वक्फ कानून पर बिहार में सियासी संग्राम, क्या नीतीश और चिराग को होगा नुकसान?
2025 के बिहार विधानसभा चुनाव से पहले नया वक्फ कानून बड़ा राजनीतिक मुद्दा बनकर उभरा है. केंद्र सरकार द्वारा पारित इस कानून को लेकर बिहार में सत्ता पक्ष और विपक्ष आमने-सामने हैं. बीजेपी और उसके सहयोगी दल जहां इसका समर्थन कर रहे हैं, वहीं आरजेडी, कांग्रेस, वामदल और मुस्लिम संगठन विरोध में हैं.

2025 के बिहार विधानसभा चुनाव से पहले वक्फ कानून सियासी दलों के लिए अग्निपरीक्षा बन गया है. केंद्र की मोदी सरकार द्वारा पारित नए वक्फ कानून ने बिहार की राजनीति में हलचल मचा दी है. मुस्लिम आबादी वाले इलाकों में यह कानून सबसे बड़ा मुद्दा बन चुका है और इसका असर सीधे चुनावी समीकरणों पर पड़ने वाला है. जहां एनडीए इसके समर्थन में खड़ा है, वहीं विपक्षी पार्टियां और मुस्लिम संगठन विरोध में मोर्चा खोल चुके हैं.
राज्य में 17.7 फीसदी मुस्लिम आबादी होने के कारण सभी राजनीतिक दल अब मुस्लिम वोट बैंक को साधने में जुट गए हैं. विपक्ष इस कानून को मुसलमानों की संपत्ति और धार्मिक अधिकारों पर हमला बता रहा है, तो सत्ता पक्ष इसे मुस्लिम हित में बताया रहा है. ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि मुसलमान 2025 के विधानसभा चुनाव में किस दल के साथ खड़े होते हैं.
वक्फ कानून पर बिहार की सियासत
बिहार में बीजेपी, जेडीयू, एलजेपी (रामविलास) और HAM जैसे एनडीए घटक दल वक्फ कानून के समर्थन में हैं. वहीं दूसरी ओर कांग्रेस, आरजेडी, वामदल और प्रशांत किशोर की जनसुराज पार्टी इसके खिलाफ खड़ी है. मुस्लिम संगठनों के विरोध और सड़क पर उतरने के बाद यह मुद्दा अब वोट की राजनीति का अहम हिस्सा बन गया है.
मुस्लिम वोट बैंक की अहमियत
बिहार की 243 विधानसभा सीटों में से 48 पर मुस्लिम मतदाता निर्णायक भूमिका निभाते हैं. सीमांचल के इलाके में मुस्लिमों की संख्या 40 से 70 फीसदी तक है. यहां मुस्लिम वोट किसी भी पार्टी की किस्मत बदल सकते हैं. यही कारण है कि वक्फ कानून पर राजनीतिक दलों का रुख मुस्लिम वोटों को ध्यान में रखकर तय हो रहा है.
नीतीश, चिराग, मांझी के लिए बढ़ी चिंता
वक्फ कानून पास कराने में जेडीयू, एलजेपी और HAM जैसे सहयोगी दलों की अहम भूमिका रही. मुस्लिम संगठनों का मानना है कि अगर इन दलों ने समर्थन नहीं दिया होता, तो बिल पास नहीं हो सकता था. अब यही समर्थन उनके मुस्लिम वोट बैंक को नुकसान पहुंचा सकता है. जेडीयू ने डैमेज कंट्रोल के लिए अपने मुस्लिम चेहरों को मैदान में उतार दिया है.
विपक्ष को मिल रहा बढ़त का मौका
आरजेडी और कांग्रेस जैसे दल वक्फ कानून को मुस्लिम विरोधी बताकर मुस्लिम वोटरों को अपने पाले में खींचने की रणनीति अपना रहे हैं. लालू यादव और तेजस्वी यादव मुस्लिम संगठनों के विरोध में कंधे से कंधा मिलाकर चल रहे हैं. कांग्रेस भी संसद से सड़क तक इस कानून के खिलाफ मोर्चा खोले हुए है.
असदुद्दीन ओवैसी और प्रशांत किशोर भी हुए एक्टिव
AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी और जनसुराज के प्रशांत किशोर वक्फ कानून के खिलाफ खुलकर बोल रहे हैं. ओवैसी जहां सख्त तेवर में हैं, वहीं किशोर मुस्लिम बहुल इलाकों में जाकर समर्थन जुटा रहे हैं. दोनों की नजरें 2025 के चुनाव में मुस्लिम वोटों के बंटवारे पर हैं.
2025 में कौन बनेगा मुस्लिमों की पहली पसंद?
2020 और 2024 के चुनावी आंकड़े बताते हैं कि मुस्लिमों का झुकाव मुख्य रूप से आरजेडी और कांग्रेस की ओर रहा है. जेडीयू को मात्र 5 फीसदी मुस्लिम वोट मिले. अब वक्फ कानून के मुद्दे ने यह स्थिति और भी जटिल बना दी है. ऐसे में यह देखना अहम होगा कि 2025 में मुस्लिम मतदाता किस पार्टी पर भरोसा जताते हैं.