लालू की दावत-ए-इफ्तार से कांग्रेस के शीर्ष नेता गायब! क्या पड़ने लगी है दरार?

बिहार की राजनीति में कांग्रेस के प्रमुख नेताओं पार्टी प्रभारी अल्लावरू कृष्णा और प्रदेश अध्यक्ष राजेश कुमार के इफ्तार पार्टी में शामिल न होने को लेकर सियासी हलकों में चर्चा का दौर शुरू हो गया है. इस घटना ने आरजेडी और कांग्रेस के बीच संबंधों में खटास को लेकर भी अटकलें तेज कर दी हैं.

बिहार में आगामी विधानसभा चुनावों को लेकर राजनीतिक दल अपने-अपने वोटरों को लुभाने की पूरी कोशिश कर रहे हैं। इस बीच, रमजान के महीने में इफ्तार पार्टियों का आयोजन राजनीतिक समीकरणों को साधने का एक अहम तरीका बन गया है. मुस्लिम समुदाय के वोट बैंक को ध्यान में रखते हुए यह कोशिशें तेज हो गई हैं. हालांकि, कांग्रेस इस बार राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के प्रयासों में सहयोग करने में दिख नहीं रही है. इसका मतलब यह निकाला जा रहा है कि कांग्रेस शायद अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए दबाव बना रही है.

कांग्रेस बिहार में महागठबंधन का हिस्सा 

कांग्रेस बिहार में महागठबंधन का हिस्सा है, जिसमें राष्ट्रीय जनता दल प्रमुख भूमिका निभा रहा है. सोमवार को आरजेडी द्वारा आयोजित दावते-ए-इफ्तार में कई मुस्लिम संगठन शामिल हुए, लेकिन कांग्रेस की ओर से कोई भी बड़ा नेता इसमें शरीक नहीं हुआ. यहां तक कि कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष और पार्टी प्रभारी भी इस आयोजन में शामिल नहीं हुए, जो कि सियासी हलकों में चर्चाओं का कारण बन गया.

इफ्तार पार्टी अब्दुलबारी सिद्दीकी के सरकारी आवास पर

आरजेडी की ओर से यह इफ्तार पार्टी अब्दुलबारी सिद्दीकी के सरकारी आवास पर आयोजित की गई थी. इसमें पार्टी के प्रमुख लालू प्रसाद यादव, राबड़ी देवी और तेजस्वी यादव भी मौजूद थे. इस मौके पर लालू यादव ने उपस्थित लोगों से मिलकर उनका हाल-चाल भी पूछा. हालांकि, कांग्रेस की ओर से केवल विधायक प्रतिमा दास ने इस इफ्तार पार्टी में भाग लिया, जबकि पार्टी के बड़े नेता इससे दूर रहे.

कांग्रेस और आरजेडी के रिश्तों में खटास को लेकर अब सवाल उठने लगे हैं. कन्हैया कुमार की बिहार में एंट्री और कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष पद से लालू के करीबी अखिलेश सिंह की हटाने के बाद यह मुद्दा और गहरा हो गया है. कांग्रेस के भीतर संगठनात्मक बदलाव के संकेत भी सामने आए हैं, जैसे कि प्रदेश अध्यक्ष के रूप में राजेश कुमार की नियुक्ति, जो दलित वोट बैंक को साधने के उद्देश्य से किया गया है. 

कांग्रेस की कोशिश है कि वह आरजेडी पर दबाव बना सके, क्योंकि आगामी चुनावों में आरजेडी कांग्रेस को ज्यादा सीटें देने के मूड में नहीं है. पिछले चुनाव में कांग्रेस ने 70 सीटों पर चुनाव लड़ा था, जिसमें से 19 सीटों पर जीत हासिल की थी. अब पार्टी अधिक सीटों की उम्मीद कर रही है.

बिहार में इफ्तार पार्टियों की एक झड़ी

बिहार में इस समय इफ्तार पार्टियों की एक झड़ी लग गई है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और प्रिंसिपल नेता प्रशांत किशोर ने भी इफ्तार पार्टियों का आयोजन किया. केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान और अन्य राजनीतिक दल भी इस दौरान इफ्तार पार्टियों का आयोजन कर रहे हैं. बिहार की 243 विधानसभा सीटों में से 47 सीटों पर मुस्लिम वोटर निर्णायक भूमिका निभाते हैं. ऐसे में इन इफ्तार पार्टियों की राजनीति का अहम प्रभाव पड़ने की संभावना है.

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24 March 2025, 11:10 PM IST

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