"हम अपनी जमीन नहीं छोड़ेंगे..' तेलंगाना में यूनिवर्सिटी की जमीन पर इको पार्क बनने से गुस्से में छात्र
तेलंगाना सरकार ने हैदराबाद के कंचा गाचीबोवली में यूनिवर्सिटी ऑफ हैदराबाद की 2000 एकड़ जमीन पर दुनिया का सबसे बड़ा इको पार्क बनाने का ऐलान किया है. छात्रों और पर्यावरण प्रेमियों के विरोध के बाद यह फैसला लिया गया. सरकार UoH को फ्यूचर सिटी में 100 एकड़ जमीन और ₹1000 करोड़ का नया कैंपस बनाने का प्रस्ताव दे रही है. छात्र यूनियन ने इस प्रस्ताव को अस्वीकार किया है.

हैदराबाद के कंचा गाचीबोवली क्षेत्र में ज़मीन की नीलामी को लेकर उठे जबरदस्त विरोध के बाद अब तेलंगाना सरकार ने अपनी योजना में बड़ा बदलाव किया है. अब सरकार 400 एकड़ भूमि की नीलामी नहीं करेगी, बल्कि यूनिवर्सिटी ऑफ हैदराबाद (UoH) समेत पूरे 2000 एकड़ क्षेत्र को एक भव्य और वैश्विक स्तर का इको पार्क बनाने की योजना पर काम कर रही है.
यह फैसला तब आया जब सुप्रीम कोर्ट ने इस मुद्दे पर स्वतः संज्ञान लिया और इलाके में किसी भी प्रकार की गतिविधि, यहां तक कि पेड़ों की कटाई पर भी रोक लगा दी. वहीं केंद्र सरकार ने भी इस नीलामी की पूरी जानकारी मांगी थी, जिससे राज्य सरकार पर दबाव और बढ़ गया.
अब यूनिवर्सिटी होगी शिफ्ट
तेलंगाना सरकार के सूत्रों के मुताबिक, UoH को हैदराबाद के बाहरी इलाके में बनाए जा रहे 'फ्यूचर सिटी' में 100 एकड़ ज़मीन और ₹1,000 करोड़ का निवेश देकर एक नया अत्याधुनिक कैंपस दिया जाएगा. हालांकि विश्वविद्यालय प्रशासन का कहना है कि उन्हें अभी तक कोई औपचारिक प्रस्ताव नहीं मिला है. “अगर कोई प्रस्ताव आता है तो उसे कार्यकारी परिषद के समक्ष रखा जाएगा,” एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया.
'विश्व का सबसे बड़ा इको पार्क'
नई योजना के तहत बनने वाला इको पार्क न केवल देश में बल्कि दुनिया के सबसे बड़े शहरी हरित क्षेत्रों में से एक होगा. इसमें माइक्रो-इकोसिस्टम के तहत मिट्टी और जैव विविधता पर शोध, वन्यजीव संरक्षण क्षेत्र, सैकड़ों किस्म के पेड़ों का रोपण, वॉकिंग ट्रेल्स, साइक्लिंग ट्रैक्स, ओपन एयर जिम, बर्ड पार्क, बटरफ्लाई गार्डन और टर्टल पार्क जैसे आकर्षण शामिल होंगे.
सरकारी अधिकारी ने बताया, “हम दुनिया के अलग-अलग हिस्सों से विशेषज्ञों को बुलाना चाहेंगे. एक विशेषज्ञ समिति इस परियोजना की रूपरेखा तैयार करने से पहले वैश्विक इको पार्क परियोजनाओं का गहन अध्ययन करेगी.”
छात्रों और पर्यावरणविदों का विरोध जारी
UoH छात्र संघ और स्थानीय नागरिक इस योजना का विरोध कर रहे हैं. उनका कहना है कि विश्वविद्यालय को केवल 100 एकड़ में समेट देना अन्यायपूर्ण है. छात्र संघ अध्यक्ष उमेश अंबेडकर ने कहा, “हम अपनी ज़मीन और यूनिवर्सिटी के लिए लड़ रहे हैं, इसे इतनी आसानी से नहीं छोड़ सकते. 1600 एकड़ ज़मीन लेकर बदले में सिर्फ 100 एकड़ देना कहां का न्याय है?”
प्रदर्शनकारियों का कहना है कि कंचा गाचीबोवली पहले से ही पेड़ों की अंधाधुंध कटाई के कारण पर्यावरणीय नुकसान झेल रहा है. ऐसे में वहां और हरियाली खत्म करना पूरी पारिस्थितिकी को नुकसान पहुंचाएगा.
SC का दखल और आगे की राह
सुप्रीम कोर्ट की सख्ती और केंद्र सरकार की रुचि के चलते यह मामला अब राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा का विषय बन गया है. परियोजना को लेकर भले ही सरकार ने रुख नरम किया हो, लेकिन विश्वविद्यालय के छात्रों और स्थानीय निवासियों की नाराज़गी कम नहीं हुई है. आगे यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या सरकार सभी पक्षों को साथ लेकर इको पार्क का सपना साकार कर पाएगी या विरोध की आग और भड़केगी.