टोंक में बवाल: SDM थप्पड़ कांड के बाद उग्र हुए नरेश मीणा के समर्थक, पुलिस को भी किया चकमा!

Video: राजस्थान के टोंक जिले में हुए SDM थप्पड़ कांड के बाद माहौल गरम हो गया है. निर्दलीय प्रत्याशी नरेश मीणा के समर्थक सड़कों पर उतर आए, गाड़ियों में आग लगा दी और तोड़फोड़ शुरू कर दी. पुलिस की कोशिशों के बावजूद नरेश मीणा हिरासत से फरार हो गए. क्या था वो विवाद, जिसने इस बवाल को जन्म दिया? जानें पूरी कहानी!

Aprajita
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Tonk Turmoil: राजस्थान के टोंक जिले में हुए SDM थप्पड़ कांड के बाद हालात बिगड़ते जा रहे हैं. देवली-उनियारा इलाके में निर्दलीय विधायक प्रत्याशी नरेश मीणा के समर्थक सड़कों पर उतर आए हैं और गाड़ियों में आगजनी और तोड़फोड़ कर रहे हैं. पुलिस और प्रशासन भी स्थिति को संभालने में नाकाम नजर आ रहे हैं और अब तक इस बवाल पर पूरी तरह से काबू नहीं पाया जा सका है.

क्या था पूरा मामला?

बुधवार, 13 नवंबर को टोंक जिले में हुए विधानसभा उपचुनाव के दौरान देवली-उनियारा विधानसभा सीट पर एक पोलिंग बूथ पर हंगामा हो गया था. निर्दलीय प्रत्याशी नरेश मीणा, जो कांग्रेस से बागी होकर चुनाव मैदान में हैं, ने चुनाव ड्यूटी पर तैनात एसडीएम अमित चौधरी को थप्पड़ मार दिया. दरअसल, नरेश मीणा उस समय नाराज हो गए जब एसडीएम अमित चौधरी ने समरावता गांव के ग्रामीणों को मतदान के लिए मनाने का प्रयास किया. यह गांव उनियारा तहसील के अंतर्गत आने की बजाय नगर फोर्ट तहसील के अंतर्गत आता है, जिसके कारण यहां के लोग इस बदलाव की मांग कर रहे थे.

ग्रामीणों ने अपनी इस मांग को लेकर मतदान का बहिष्कार कर दिया था और नरेश मीणा ने उनका समर्थन किया. जब एसडीएम ने इन ग्रामीणों से बात करने का प्रयास किया, तो नरेश मीणा गुस्से में आ गए और एसडीएम का कॉलर पकड़कर उन्हें थप्पड़ मार दिया.

नरेश मीणा की गिरफ्तारी से पहले बवाल

इस थप्पड़ कांड के बाद पुलिस ने नरेश मीणा को हिरासत में लेने की कोशिश की, लेकिन इस दौरान उनके समर्थक सड़कों पर उतर आए. पुलिस ने आंसू गैस के गोले फेंककर भीड़ को तितर-बितर करने की कोशिश की, लेकिन समर्थक उग्र हो गए और उन्होंने गाड़ियों में तोड़फोड़ और आगजनी की. इस दौरान, मौका देखकर नरेश मीणा पुलिस हिरासत से फरार हो गए. पुलिस अब भी उन्हें पकड़ने के प्रयास में जुटी हुई है, लेकिन हालात काबू से बाहर होते जा रहे हैं.

क्या है इस मामले की जड़?

यह घटना उस समय की है जब टोंक जिले के समरावता गांव के लोग अपनी मांग को लेकर चुनाव में हिस्सा नहीं लेना चाहते थे। उनका कहना था कि उनका गांव उनियारा तहसील के अंतर्गत होना चाहिए, जो उनकी आवागमन के हिसाब से ज्यादा सुविधाजनक है। हालांकि, चुनाव में भाग लेने के लिए प्रशासन ने आश्वासन दिया था कि आदर्श आचार संहिता हटने के बाद उनकी मांग पर विचार किया जाएगा.

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13 November 2024, 11:59 PM IST

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