उज्जैन: यूरोप के दो देशों के युद्ध के प्रभाव की चपेट में आया बिड़ला घराना का ग्रेसिम उद्योग

यूरोप के दो देशों के आपसी युद्ध तथा विश्व व्यापी मंदी का प्रभाव उज्जैन जिले के औधोगिक नगर नागदा में स्थित बिड़ला कंपनी के संचालित ग्रेसिम उद्योग पर भी पड़ा है

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संबाददाता- चन्द्रभान सिंह देवड़ा (नागदा, मध्यप्रदेश)

मध्यप्रदेश। यूरोप के दो देशों के आपसी युद्ध तथा विश्व व्यापी मंदी का प्रभाव उज्जैन जिले के औधोगिक नगर नागदा में स्थित बिड़ला कंपनी के संचालित ग्रेसिम उद्योग पर भी पड़ा है। यह उद्योग विश्व विख्यात है, जिसका मुख्य उत्पादन स्टेपल फाईबर है। इस उद्योग के उत्पादन का उपयोग देश -विदेश में कपडों के निर्माण में किया जाता है। उद्योग के उत्पादन स्टेपल फाईबर की ब्रिकी बाजार में पर्याप्त नहीं होने से उत्पादन में भारी गिरावट आ गई है।

प्रबंधन ने भविष्य में और भी इस स्थिति के खराब होने की संभावना जताई है। उद्योग प्रबंधन इस विपरीत परिस्थति से निपटने के लिए हरकत में आया है। जिसके तहत कारखाना के सूचना बोर्ड पर, एक सूचना सार्वजनिक की है।

जिसमें यह जताया गया है कि उद्योग का उत्पादन भारी मात्रा में एकत्रित हो गया और बाजार में इसकी खपत में भारी गिरावट आई है। भविष्य में और भी गिरावट की संभावना है। ऐसी स्थिति में उद्योग प्रबंधन ने कर्मचारियों को आगाह किया है कि ले- आफ जैसे कदम उठाने के लिए प्रबंधन को विवश होना पड़ सकता है।

प्रमाण सुरक्षित -

सूचना उद्योग के नोटिस बोर्ड पर सार्वजनिक की गई है। जिस पर उद्योग के सहायक उपाध्यक्ष औधोगिक संबंध विनोद कुमार मिश्रा के हस्ताक्षर है। इस सूचना की प्रति समाचार संवाददाता नागदा के पास सुरक्षित है। गौरतलब है कि ले -आफ जैसी स्थिति बनती है तो जैसा कि प्रबंधन चिंता जता रहा है, उसके मान से सैकड़ों ठेका श्रमिकों के बेरोजगार होने तथा स्थायी मजदूरों पर भी प्रभाव पड़ने की संभावना है। हालांकि कोरोना काल में लगभग 2500 ठेका मजदूरों को इस उद्योग से नौकरी से हाथ धोना पड़ा था।

प्रबंधन की यह चिंता -

ग्रेसिम प्रबंधन की लिखित सूचना के अनुसार यह विश्व व्यापी परिदृष्य में फाइबर की मांग अत्यधिक कम हो गई है। इस प्रकार की स्थिति बनने का मुख्य कारण यूरोप के दो देशों के बीच युद्ध एवं खुली व्यापार व्यवस्था को दोषी बताया जा रहा है। आगे यह भी स्पष्ट किया है कि मुख्य उत्पादन जिन मशीनों से किया जाता है, उसमें कुछ को बंद कर दिया गया है। संस्थान के पास उत्पादित फाईबर की मात्रा अधिक एकत्रित होने की बात भी बताई गई है।

बड़ा खुलासा यह किया गया है कि इस उत्पादन को बाजार में विक्रय करना कठिन हो रहा है। इस प्रकार की स्थिति 6 से 8 माह तक ठहरने की संभावना भी जताई है। एक बडी चिंता यह भी जताई है कि विश्व व्यापार की परिस्थतियां इसी प्रकार से चलती रही तो कारखाने का उत्पादन और भी कम करना पड़ सकता है। यहां तक लिखा कि ले- ऑफ के लिए भी प्रबंधन को कदम उठाने के लिए विवश होना पड़ सकता है।.

