जंजीरों में कैद सोनू: आठ साल से आजादी का इंतजार कर रहा 20 साल का हाथी

Chhattisgarh news: सोनू नाम का एक हाथी पिछले आठ सालों से लोहे की जंजीरों में कैद हैं. वन विभाग का दावा है कि सोनू ने 5 लोगों की जान ली और फसलों को नुकसान पहुंचाया. हालांकि, पशु अधिकार कार्यकर्ता नितिन सिंघवी का कहना है कि इन आरोपों का अब तक कोई ठोस सबूत नहीं मिला हैं.

calender

Chhattisgarh news: छत्तीसगढ़ के अचानकमार टाइगर रिजर्व में रहने वाले सोनू की कहानी बेहद दर्दनाक और विवादित है. साल 2015 में सोनू को लोहे की जंजीरों में कैद कर दिया गया था. उस पर आरोप था कि उसने पांच लोगों की जान ले ली, एक को घायल किया और फसलों को नुकसान पहुंचाया. तब से लेकर आज तक, सोनू जंजीरों में कैद है. आप सोच रहे होंगे कि ये सोनू हैं कौन? तो बता दें कि ये एक हाथी हैं, जो 12 साल की उम्र से लोहे की जंजीरों में कैद हैं.

जंजीरों से घायल सोनू की हालत दयनीय

लोहे की जंजीरों ने सोनू के पैरों को बुरी तरह घायल कर दिया है. उसके घावों में कीड़े पड़ गए हैं और वह दर्द और भूख से तड़प चुका है. विशेषज्ञों और पशु अधिकार कार्यकर्ताओं का कहना है कि जंजीरों में बांधकर रखने से उसका मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य बुरी तरह प्रभावित हो रहा है.

हाईकोर्ट और विशेषज्ञों की सिफारिशें बेअसर

सोनू की दुर्दशा को लेकर रायपुर निवासी नितिन सिंघवी और PFA जैसे संगठन लगातार प्रयास कर रहे हैं. साल 2016 में सोनू की रिहाई के लिए जनहित याचिका दायर की गई. हाईकोर्ट ने 2017 में सोनू की मेडिकल जांच, इलाज और पुनर्वास के आदेश दिए. पशु चिकित्सा विशेषज्ञों और IUCN दिशानिर्देशों के तहत सोनू को उसके प्राकृतिक आवास में छोड़ने की सिफारिशें की गई. इसके बावजूद, वन विभाग ने उसे आजाद करने का निर्णय नहीं लिया.

वन विभाग का तर्क: सोनू है खतरनाक

वन विभाग का कहना है कि सोनू खतरनाक हो सकता है और उसे जंगल में छोड़ने से इंसानों की जान-माल को खतरा हो सकता है. हालांकि, पशु अधिकार कार्यकर्ता इस दावे को नकारते हैं. उनका कहना है कि सोनू को उसके प्राकृतिक वातावरण में ना छोड़ने से उसकी आक्रामकता और बढ़ सकती है.

क्या सोनू ने वाकई इंसानों को मारा?

नितिन सिंघवी का दावा है कि सोनू पर लगाए गए आरोपों के पुख्ता सबूत नहीं हैं. उनका कहना है कि हाथी अपनी प्राकृतिक प्रवृत्ति कभी नहीं भूलता और सोनू को जंगल में छोड़ना ही उसके लिए सही होगा.

आपको बता दें कि सोनू फिलहाल पिंघला के एलिफेंट रेस्क्यू एंड रिहैबिलिटेशन सेंटर में है. जहां पहले भी हाथियों के साथ दुर्व्यवहार के आरोप लग चुके हैं. पशु अधिकार संगठन और कोर्ट के आदेशों के बावजूद, सोनू अभी भी अपनी आजादी का इंतजार कर रहा है. 
  First Updated : Monday, 16 December 2024