सुरत: डेयरी में दूध न भरने और दूध न बेचने पर अड़ा मालधारी समाज
सूरत में पिछले कुछ वर्षों से मालधारी समाज विभिन्न मुद्दों पर सरकार के खिलाफ खड़ा हो गया है। कल अमरोली, छपराभाटा और वेद्रोद इलाकों में रात में मालधारी ने सभाएं की, जिसमें मिलकर लड़ने को कहा था।
संवाददाता: राकेश गोसाई (गुजरात)
सूरत में पिछले कुछ वर्षों से मालधारी समाज विभिन्न मुद्दों पर सरकार के खिलाफ खड़ा हो गया है। कल अमरोली, छपराभाटा और वेद्रोद इलाकों में रात में मालधारी ने सभाएं की, जिसमें मिलकर लड़ने को कहा था। मालधारी समाज ने डेयरी में दूध न भरने और दूध न बेचने का फैसला किया है और दूध की थैलियों पर ही कल छुट्टी का दिन लिखा।
मालधारी समुदाय द्वारा आवारा पशुओं या मवेशियों को अस्तबल से दूर ले जाने के मुद्दे पर सरकार के खिलाफ काफी गुस्सा देखा गया। जिससे मालधारी समाज के धर्मगुरु से लेकर कई लोग इस आंदोलन में शामिल हुए हैं। मालधारी समाज को कल 21 सितंबर को दूध नहीं बेचने और डेयरियों में दूध नहीं भरने का आह्वान किया गया है। सूरत निगम द्वारा अवैध रूप से बनाए गए अस्तबलों पर तवई का आह्वान किए जाने के बाद आंदोलन तेज हो गया है।
पशुपालकों ने कहा कि आवारा मवेशियों को पकड़ना तो ठीक है लेकिन हमारे अस्तबल में बंधे मवेशियों को क्यों पकड़ रहे हो। इस मुद्दे को लेकर पूरे राज्य में जोरदार आंदोलन हुआ था। मालधारी समाज ने सरकार के खिलाफ कई मांगें रखी हैं. जिसके तहत कल दूध नहीं बेचकर सरकार के खिलाफ रोष जताया जाएगा।
एक समृद्ध समाज की मांग-
* दूध में पशुपालकों को 1965 के परिपत्र के अनुसार मालधारी समाज को 54 रुपये प्रति लीटर की सब्सिडी। मालधारी का अपनी जमीन लेने का अधिकार नई मालधारी बस्तियों सहित हर गांव। पशु नियंत्रण अधिनियम-2022 का निरसन गौपालकों पर दबाव हटाने के लिए चरवाहों के बाड़ों को नियमित करने के लिए पिंजरों और गौशालाओं को पर्याप्त सहायता प्रदान करना।
* सरकार को आवारा मवेशियों के लिए नए पिंजरे बनाने चाहिए। गौपालक निगम के माध्यम से चरवाहा समाज को पर्याप्त ऋण प्रदान करना