प्रिंसिपल की दबंगई, जिला शिक्षा अधिकारी के आदेशों के बावजूद, गैपियर छात्रों को स्कूल में नहीं दिया जा रहा दाखिला

जहां एक ओर हमारी प्रदेश सरकार हर बच्चे को शिक्षा के सभी आयाम हासिल करवाना चाहती है। ताकि कोई अशिक्षित न रहे, तो वहीं दूसरी ओर कुछ निकम्मे गुरुजन बच्चों को दबंगई के चलते इस शिक्षा के अधिकार से वंचित रख सरकार के आदेशों का उलंघन करने से बाज नहीं आ रहे

संबाददाता: राजीव मेहता (हरियाणा)

हरियाणा: जहां एक ओर हमारी प्रदेश सरकार हर बच्चे को शिक्षा के सभी आयाम हासिल करवाना चाहती है। ताकि कोई अशिक्षित न रहे, तो वहीं दूसरी ओर कुछ निकम्मे गुरुजन बच्चों को दबंगई के चलते इस शिक्षा के अधिकार से वंचित रख सरकार के आदेशों का उलंघन करने से बाज नहीं आ रहे।

जी हाँ हम बात कर रहे हैं विधानसभा कोसली के खंड जाटूसाना स्थित शहीद होशियार सिंह रा.व.मा.विद्यालय की जहाँ वर्ष 2019-20 में दसवीं और बारहवीं कक्षा में पढ़ने वाले अरुण और आशीष फेल हो गए। लेकिन घर की आर्थिक स्तिथि खराब होने के कारण दोनों विद्यार्थी दो वर्षों तक दाखिला नहीं करवा पाए।

लेकिन अब दोनों दुबारा से दाखिला लेकर पढ़ना चाहते हैं, इसके लिए जब वह स्कूल में 12 सितम्बर को दाखिला लेने पहुंचे तो उन्हें स्कूल प्रिंसिपल ने कहा कि वह दाखिले के लिए जिला शिक्षा अधिकारी से दाखिले की परमीशन लेकर आएं।

इसके बाद यह दोनों रेवाड़ी में जिला शिक्षा अधिकारी नसीब सिंह से मिले और दर्खास्त देकर दाखिले की इजाजत मांगी। दोनो विद्यार्थियों की मजबूरी समझते हुए उन्होंने दोनों को दाखिले की इजाजत देते हुए दर्खास्त को स्कूल प्रिंसिपल के नाम प्रेषित कर दिया। इसके बाद प्रिंसिपल ने उन्हें गैपियर सर्टिफिकेट बनवाने के लिए कहा, वह जब दुबारा स्कूल गए तो प्रिंसिपल महोदय ने यह कहकर दोनो को दाखिला नहीं दिया कि जिला शिक्षा अधिकारी ने उन्हें गलती से दाखिले की इजाजत देते हुए साइन कर दिए थे।

लेकिन उन्होंने फोन कर दाखिला देने से इंकार कर दिया और बच्चे मायूस होकर बिना दाखिले घर लौट गए। इस संदर्भ में जब हमारे संवाददाता जिला शिक्षा अधिकारी के पास गए तो वह वहां उपलब्ध नहीं हुए। लेकिन उन्होंने फोन पर बताया कि उन्होंने स्कूल प्रिंसिपल को लिखित में दोनों बच्चों को दाखिला देने के निर्देश दिए हैं।

वहां से हमारे संवाददाता को विद्यालय शिक्षा निदेशालय हरियाणा सरकार द्वारा जारी किया गया एक पत्र मिला, जिसमे साफतौर पर प्रदेश के सभी सरकारी स्कूलों के लिए निर्देश दिये गए हैं कि जो विद्यार्थी दाखिला लेने से वंचित रह गए हैं, उन्हें 15 सितम्बर तक दाखिला दे दिया जाए।

अब दोनों बच्चों को दाखिला न देने और जिला शिक्षा अधिकारी व शिक्षा विभाग के आदेशों की अवहेलना करने के पीछे स्कूल प्रिंसिपल महोदय की क्या मंशा है यह वही जाने लेकिन वह मीडिया के कैमरे के सामने कुछ बोलने को तैयार नहीं। अब देखना यह होगा कि मीडिया के हस्तक्षेप के बाद भी दोनो बच्चों को दाखिला मिलता है या फिर ऐसे दबंग गुरुजनों के कारण कब तक वंचित होते रहेंगे नौनिहाल शिक्षा के अधिकार से।

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15 September 2022, 05:49 PM IST

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