बुलडोजर एक्शन पर रोक लगने से क्या होगा 'बाबा' पर असर, अब कैसे अपराधियों को कंट्रोल करेंगे सीएम योगी?
Supreme Court on Buldozer Demolition: मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश में कुछ अपराधियों के घरों पर बुलडोजर चला दिया गया. आरोपियों को सबक सिखाने के लिए राज्य सरकार की ओर से सख्त कार्रवाई की गई. सरकार के इस फैसले के खिलाफ जमीयत उलेमा ए हिंद संगठन ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने सख्त टिप्पणी की है. जस्टिस गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन ने कहा कि अगर कोई अपराधी है तो भी उसके घर पर बुलडोजर नहीं चलाया जा सकता. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में सरकार को हलफनामा दाखिल करने का आदेश दिया है.
Supreme Court on Buldozer Demolition: बुलडोजर एक्शन की जब बात आती होगी आपको यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ की याद जरूर आती होगी. उत्तर प्रदेश के बाद सबसे ज्यादा बुलडोजर एक्शन मध्यप्रदेश में देखने को मिला. सीएम योगी का ये सख्त एक्शन देशभर में फेमस था. 2022 के विधानसभा चुनाव में ही योगी को बुलडोजर बाबा का नाम मिला था. उनका ये नाम एक ब्रांड भी बन गया था. अब सुप्रीम कोर्ट ने इस एक्शन पर रोक लगा दी है. ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर इसका योगी आदित्यनाथ की राजनीति पर कितना असर होगा? तो आइए जानते हैं.
देश में कई अपराधियों के घरों पर बुलडोजर चला दिया गया. आरोपियों को सबक सिखाने के लिए सरकार की ओर से सख्त कार्रवाई की गई. सरकार के इस फैसले के खिलाफ जमीयत उलेमा ए हिंद संगठन ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने सवाल उठाया है. कोर्ट ने कहा कि किसी का घर सिर्फ इसलिए नहीं तोड़ा जा सकता क्योंकि वह अपराधी है. इस समय सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि अपराध साबित होने पर भी घर नहीं गिराया जा सकता.
हिंद संगठन ने सुप्रीम कोर्ट में दायर की याचिका
जमीयत उलेमा ए हिंद संगठन ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है. संगठन का आरोप है कि राज्य सरकार मनमर्जी से मकानों पर बुलडोजर चला रही है. याचिका में संगठन ने उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और राजस्थान का उदाहरण दिया है. इस संगठन का आरोप है कि इस माध्यम से अल्पसंख्यक समुदाय को निशाना बनाया जा रहा है. यह याचिका वकील फारूक रशीद ने दायर की थी.
कितना होगा सीएम योगी पर असर
योगी आदित्यनाथ ने 2017 में यूपी का मुख्यमंत्री बनने के बाद एक एक करके ऐसी कई मुहिम चलाई जिनके असर का आकलन तो अलग से किया जा सकता है, लेकिन पाया तो यही गया कि असर से ज्यादा विवाद हुए. एंटी रोमियो स्क्वॉयड, और पुलिस एनकाउंटर जिनमें एक पुलिस वाले के मुंह से ही ठांय-ठांय बोलने से लेकर गाड़ी पलटने तक के किस्से जुड़ते चले गये. जिसमें कथित अपराधियों से एनकाउंटर के दौरान उनकी टांग में गोली मार दी जाती रही, ताकि वे अपराध को अंजाम देने लायक न रहें. बुलडोजर एक्शन तो इससे भी सख्त है.
कौन सा रास्ता अपनाएंगे सीएम
सुप्रीम कोर्ट की सख्ती को देखते हुए अब नहीं लगता कि ऐसी स्थिति फिर से आने वाली है. ऐसे में योगी आदित्यनाथ को अब आरोपियों को सजा देने के लिए ऐसी ही कोई नई मुहिम शुरू करनी होगी, जो बुलडोजर बाबा की उनकी छवि को आगे न भी बढ़ा पाये, तो कम से कम बरकरार तो रख सके.
ऐसा भी हो सकता है कि ममता बनर्जी से प्रेरित होकर योगी आदित्यनाथ की तरफ से भी पश्चिम बंगाल जैसा कोई कदम उठाया जाये. जैसे पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी बलात्कार के मामलों में त्वरित न्याय के लिए एंटी रेप बिल ला रही हैं, यूपी में भी योगी आदित्यनाथ चाहें तो बुलडोजर चलाने के लिए कोई कानून तो बना ही सकते हैं.