UP By Election 2024 Voting: उत्तर प्रदेश विधानसभा उपचुनाव में वोटिंग के दिन बुर्का एक बड़ा मुद्दा बन गया है. बीजेपी ने चुनाव आयोग को पत्र लिखकर आरोप लगाया है कि बुर्के की आड़ में फर्जी वोटिंग हो रही है. बीजेपी का कहना है कि फर्जी मतदाता पहचान पत्र बनवाकर वोट डाले जा रहे हैं. वहीं, समाजवादी पार्टी (सपा) के नेता अखिलेश यादव ने भी आरोप लगाया है कि पुलिस महिलाओं से पहचान पत्र देखने की मांग कर रही है और बुर्का पहने महिलाओं को वोट डालने से रोकने की कोशिश कर रही है. वह इस मुद्दे पर प्रेस कांफ्रेंस करने की तैयारी कर रहे हैं.
बीजेपी ने मीरापुर विधानसभा में फर्जी वोटिंग की शिकायत की है. उनका कहना है कि वहां मस्जिदों और मदरसों में बाहरी लोगों को रोककर फर्जी पहचान पत्र बनवाए गए हैं. उत्तर प्रदेश के मुख्य निर्वाचन अधिकारी नवदीप रिणवा ने कहा कि बुर्का पहने मतदाताओं के लिए गाइडलाइन पहले से तय है. सभी को पहचान पत्र अपने साथ रखना होता है. कुछ शिकायतें आई थीं, जिनकी रिपोर्ट मांगी गई है. मीरापुर में एक जगह उपद्रव हुआ है, लेकिन वह पोलिंग सेंटर से दूर था. जहां शिकायतें आ रही हैं, वहां से जानकारी इकट्ठा की जा रही है.
अखिलेश यादव ने दोपहर को प्रेस कांफ्रेंस करते हुए कई सवाल उठाए. उन्होंने कहा कि वोटिंग के दौरान ही शिकायतें आनी शुरू हो गई थीं, और सपा ने चुनाव आयोग से इन शिकायतों के बारे में बार-बार शिकायतें भेजी हैं. अखिलेश ने आरोप लगाया कि बीजेपी हार के डर से प्रशासन पर दबाव बना रही है.
अखिलेश यादव ने मतदाताओं से अपील की कि वे बिना डर के वोट डालने जाएं और गड़बड़ी करने वाले अधिकारियों को बख्शा नहीं जाएगा. उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग के निर्देशों के बावजूद पुलिस आईडी चेक कर रही है, जो गलत है. उन्होंने इस मामले में वीडियो और फोटो इकट्ठा करने की बात भी की और कहा कि इन अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी.
करहल में दलित लड़की की हत्या पर भी अखिलेश ने बीजेपी को घेरा. उन्होंने कहा कि बीजेपी झूठ बोल रही है और चुनावी प्रक्रिया को गड़बड़ कर रही है. उन्होंने कुछ अधिकारियों के नाम भी लिए और आरोप लगाया कि बीजेपी मदरसों में लोगों को रोककर वोट डलवा रही है.
अखिलेश यादव ने सुप्रीम कोर्ट और चुनाव आयोग से अपील की कि वे तुरंत कार्रवाई करें और निष्पक्ष चुनावी प्रक्रिया सुनिश्चित करें. उन्होंने कहा कि जिन पुलिस अधिकारियों ने वोटर कार्ड और आधार आईडी चेक की, उन्हें वीडियो के आधार पर निलंबित किया जाए, क्योंकि पुलिस को ऐसा करने का अधिकार नहीं है. First Updated : Wednesday, 20 November 2024