सुप्रिया सुले का बयान: 'अरे मांग लेता तो सब दे देती, पार्टी छीनने की जरूरत नहीं थी'
Split in NCP: महाराष्ट्र की राजनीति में एनसीपी में चल रहे फूट के बीच सुप्रिया सुले ने अजीत पवार पर निशाना साधा है. उन्होंने कहा, 'अगर मांग लेता तो सब दे देती,' यह बताते हुए कि पार्टी छीनने की जरूरत नहीं थी. अजीत पवार भाजपा में शामिल हो चुके हैं और यह सवाल उठ रहा है कि क्या सुप्रिया पार्टी की कमान चाहती थीं. क्या यह विवाद आगामी विधानसभा चुनाव पर असर डालेगा? जानने के लिए पूरी खबर पढ़ें!
Split in NCP: महाराष्ट्र में राजनीति की हलचलें थमने का नाम नहीं ले रही हैं. राष्ट्रीयist कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) में फूट के बाद, अजीत पवार ने भाजपा का दामन थाम लिया. इस संदर्भ में एनसीपी की कार्यकारी अध्यक्ष सुप्रिया सुले ने भी कुछ चौंकाने वाले बयान दिए हैं.
मुंबई में चल रहे इंडिया टुडे कॉन्क्लेव में सुप्रिया ने अजीत पवार के बगावत पर कहा, 'अगर मांग लेता तो सब दे देती. पार्टी छीनने की जरूरत नहीं थी.' यह बयान बताता है कि एनसीपी में चल रही अंतर्द्वंद्व की असली गहराई क्या है. सुप्रिया ने यह भी कहा कि एनसीपी अजीत पवार को पार्टी में बनाए रखना चाहती थी लेकिन उन्होंने पार्टी छोड़कर जाने का फैसला किया.
अजीत पवार का भाजपा में जाना
अजीत पवार के पार्टी छोड़ने के बाद यह सवाल उठने लगा कि क्या सुप्रिया सुले एनसीपी की कमान संभालना चाहती थीं. इस पर उन्होंने स्पष्ट किया कि उन्हें पार्टी की लीडरशिप की कोई इच्छा नहीं थी. सुप्रिया ने कहा, 'मैंने कभी भी इस बारे में नहीं सोचा' अजीत पवार को नेतृत्व देने में मुझे कोई दिक्कत नहीं थी.
विधायकों का समर्थन और महायुती
अजीत पवार ने एनसीपी से बड़ी संख्या में विधायकों को अपने साथ लेकर भाजपा में शामिल होने का निर्णय लिया है. अब वह एकनाथ शिंदे सरकार में डिप्टी सीएम हैं और आगामी विधानसभा चुनाव में सीट बंटवारे को लेकर चर्चा में हैं. जब सुप्रिया से पूछा गया कि लोग कहते हैं कि वह राष्ट्रीय राजनीति के लिए बनी हैं, तो उन्होंने कहा कि यह समय बताएगा कि कौन सही साबित होता है. उन्होंने अपने चचेरे भाई अजीत पवार को लेकर कहा कि वे गांव की राजनीति में ज्यादा फिट हैं, जबकि उनका लक्ष्य बड़ा है.
महाराष्ट्र में आगामी विधानसभा चुनाव का असर
यह फूट एनसीपी के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकती है, खासकर जब विधानसभा चुनाव नजदीक हैं. इस मामले ने ना केवल पार्टी के भीतर तनाव को बढ़ाया है बल्कि आने वाले चुनावों में भी इसका असर देखने को मिल सकता है.
सुप्रिया सुले का यह बयान न सिर्फ अजीत पवार के खिलाफ है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि महाराष्ट्र की राजनीति में अभी भी काफी कुछ चल रहा है. आने वाले समय में यह देखना दिलचस्प होगा कि एनसीपी कैसे इन चुनौतियों का सामना करती है और किस तरह की रणनीतियां अपनाती है.