तेजस्वी यादव को मुस्लिम समुदाय से 'इंशाअल्लाह जीत हमारी होगी' क्यों बोलना पड़ा?

वक्फ बोर्ड बिल पर लालू यादव और तेजस्वी यादव ने स्पष्ट रूप से मुस्लिम समुदाय का समर्थन किया है. जबकि अधिकांश विपक्षी दल इस मुद्दे पर केवल बयानबाजी तक सीमित हैं. आरजेडी का यह उत्साह बिहार चुनाव में कहीं नुकसान का कारण न बने.

Suraj Mishra
Edited By: Suraj Mishra

वक्फ बोर्ड संशोधन बिल पर लालू यादव और उनके बेटे तेजस्वी यादव का कदम विपक्षी दलों में एक महत्वपूर्ण चर्चा का विषय बन गया है. खासकर, पटना में मुस्लिम पर्सनल बोर्ड और अन्य मुस्लिम संगठनों के विरोध प्रदर्शन में लालू यादव और तेजस्वी यादव की मौजूदगी ने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है. दोनों नेताओं ने मंच पर उन नेताओं के साथ खड़े होकर वक्फ बिल के खिलाफ आवाज उठाई, जो इस बिल के विरोध में हैं.

प्रदर्शन में AIMIM के विधायक अख्तरुल इमान शामिल 

पटना में हुए इस विरोध प्रदर्शन में AIMIM के विधायक अख्तरुल इमान भी शामिल थे, जो मुस्लिम समुदाय के पक्ष में खड़े नजर आए. लेकिन इस प्रदर्शन में लालू और तेजस्वी यादव का विशेष रूप से ध्यान खींचने वाला कदम था. बिहार में आगामी विधानसभा चुनावों के मद्देनजर यह कदम और भी अधिक महत्वपूर्ण हो जाता है, क्योंकि इससे यह संकेत मिलता है कि लालू यादव और तेजस्वी यादव मुस्लिम समुदाय को अपने साथ जोड़ने के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं.

वक्फ बिल के विरोध में समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी अपनी नाराजगी व्यक्त की है. ममता बनर्जी ने तो यह तक कह दिया कि वह इस बिल के खिलाफ विधानसभा में प्रस्ताव पारित करेंगे. लालू यादव का मुस्लिम समुदाय के साथ खड़े होकर प्रदर्शन करना हालांकि राजनीतिक दृष्टि से एक सशक्त कदम हो सकता है, लेकिन इसका उलटा असर भी हो सकता है. यदि यह कदम बैकफायर करता है. 

बिहार में मुस्लिम वोट बैंक 

लालू यादव की पार्टी आरजेडी हमेशा से बिहार में मुस्लिम वोट बैंक पर अपना ध्यान केंद्रित करती रही है. इस बार भी उन्होंने इसी रणनीति को अपनाया है. तेजस्वी यादव ने मंच से अपने समर्थकों को आश्वस्त करते हुए कहा कि आरजेडी हमेशा मुस्लिम समाज के साथ खड़ी रही है और वक्फ बिल के खिलाफ सभी को एकजुट होकर खड़ा होना चाहिए. उन्होंने यह भी कहा कि कुछ राजनीतिक दल सत्ता के लालच में इस बिल का समर्थन कर रहे हैं, जबकि यह बिल देश को तोड़ने की साजिश है और लोकतंत्र व भाईचारे को खत्म करने की कोशिश कर रहा है.

तेजस्वी यादव ने अपने संबोधन में यह कहा कि वक्फ बिल के खिलाफ उनका संघर्ष जारी रहेगा और वे किसी भी हालत में इसे पारित नहीं होने देंगे. उन्होंने बीजेपी सरकार को तानाशाह बताया और यह भी कहा कि आरजेडी और उनके समर्थक इस बिल का हर जगह विरोध करेंगे. हालांकि, तेजस्वी यादव का यह संदेश मुस्लिम समुदाय के लिए तो स्पष्ट था, लेकिन इसका असर गैर-मुस्लिम समुदाय पर क्या होगा, यह एक बड़ा सवाल है.

राजनीतिक जोखिम

लालू यादव और तेजस्वी यादव के मुस्लिम समुदाय के साथ खड़े होने के बाद सवाल यह उठता है कि क्या वे इस कदम से गैर-मुस्लिम समुदाय की नाराजगी नहीं मोल ले रहे हैं. इस स्थिति में आरजेडी को मुस्लिम वोट बैंक तो मिल सकते हैं, लेकिन यह राजनीतिक जोखिम भी बढ़ा सकता है. खासकर जब बिहार में अन्य दलों ने भी इस मुद्दे पर विरोध जताया है.

वक्फ संशोधन बिल के खिलाफ मुस्लिम संगठनों का आरोप है कि यह बिल मस्जिदों और दरगाहों को खतरे में डाल सकता है. पहले दिल्ली के जंतर मंतर पर इस बिल के खिलाफ प्रदर्शन हुआ था और अब पटना में भी विरोध प्रदर्शन हो रहा है. बिहार विधानसभा चुनाव के संदर्भ में यह विरोध काफी महत्वपूर्ण है. 

 2019 के आम चुनाव में जीत सकता था कांग्रेस का मुस्लिम उम्मीदवार 

आरजेडी की राजनीतिक लाइन के अनुसार, लालू यादव और तेजस्वी यादव का वक्फ बिल के खिलाफ कदम सही दिशा में हो सकता है. लेकिन यह कदम कुछ बड़े राजनीतिक जोखिम भी पैदा कर सकता है. यह स्पष्ट हो चुका है कि आरजेडी को सभी मुस्लिम वोट नहीं मिल पा रहे हैं. अगर आरजेडी को पूरी मुस्लिम आबादी का समर्थन मिलता तो 2020 के बिहार चुनाव में असदुद्दीन ओवैसी के उम्मीदवार विधानसभा में नहीं पहुंचते. 2019 के आम चुनाव में कांग्रेस का मुस्लिम उम्मीदवार जीत सकता था और आरजेडी एक सीट के लिए तरस सकती थी.

यह सब दर्शाता है कि मुस्लिम वोट बैंक की राजनीति आरजेडी के लिए एक महत्वपूर्ण, लेकिन जोखिमपूर्ण रास्ता है. खासकर पटना में कांग्रेस के बड़े नेता लालू यादव की इफ्तार पार्टी से दूरी बना लेते हैं. अगले दिन दिल्ली में मीटिंग की बात करते हुए यह कहते हैं कि चुनाव में कांग्रेस और आरजेडी साथ लड़ेगी. यह भी एक संकेत है कि राजनीतिक समीकरण कितने पेचीदा हो गए हैं.

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26 March 2025, 04:30 PM IST

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