'हमारी टीम ने उत्तरकाशी में 41 को बचाया, यहां भी हल निकालेंगे!' – तेलंगाना सुरंग हादसे में जूझती उम्मीदें
तेलंगाना के नगरकुरनूल में हुई सुरंग दुर्घटना में फंसे सभी 8 मजदूरों की मौत की पुष्टि हो चुकी है. बचाव दल ने पूरी ताकत झोंक दी, लेकिन अंदर जमा कीचड़ और मलबे ने मुश्किलें बढ़ा दीं. हादसा कैसे हुआ? मजदूर आखिर क्यों नहीं बच सके? और इस पूरे मामले में अब क्या होने वाला है? पूरी खबर पढ़ें और जानें इस दर्दनाक हादसे की पूरी कहानी.

Telangana Tunnel Tragedy: तेलंगाना के नगरकुरनूल जिले में श्रीशैलम लेफ्ट बैंक कैनाल (SLBC) सुरंग हादसे में फंसे सभी आठ मजदूरों की मौत की पुष्टि हो गई है. बीते कई दिनों से जारी बचाव अभियान के बावजूद मजदूरों को जीवित नहीं बचाया जा सका. गुरुवार शाम को टाइम्स नाउ के सूत्रों ने यह जानकारी दी.
कीचड़ और मलबे ने बढ़ाई मुश्किलें
सुरंग में फंसे मजदूरों को निकालने के लिए सेना की टास्क फोर्स, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, नौसेना के मार्कोस और रैट माइनर्स की टीमें लगातार प्रयास कर रही थीं. पानी तो बाहर निकाल दिया गया, लेकिन सुरंग के अंदर 13.8 किलोमीटर के स्थान पर करीब 20 फीट और 13.4 किलोमीटर के स्थान पर 6 फीट तक कीचड़ जमा था, जिससे बचाव अभियान बेहद चुनौतीपूर्ण हो गया.
कैसे हुआ हादसा?
शनिवार को जब सुरंग निर्माण का काम दोबारा शुरू हुआ, तो करीब 50 मजदूर अंदर गए थे. वे 13.5 किलोमीटर अंदर पहुंचे ही थे कि अचानक सुरंग का छतरी जैसा हिस्सा ढह गया. हादसे के वक्त सुरंग में मौजूद 42 मजदूर किसी तरह भागकर बाहर निकलने में सफल रहे, लेकिन आगे चल रहे दो इंजीनियरों समेत आठ मजदूर मलबे में फंस गए.
रैट माइनर्स की टीम भी बचाव में उतरी
उत्तराखंड के सिल्कयारा सुरंग हादसे में मजदूरों को सुरक्षित निकालने वाली विशेषज्ञ रैट माइनर्स की टीम को भी इस मिशन में लगाया गया. बचाव कार्य में शामिल मुन्ना कुरैशी ने बताया कि उत्तरकाशी में 41 मजदूरों को बचाने के अनुभव के बावजूद यह मिशन बेहद कठिन था. उन्होंने कहा, 'यह एक बड़ा ऑपरेशन है, कुछ दिक्कतें आ रही हैं, लेकिन हम समस्या का समाधान निकालने की कोशिश कर रहे हैं.'
आगे क्या?
बचाव दल का मानना है कि मजदूर मलबे के कारण सुरंग के अंतिम छोर तक बह गए होंगे. शवों को निकालने का काम तेजी से किया जा रहा है और आज रात या कल तक कुछ शव बरामद होने की उम्मीद है. हादसे से जुड़े मजदूरों के परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है. यह हादसा एक बार फिर निर्माण कार्य में सुरक्षा मानकों पर गंभीर सवाल खड़े करता है. आखिर कब तक मजदूरों की जान इस तरह दांव पर लगती रहेगी?


