Siddaramaiah In The Clutches Of ED: कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की मुश्किलें बढ़ सकती हैं. हाल ही में, प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने पीएमएलए (प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट) के तहत उनके खिलाफ केस दर्ज किया है. यह मामला MUDA (मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण) से जुड़ा हुआ है, जिसमें उन्हें और उनके परिवार को आरोपी बनाया गया है.
हाई कोर्ट का झटका
पिछले हफ्ते कर्नाटक हाई कोर्ट ने सिद्धारमैया की याचिका को खारिज कर दिया था, जिसमें उन्होंने राज्यपाल के अभियोग चलाने के फैसले को चुनौती दी थी. इस फैसले के बाद सीएम के खिलाफ अभियोग चलाने का रास्ता साफ हो गया. हालांकि, उनके पास अब भी सुप्रीम कोर्ट जाने का विकल्प है.
आरोपों की गंभीरता
सिद्धारमैया पर आरोप है कि उनकी पत्नी को 2011 में MUDA की ओर से नियमों को दरकिनार करते हुए 14 हाउसिंग साइट्स दी गई थीं. इसी संदर्भ में कर्नाटक लोकायुक्त ने धोखाधड़ी के आरोप में मामला दर्ज किया है. विशेष अदालत ने भी इस मामले में केस दर्ज करने का आदेश दिया था, जिससे सीएम की स्थिति और भी मुश्किल हो गई है.
बीजेपी का दबाव
विपक्षी पार्टी बीजेपी ने कर्नाटक हाई कोर्ट के फैसले को ऐतिहासिक बताया और सीएम से इस्तीफा देने की मांग की. पार्टी का कहना है कि सिद्धारमैया ने गड़बड़ी की है और वे जांच से बचना चाहते हैं. बीजेपी ने MUDA मामले को 'स्कैम' करार दिया है, जिससे राजनीतिक माहौल और गरम हो गया है.
कांग्रेस का बचाव
इस बीच, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने सिद्धारमैया का बचाव करते हुए कहा कि अगर उन्होंने व्यक्तिगत रूप से कोई अपराध किया है तो वह जिम्मेदार हैं लेकिन उनके खिलाफ आरोप बेबुनियाद हैं. उन्होंने यह भी कहा कि बीजेपी का असली उद्देश्य कांग्रेस को बदनाम करना है. खरगे ने यह स्पष्ट किया कि सिद्धारमैया के इस्तीफे का कोई सवाल ही नहीं है.
सीबीआई पर उठे सवाल
MUDA केस विवाद के बीच, कर्नाटक सरकार ने हाल ही में सीबीआई को दी गई सामान्य सहमति वापस ले ली है. सरकार ने कहा है कि सीबीआई पक्षपातपूर्ण तरीके से काम कर रही है. कानून और संसदीय कार्य मंत्री एच के पाटिल ने इस पर टिप्पणी करते हुए कहा कि यह स्पष्ट है कि सीबीआई अपने संसाधनों का विवेकपूर्ण तरीके से उपयोग नहीं कर रही है.
हाई कोर्ट का फैसला
सीएम सिद्धारमैया के खिलाफ मामला अब और गहराता जा रहा है. ED की कार्रवाई और हाई कोर्ट के फैसले ने उन्हें एक कठिन स्थिति में डाल दिया है. राजनीतिक दलों के बीच बढ़ती बयानबाजी और आरोप-प्रत्यारोप इस मामले को और भी जटिल बना रहे हैं. क्या सिद्धारमैया इस संकट से निकल पाएंगे? यह सवाल अब कर्नाटक की राजनीति में चर्चा का विषय बन गया है. First Updated : Monday, 30 September 2024