जब रावण जलता है तो कारीगर का भी दिल जलता है, 1 महीने की मेहनत कुछ ही मिनटों में हो जाती है स्वाहा

असत्य पर सत्य की जीत यानि विजयादशमी त्योहार को यमुनानगर में धूमधाम से मनाने के लिए तैयारियां जोरों-शोरों पर हैं। श्री सनातन धर्म सभा मॉडल टाउन की तरफ से हर साल की तरह इस साल भी रावण मेघनाथ और कुंभकर्ण के पुतले तैयार करवाए जा रहे हैं

Janbhawana Times
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संबाददाता- राजीव मेहता (यमुनानगर, हरियाणा)

हरियाणा। असत्य पर सत्य की जीत यानि विजयादशमी त्योहार को यमुनानगर में धूमधाम से मनाने के लिए तैयारियां जोरों-शोरों पर हैं। श्री सनातन धर्म सभा मॉडल टाउन की तरफ से हर साल की तरह इस साल भी रावण मेघनाथ और कुंभकर्ण के पुतले तैयार करवाए जा रहे हैं।

पिछले 1 महीने से कारीगर पुतले तैयार करने में लगे हुए हैं जिनका कल दहन किया जाएगा और असत्य पर सत्य की जीत का त्योहार मनाया जाएगा। देशभर में जहां विजयादशमी के दिन रावण के पुतले का दहन किया जाएगा तो वहीं यमुनानगर में भी पुतले तैयार करवा लिए गए हैं।

जानकारी के मुताबिक पिछले 70 सालों से यमुनानगर के मॉडल टाउन की श्री सनातन धर्म सभा की ओर से दशहरा उत्सव मनाया जाता आ रहा है। शुरुआत में करीब 500 रुपए में पुतले तैयार हो जाते थे। लेकिन समय बीतने और मंहगाई बढ़ने के साथ खर्चा लाखों में बढ़ गया और इस बार पुतले बनाने पर करीब 4 लाख रुपए खर्च किए गए हैं।

कारीगर ने बताया कि उसके बुजुर्ग पाकिस्तान से आए थे और शुरुआत से उन्ही का परिवार यमुनानगर में रावण का पुतला बनाता आया है। इसमें उन्हे करीब 1 महीने का समय लगता है। कारीगर महींदर मनचंदा ने बताया कि वो पिछले 35 साल से यहां पुतला बनाते आ रहे हैं।

इसमें करीब 3 सहयोगी उनके साथ काम करते हैं। उनका कहना था कि वे पुतला बनाने में पूरी जी-जान लगाते हैं और शिद्दत के साथ पुतले तैयार करते हैं। लेकिन जब कुछ ही मिनटों में उनकी मेहनत स्वाहा हो जाती है तो दुख भी बहुत होता है लेकिन त्योहार की खुशी भी बहुत होती है।

वहीं श्री सनातन धर्म मंदिर के प्रधान ने बताया कि उनकी सभा की तरफ से शहर के दशहरा ग्राउंड में दशहरे का कार्यक्रम मनाया जाता है। जिसमें प्रशासन की तरफ से भी उन्हे सहयोग मिलता है। उन्होने बताया कि पुतला बनाने का 90 फीसदी सामान सहारनपुर से आता है और पुतले पर लाखों रुपए खर्च हो जाते हैं।

लेकिन शहरवासियों के लिए त्योहार को खास बनाने के लिए सनातन धर्म सभा किसी तरह की कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती। दशहरा का पर्व बुराई पर अच्छाई का प्रतीक है। आपको बता दें कि मंदिर की तरफ से प्रशासन की मदद भी ली जाती है।

क्योंकि हर साल यहां मेले में लोगों की संख्या बढ़ती जा रही है। कोरोना के चलते जहां 2 साल कार्यक्रम नहीं मन पाया तो इस बार यहां ज्यादा भीड़ लगने का अनुमान लगाया जा रहा है जिसके लिए मंदिर प्रशासन पूरी तैयारियों में जुटा हुआ है।

रावण के पुतला का दहन करने का शुभ समय सूर्यास्त के बाद से रात 8 बजकर 30 मिनट तक रहेगा। रावण दहन हमेशा प्रदोष काल में श्रवण नक्षत्र में ही किया जाता है। रावण दहन के बाद उसकी राख को घर लाना अति शुभ माना गया है। मान्यता है कि ऐसा करने से नकारात्मकता दूर होती है।

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04 October 2022, 01:53 PM IST

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