क्या होता है ले-

ऑफ श्रम संगठनों से प्राप्त जानकारी के अनुसार प्राकृतिक आपदा अथवा उद्योग में विषम स्थिति बनने पर प्रबंधन मजदूरों को ले- ऑफ दे सकता है। इसका प्रभाव अस्थायी कर्मचारियों पर तो पड़ता ही है, साथ ही स्थायी मजदूर पर भी लागू होता है। कारण कि जब उद्योग उत्पादन में गिरावट आती है तो मशीने बंद होती है।

ऐसी स्थिति में प्रबंधन को कारखाना चलाने के लिए कर्मचारियों की आवश्यकता नहीं पडती हैै। सीमित कर्मचारियों को काम पर बुलाया जाता है। जिन स्थायी कर्मचारी को कार्य पर नहीं बुलाया जाता है उनको पूरा वेतन नही मिलता है। लगभग 50 प्रतिशत राशि उस दिन मिलेगी जिस दिन उसको घर पर बैठाया गया है। जबकि ठेका मजदूर तो बेरोजगारी के मुहाने पर ही खड़े रहेंगे।

कर्मचारियों से अपेक्षा -

प्रबंधन ने यह भी खुलासा किया है कि इस विकट स्थिति से निपटने के लिए श्रम संगठनों के संयुक्त मोर्चा को अवगत करा दिया है। कर्मचारियों से भी अपेक्षा की है कि वे अपने अपने स्तर पर इस विकट परिस्थति से निपटने के लिए सहयोग करें।

प्रबंधन कर्मचारियों से किस प्रकार अपेक्षा चाहता है, उन बातों को भी रेखांकित किया गया है। पहली अपेक्षा उत्पादन की गुणवत्ता में बेहतर सुधार, दूसरी ओवर टाईम में कटौती करना बताया है। सुरक्षित कार्य प्रणाली पर जोर देने तथा अन्य खर्च कम करने की बात भी शामिल है।

विश्व प्रतिस्पर्धा में स्थान -

समय-समय पर ग्रेसिम प्रबंधन ने शासकीय कार्यालयों में अपनी यूनिट के बारे में जानकारियां प्रस्तुत की है। ग्रेसिम प्रबंधन ने दस्तावेजों में दावा किया है कि मेसर्स ग्रेसिम इंडस्ट्रीज लिमिटेड (जीआईएल) 25 अगस्त 1947 में स्थापित हुई। यह आदित्य बिड़ला ग्रुप की एक प्रमुख कंपनी है।

इन दस्तावेजों में यह दावा किया गया है कि यह भारत कीे निजी क्षेत्र की संबसे बड़ी कंपनी है। इसका मुख्य व्यवसाय विस्कोस स्टेपल फाईबर है। यह भी दावा किया गया है कि आदित्य बिड़ला ग्रुप दुनिया का प्रमुख वीएसएफ (विस्कोस स्टेपल फाईबर) निर्माता है। जो कि दुनिया में 23 फीसदी वैश्विक बाजार में अपनी हिस्सेदारी रखता है।

ग्रेसिम का वैश्विक बाजार में 498 किलो टन प्रतिवर्ष के साथ 9 प्रतिशत की सहभागिता बताई है। मेसर्स ग्रेसिम इंडस्ट्रीज लिमिटेड के भारत देश में चार विस्कोस स्टेपल फाईबर प्लांट है। मप्र में नागदा, कनार्टक में हरिहर, खरच और गुजरात के विलायत में संचालित है।

नागदा में उत्पादन स्वीकृति -

उपलब्ध प्रमाणित दस्तावेजों के अनुसार इन दिनों ग्रेसिम को 2,33,600 टन प्रतिवर्ष विस्कोस फाईबर निर्माण की वर्तमान में अनुमति है। यह अनुमति लगभग 2 वर्ष पहले भारत सरकार पर्यावरण मंत्रालय से मिली है। उसके पहले 1,44,175 टन प्रतिवर्ष की स्वीकृति थी। इसी प्रकार से विशेष किस्म के एक्सल फाईबर की 36,500 टन प्रतिवर्ष की मंजूरी है।

अभी इस प्रकार उत्पादन -

मिली जानकारी के अनुसार वर्तमान में ग्रेसिम उत्पादन में भारी गिरावट आई है। किसी समय प्रतिदिन औसतन 395 टन उत्पादन होता था, वहां अब सिमटकर 250 से 275 टन प्रति दिन आ गया है। उद्योग में कुल 11 में से महज 6 मशीनों से उत्पादन होने की खबर है।

उद्योग को चलाने के लिए यहां पर पावर हाउस भी बने हैं। बिजली भी यहां उत्पादित होती है, जिसके लिए कोयले की आवश्यकता होती है। किसी समय कोयला प्रतिदिन 2,400 टन प्रतिदिन उपयोग में लाया जाता था। अब इसकी मात्रा महज एक हजार टन प्रतिदिन पर सिमट गई। First Updated : Monday, 17 October 2022