नई दिल्ली। देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस से अलग होकर बनी तृणमूल कांग्रेस और उसके सर्वेसर्वा पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी वैसे तो आज के एनडीए की विरोधी दलों में शुमार हैं और अधिकतर अवसरों पर विपक्षी एकता की वकालत भी करती रहती हैं लेकिन सचमुच जब बात विपक्षी दलों के एक होने की की आती है तो कई ऐन मौके पर विपक्ष की सबसे बड़ी पार्टी कांग्रेस से किनारा कर लेती हैं। वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव पर नज़र डालें तो शुरू से ही विपक्षी एकता की बात कांग्रेस समेत ममता बनर्जी भी करती आईं लेकिन प्रधानमंत्री के उम्मीदवारी या साझा विपक्ष पर जब सर्वसम्मति की बात आई तो तृणमूल कांग्रेस पीछे हटती दिखी। हाल के दिनों की बात करें तो भी ममता देश की सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी कांग्रेस के बिना विपक्षी एकता की वकालत करती दिखाई देती हैं। लेकिन राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति चुनाव में कांग्रेस को झटका दे चुकी ममता बनर्जी सोमवार को विपक्ष के साथ खड़ी दिखाई दीं। जब राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू देश की 15वी राष्ट्रपति की शपथ ले रही थी तो मल्लिकार्जुन खड़गे को उनके प्रोटोकॉल के हिसाब से सीट नही दी गई तो कांग्रेस के मीडिया महासचिव जयराम रमेश ने राज्य सभा के उपसभापति को पत्र लिखकर शिकायत दर्ज करवाई। इस पत्र पर कई विपक्षी पार्टियों ने हस्ताक्षर किया जिसमें तृणमूल कांग्रेस भी शामिल हुई। इससे पहले जब कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ईडी के समक्ष पेश हुई थी तब टीएमसी ने सरकारी एजेंसियों के दुरुपयोग के मामले में विपक्ष के साथ खड़ा होने से इंकार कर दिया था। राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति चुनाव में भी ममता बनर्जी का रुख विपक्ष से अलग ही रहा। राष्ट्रपति चुनाव में खुद यशवंत सिन्हा के नाम का जल्दबाजी में प्रस्ताव रखने के बाद जब एनडीए ने आदिवासी महिला द्रौपदी मुर्मु का नाम घोषित किया तो ममता के तेवर ढीले पड़ गये और वे शांत बैठ गईं। यहाँ तक कि यशवंत सिन्हा को पश्चिम बंगाल में प्रचार को यह कहकर टाल दिया कि आपका वोट सुरक्षित है। उपराष्ट्रपति चुनाव में भी टीएमसी ने विपक्ष का साथ देने से मना कर दिया। इसी वजह बताई कि हमसे पूछकर उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार तय नही किया गया। जबकि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने फोन करके ममता बनर्जी से चर्चा की थी और उसके अगले दिन फिर सोनिया गांधी और शरद पवार ने बात करनी चाही तो ममता बनर्जी फोन पर नही आई। संसद के गलियारों में चर्चा कि टीएमसी के मंत्री पार्थ चटर्जी की गिरफ़्तारी के बाद ममता बनर्जी को कांग्रेस की याद आई है।