Maharashtra Politics: महाराष्ट्र में कुछ महीने बाद विधानसभा चुनाव होने हैं. इस बीच राज्य में सियासी उथल-पुथल देखने को मिली रही है. इस बीच हालात ऐसे बन गए हैं कि अब पार्टी के कार्यकर्ता दूसरे से लड़ते नजर आ रहे हैं. इस दौरान कोई शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे की गाड़ी पर नारियल से अटैक कर रहा है तो कोई मनसे चीफ राज ठाकरे की गाड़ी पर सुपारी फेंक रहा. इस बीच अब महाराष्ट्र की सियासत में ठाकरे बनाम ठाकरे की जंग एक बार फिर से शुरू जो गई है. ऐसे में अब राजनीतिक गलियारों में चर्चा उठने लगी है कि आगामी चुनाव में किसको फायदा मिलेगा.
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, राज्य में विधानसभा चुनाव से पहले दोनों ठाकरे एक दूसरे तीखे हमले करते हुए नजर आ रहे हैं. दरअसल, ठाकरे ब्रदर्स की आपस में अपनी कोई लड़ाई नहीं है. बता दें कि जब राज ठाकरे शिवसेना पार्टी छोडकर गए थे तो 2006 में उन्होंने खुद की महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (एमएनएस) पार्टी का गठन किया था. ऐसे में उस समय से आज तक यानी 18 साल से यह दोनों भाइयों की लड़ाई की गूंज पूरे सियासी गलियरों में है.
मराठी मानुस से लेकर हिंदुत्व के मुद्दे को लेकर राज और उद्धव की पार्टी का राजनीतिक अजेंडा रहा. वहीं बात उद्धव ठाकरे की बात करें तो वह हिंदुत्व के मुद्दे से पूरी तरह से भटक चुके हैं. ऐसे में अब साफ है कि आने वाले विधानसभा चुनाव में इन दोनों के वोटरों में बंटवार होना तय है. इसका फायदा किसको होगा? दो भाइयों को होगा या फिर महाविकास आघाडी और एनडीए को? ये तो परिणाम आने के बाद ही पता चलेगा.
आपको ध्यान होगा कि 2009 के चुनाव में राज ठाकरे पहली बार विधानसभा चुनाव के मैदान में उतरे थे. उस समय ठाकरे के 13 विधायकों को जीत हासिल हुई थी, जबकि इसी चुनाव में उद्धव ठाकरे के 44 विधायक को सफलता हासिल हुई थी. वहीं 2014 और 2019 में राज ठाकरे की पार्टी एक-एक विधायक चुना गया. उस तुलना में उद्धव ठाकरे के 2014 में 63 और 2019 में 56 विधायकों जीत हासिल हुई थी.
वर्तमान महाराष्ट्र की राजनीति पूरी तरह से बदल चुकी है. उद्धव ठाकरे अब शरद पवार और कांग्रेस के साथ हैं तो उनके 40 विधायक बगवात करके बीजेपी और अजित पवार की पार्टी के साथ हैं. वहीं, राज ठाकरे महाराष्ट्र की यात्रा पर चल रहे, अपनी पार्टी को जमीन पर जिंदा रखने का प्रयास कर रहे हैं. उन्होंने लोकसभा चुनाव में एनडीए को समर्थन दिया था. अब राज ठाकरे ने विधानसभा चुनाव में अकेले दम पर लड़ने का फैसला लिया है.
ऐसे में अगर राज और उद्धव भिड़ते हैं तो इसका फायदा हिंदुत्व और मराठी मानुस के लिए काम करने वाली एक नाथ शिंदे वाली शिवसेना को ज्यादा हो सकता है, जो शिवसेना उद्धव ठाकरे से बगावत करके बीजेपी के साथ गई है. ऐसा पहिला बार होगा जहां राज ठाकरे, उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे के उम्मीदवार एक दूसरे के खिलाफ होंगे. इन तीनों के झगड़े में अन्य पार्टियां इसका लाभ उठा सकती हैं. इसलिए इस खिचड़ी विधानसभा चुनाव में में क्या होगा ये तो नतीजों के बाद पता चल जाएगा.
First Updated : Monday, 12 August 2024