'हमने समर्थन दिया, फिर भी तरजीह नहीं मिली!' – कांग्रेस जिलाध्यक्षों का फूटा गुस्सा

झारखंड में कांग्रेस जिलाध्यक्षों ने पार्टी नेतृत्व पर नाराजगी जताते हुए कहा कि सरकार को समर्थन देने के बावजूद कार्यकर्ताओं को तवज्जो नहीं मिल रही. सांसद अपनी अलग कमेटी चला रहे हैं, जिससे संगठन कमजोर हो रहा है. अब सवाल ये है कि पार्टी नेतृत्व इस नाराजगी को कैसे संभालेगा? पढ़ें पूरी खबर!

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Edited By: Aprajita

Jharkhand: कांग्रेस के जिलाध्यक्षों की नाराजगी इस कदर बढ़ गई है कि उन्होंने पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष प्रदीप कुमार बलमुचू और सह प्रभारी अब्दुल मन्नान के सामने अपनी पूरी भड़ास निकाल दी.

उनका कहना है कि सरकार को बाहर से समर्थन देने के बावजूद कांग्रेस कार्यकर्ताओं को कोई तवज्जो नहीं मिल रही. हालात ऐसे हैं कि खुद पार्टी के सांसद भी जिला कमेटियों की बात नहीं सुनते और अपनी पैरलल कमेटी चला रहे हैं. इससे कांग्रेस संगठन को मजबूत करना बेहद मुश्किल हो रहा है.

'अपनी ही सरकार में अनदेखी!'

झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के बुलावे पर 9 नवंबर को तमाम जिलाध्यक्ष रांची पहुंचे थे. बैठक में उन्होंने पार्टी नेतृत्व के सामने अपनी परेशानियों को रखा. जिलाध्यक्षों ने आरोप लगाया कि 20 सूत्री कमेटी के लिए नामों की अनुशंसा सांसदों को सौंप दी गई थी, लेकिन उन्होंने बीजेपी और आरजेडी कार्यकर्ताओं को इसमें जगह दिला दी. कांग्रेस के लोग पूरी तरह से नजरअंदाज कर दिए गए.

'सांसदों की मनमानी, संगठन हुआ कमजोर'

रांची के जिलाध्यक्ष अमर उरांव ने कहा कि कांके के प्रखंड अध्यक्ष खुद को जिला कमेटी से ऊपर मानते हैं, क्योंकि उन्हें सांसद का समर्थन मिला हुआ है. ऐसे में पार्टी कार्यकर्ताओं की स्थिति कमजोर हो रही है. महानगर कांग्रेस अध्यक्ष विनय सिन्हा दीपू ने भी अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि मोर्चा संगठन के प्रदेश अध्यक्ष जिलाध्यक्षों की मनोनयन प्रक्रिया में उनकी राय तक नहीं लेते. यहां तक कि प्रदेश अध्यक्ष को भी इस बारे में कोई जानकारी नहीं दी जाती.

'सरकारी योजनाओं में कांग्रेस गायब!'

बैठक में मौजूद अन्य नेताओं ने भी अपनी शिकायतें सामने रखीं. उनका कहना था कि रेलवे और दूरसंचार की सरकारी कमेटियों में कांग्रेस के किसी भी सदस्य को जगह नहीं दी गई. यही नहीं, जब मुख्यमंत्री और मंत्री किसी जिले में सरकारी कार्यक्रम करने आते हैं, तो कांग्रेस कार्यकर्ताओं को इसकी सूचना तक नहीं दी जाती. सरकारी विज्ञापनों में यूपीए के बड़े नेताओं का नाम तक नहीं होता, सिर्फ संबंधित मंत्री अपनी तस्वीरें छपवा लेते हैं.

'समर्थन दिया, लेकिन सत्ता में पकड़ नहीं!'

कांग्रेस नेताओं ने कहा कि पार्टी ने झारखंड सरकार को समर्थन तो दिया, लेकिन इस समर्थन का कोई फायदा नहीं मिल रहा. संगठन को लगातार नजरअंदाज किया जा रहा है और पार्टी कार्यकर्ता खुद को असहाय महसूस कर रहे हैं. अगर ऐसा ही चलता रहा, तो कांग्रेस के लिए राज्य में अपनी पकड़ बनाए रखना मुश्किल हो जाएगा.

अब देखना होगा कि प्रदेश कांग्रेस नेतृत्व जिलाध्यक्षों की इन शिकायतों पर क्या कदम उठाता है या फिर यह नाराजगी और बढ़ती जाएगी!

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16 March 2025, 08:44 PM IST

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