कौन हैं जस्टिस संजय कुमार सिंह?, जिन्होंने रेप के आरोपी को दी जमानत, पीड़िता को ही ठहराया जिम्मेदार

यह फैसला इलाहाबाद हाईकोर्ट के ही एक अन्य जज द्वारा पारित असंवेदनशील आदेश के बाद आया है. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने उस फैसले पर रोक लगा दी और जजों को संवेदनशील होने की नसीहत भी दी. राजनेताओं समेत कई लोगों ने गुरुवार को जस्टिस संजय कुमार सिंह के आदेश पर सवाल उठाए हैं.

Yaspal Singh
Edited By: Yaspal Singh

इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज जस्टिस संजय कुमार सिंह ने बलात्कार के एक आरोपी को जमानत देते हुए कहा कि पीड़िता ने खुद मुसीबत को आमंत्रित किया. दरअसल, गौतमबुद्ध नगर की एक यूनिवर्सिटी में पढाई करने वाली MA की छात्रा ने सितंबर 2024 में रेप की शिकायत दर्ज कराई थी कि उसके साथ यौन शोषण हुआ है. हालांकि, कोर्ट में पूरे मामले की जानकारी के बाद अदालत ने कहा पीड़िता खुद इसके लिए जिम्मेदार है. हाईकोर्ट ने आरोपी जमानत दे दी.

यह फैसला इलाहाबाद हाईकोर्ट के ही एक अन्य जज द्वारा पारित असंवेदनशील आदेश के बाद आया है. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने उस फैसले पर रोक लगा दी और जजों को संवेदनशील होने की नसीहत भी दी. राजनेताओं समेत कई लोगों ने गुरुवार को जस्टिस संजय कुमार सिंह के आदेश पर सवाल उठाए हैं.

लोगों ने फैसले पर उठाए सवाल

शिवसेना (यूबीटी) सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा कि इलाहाबाद हाईकोर्ट को वास्तव में बेहतर जजों की आवश्यकता है. जस्टिस मिश्रा के असंवेदनशील फैसले के खिलाफ पहले कोई कार्रवाई नहीं की गई, हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने इस पर रोक लगा दी थी और अब हमारे पास यह है.

कौन हैं जस्टिस संजय कुमार सिंह ?

इलाहाबाद हाईकोर्ट की वेबसाइट के अनुसार, जस्टिस संजय कुमार सिंह का जन्म 21 जनवरी 1969 को उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर में हुआ था. उन्होंने 1988 में इविंग क्रिश्चियन कॉलेज, इलाहाबाद (इलाहाबाद विश्वविद्यालय) से विज्ञान में ग्रेजुएशन किया. इसके बाद 1992 में दयानंद कॉलेज ऑफ लॉ कानपुर से कानून की डिग्री प्राप्त की.

संजय कुमार सिंह ने 9 मई 1993 को उत्तर प्रदेश बार काउंसिल में अधिवक्ता के रूप में नामांकन कराया. उन्होंने इलाहाबाद हाईकोर्ट में वकालत की. उन्होंने अपने कानूनी करियर की शुरुआत अपने पिता स्वर्गीय शीतला प्रसाद सिंह के मार्गदर्शन में की. संजय कुमार सिंह ने सिविल, सेवा, शिक्षा और विविध रिट क्षेत्राधिकारों में भी मामले संभाले.

जस्टिस संजय कुमार सिंह को 22 नवंबर  2018 को इलाहाबाद हाईकोर्ट के अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया था. उन्होंने 20 नवंबर 2020 को इलाहाबाद हाईकोर्ट के स्थायी न्यायाधीश के रूप में शपथ ली.

मामला क्या है?

इससे पहले पिटीशनर की ओर से दलील दी गई थी कि महिला का यह मामला स्वीकार किया गया है कि वह वयस्क है और पीजी हॉस्टल में रहती है. वह अपनी मर्जी से अपनी महिला मित्रों और उनके पुरुष मित्रों के साथ एक रेस्टोरेंट में गई थी, जहां सभी ने मिलकर शराब पी थी. इस कारण वह बहुत नशे में हो गई थी.

पिटीशनर के वकील ने तर्क दिया कि महिला अपने दोस्तों के साथ सुबह 3 बजे तक बार में रही. चूंकि उसे सहारे की जरूरत थी, इसलिए वह खुद आवेदक के घर जाकर आराम करने के लिए तैयार हो गई. वकील ने कोर्ट में कहा कि महिला का यह आरोप कि आवेदक उसे अपने किसी रिश्तेदार के फ्लैट पर ले गया और उसके साथ दो बार बलात्कार किया, यह आरोप झूठा है और रिकॉर्ड में मौजूद साक्ष्यों के खिलाफ है.

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11 April 2025, 03:34 PM IST

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