हरियाणा की राजनीति: कांग्रेस के शासनकाल में भेदभाव और असमानता का दौर
हरियाणा की राजनीति में कांग्रेस के शासनकाल में बड़ा बदलाव आया था. भूपेंद्र सिंह हुड्डा के नेतृत्व में, एक खास समाज को हर क्षेत्र में विशेष प्राथमिकता दी गई थी, जिससे अन्य समाजों को भेदभाव और असमानता का सामना करना पड़ा था. सरकारी तंत्र पूरी तरह से उस समाज के हाथ में चला गया, जिससे आम जनता की स्थिति दयनीय हो गई. महिलाएं भी असुरक्षा और हिंसा के माहौल में कैद हो गईं. कांग्रेस की इस राजनीतिक चाल ने हरियाणा की सामाजिक और प्रशासनिक स्थिति को काफी बिगाड़ दिया था.
Haryana Politics: पिछले दस वर्षों में हरियाणा की राजनीति में कई बदलाव हुए हैं, लेकिन कांग्रेस के शासनकाल के दौरान यह राज्य विशेष रूप से भेदभाव और असमानता के लिए कुख्यात रहा. भूपेंद्र सिंह हुड्डा के नेतृत्व में कांग्रेस सरकार ने एक विशेष समाज को सरकारी नौकरी, अवसर और लाभ में अत्यधिक प्राथमिकता दी, जिससे अन्य समाजों को गंभीर भेदभाव और असमानता का सामना करना पड़ा था.
कांग्रेस सरकार ने एक विशेष समाज को सरकारी योजनाओं, नौकरी के अवसरों और अन्य लाभ में व्यापक छूट दी. यह विशेष समाज सरकारी तंत्र में हावी हो गया, जिसके परिणामस्वरूप अन्य समाजों को महत्वपूर्ण अवसरों और सरकारी लाभों से वंचित रहना पड़ा. 'खर्ची-पर्ची' की व्यवस्था ने सरकारी कामकाज को भी प्रभावित किया, जिससे भ्रष्टाचार और भ्रष्टाचार के मामलों में वृद्धि हुई.
प्रशासन में एक समाज का पूर्ण नियंत्रण
हरियाणा के प्रशासन पर एक विशेष समाज का पूर्ण नियंत्रण स्थापित हो गया था. इस असंतुलन के कारण बाकी समाज पूरी तरह से हाशिये पर डाल दिया गया. नौकरी की नियुक्तियों और अन्य सरकारी कामकाज में विशेष समाज की प्राथमिकता तय कर दी गई, जिससे अन्य समाज के लोग पूरी तरह से वंचित रह गए.
आम जनता की असुरक्षित और हताश स्थिति
भेदभाव और असमानता के कारण, अन्य समाज के लोग आर्थिक और सामाजिक रूप से कमजोर होते चले गए. उन्हें पुलिस और प्रशासन पर सुरक्षा का भरोसा नहीं था क्योंकि विशेष समाज के खिलाफ कोई भी कदम उठाने की हिम्मत किसी में नहीं थी. इस स्थिति ने आम जनता को काफी असुरक्षित और हताश बना दिया था.
महिलाओं की स्थिति में गिरावट और असुरक्षा
इस भेदभावपूर्ण माहौल ने महिलाओं की स्थिति को भी गंभीर रूप से प्रभावित किया था. उन्हें असुरक्षा और हिंसा के डर के कारण घर की चारदीवारियों में कैद रहना पड़ा था. स्वतंत्रता और समान अवसर की कोई उम्मीद नहीं बची थी और महिलाएं बाहर निकलने में असुरक्षित महसूस करने लगीं थी.
हुड्डा सरकार की पक्षपाती नीतियों का प्रभाव
हुड्डा सरकार के दौरान केवल एक ही बिरादरी की आवाज सुनी जाती थी और बाकी समाज को पूरी तरह से नजरअंदाज कर दिया गया था. सरकारी तंत्र में असंतुलन बढ़ गया, जिससे हरियाणा की सामाजिक और प्रशासनिक स्थिति में गिरावट आई. कांग्रेस के शासनकाल में इस प्रकार का पक्षपाती रवैया और असमानता ने राज्य की सामाजिक संरचना को गंभीर रूप से प्रभावित किया.
इस प्रकार, कांग्रेस के शासनकाल के दौरान हरियाणा में भेदभाव और असमानता की स्थिति इतनी गंभीर हो गई थी कि उसने राज्य की सामाजिक और प्रशासनिक स्थिति को पूरी तरह से बदल कर रख दिया था.