोग समझौता कर रहे हैं, वे ही असली डुप्लीकेट हैं.
राजनीति और राष्ट्र नीति का बंटवारा
अरविंद सावंत ने यह भी कहा कि उद्धव ठाकरे अब राजनीति को पीछे छोड़कर राष्ट्र नीति पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं. उनका मानना है कि राजनीति केवल एक साधन है, जबकि राष्ट्र नीति सबसे पहले आनी चाहिए. इस बयान ने स्पष्ट किया कि उद्धव गुट खुद को विचारधारा के प्रति अधिक प्रतिबद्ध मानता है.
आगे की चुनौतियां
इस दशहरा रैली के आयोजन ने महाराष्ट्र में राजनीतिक गर्मी बढ़ा दी है. विधानसभा चुनाव नजदीक हैं और दोनों गुटों के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर तेज हो गया है. यह रैली एक शक्तिशाली संदेश देने का अवसर है कि शिवसेना की जड़ें कितनी गहरी हैं और वे अपने नेताओं की विचारधारा को कितना महत्व देते हैं.
दशहरा रैली ने दिखा दिया है कि शिवसेना के नेता अपने-अपने गुटों के साथ कितने गंभीर हैं और अब यह देखना होगा कि आगामी चुनावों में यह शक्ति प्रदर्शन किस दिशा में ले जाता है. शिवसेना के दोनों गुट अपने-अपने तरीके से बालासाहेब ठाकरे की विरासत को आगे बढ़ाने का प्रयास कर रहे हैं.