यूपी उपचुनाव: बीजेपी की बड़ी तैयारी, उम्मीदवारों का ऐलान जल्द, क्या लौट आएगी खोई प्रतिष्ठा?
उत्तर प्रदेश के उपचुनावों में बीजेपी ने अपनी तैयारियों को तेज कर दिया है. पार्टी जल्द ही उम्मीदवारों के नाम की घोषणा करने वाली है, जिसमें अयोध्या और अंबेडकरनगर की सीटें खास चर्चा में हैं. वहीं, मीरापुर सीट RLD को मिलने की संभावना है. इन उपचुनावों को 2027 के विधानसभा चुनावों से पहले का सेमीफाइनल माना जा रहा है. क्या बीजेपी इन चुनावों में अपनी खोई हुई प्रतिष्ठा वापस पाएगी? जानिए पूरी कहानी!
UP By Elections: उत्तर प्रदेश में 2024 के उपचुनाव ने बीजेपी के लिए एक बड़ी चुनौती पेश कर दी है. पिछले लोकसभा चुनावों में सीटों की संख्या में कमी के बाद, बीजेपी अब इन उपचुनावों को प्रतिष्ठा का विषय मान रही है. पार्टी ने पूरे जोर-शोर से तैयारी शुरू कर दी है और जल्द ही प्रत्याशियों के नाम की घोषणा करने वाली है.
बीजेपी की योजना को आगे बढ़ाने के लिए, यूपी बीजेपी का कोर ग्रुप रविवार (12 अक्टूबर) को दिल्ली में बैठक करेगा. इस बैठक में बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा, गृहमंत्री अमित शाह, यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और दोनों डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य तथा ब्रजेश पाठक मौजूद रहेंगे. बैठक में 3-3 नामों के पैनल को लेकर चर्चा की जाएगी ताकि सही उम्मीदवारों का चयन किया जा सके.
संभावित उम्मीदवारों की चर्चा
बीजेपी की नजरें अयोध्या की मिल्कीपुर और अंबेडकरनगर की कटेहरी सीट पर हैं, जहां 4-5 संभावित नामों का पैनल तैयार किया गया है. इसके साथ ही, यूपी की 10 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव के लिए पार्टी पूरी ताकत झोंक रही है. ये सीटें हैं: मिल्कीपुर, कटेहरी, सीसामऊ, करहल, खैर, मंझवा, फूलपुर, गाजियाबाद शहर, मीरापुर और कुंदरकी.
RLD के लिए खुशखबरी
मीरापुर सीट पर चर्चा करते हुए यह पता चला है कि यह सीट RLD के खाते में जाएगी. यह एक महत्वपूर्ण जानकारी है, जो राजनीतिक समीकरणों को प्रभावित कर सकती है. वहीं, समाजवादी पार्टी ने 6 सीटों पर अपने प्रत्याशियों का ऐलान कर दिया है और बसपा ने भी कुछ सीटों पर अपने उम्मीदवारों की घोषणा की है. आजाद समाज पार्टी ने भी अपनी तरफ से कुछ उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है.
उपचुनाव का महत्व
इन उपचुनावों को 2027 के विधानसभा चुनावों से पहले एक सेमीफाइनल के रूप में देखा जा रहा है. बीजेपी के लिए यह एक महत्वपूर्ण मौका है, क्योंकि इसे हारने पर पार्टी की रणनीति पर सवाल उठ सकते हैं. ऐसे में पार्टी को न केवल जीत हासिल करनी है, बल्कि अपने प्रति जनता के विश्वास को भी मजबूत करना है.
उपचुनाव के लिए सभी पार्टियां अपनी तैयारियों में जुटी हुई हैं और ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि बीजेपी किस तरह से अपनी चुनावी रणनीतियों को लागू करती है और कौन से उम्मीदवार चुनावी मैदान में उतरते हैं.