आखिर क्यों एकनाथ शिंदे का सत्ता में बने रहना है जरूरी? इन वजहों से सरकार में हुए शामिल
Maharashtra Deputy CM: महाराष्ट्र में आखिरकार महायुति की सरकार बनने जा रही है. बीजेपी के वरिष्ठ नेता आज मुख्यमंत्री पद के लिए शपथ लेने जा रहे हैं. उनके साथ एकनाथ शिंदे भी उपमुख्यमंत्री पद की जिम्मेदारी संभालने के लिए तैयार हैं. शिंदे का सरकार में शामिल रहना न केवल उनके गुट की एकता को बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि महायुति गठबंधन की सफलता के लिए भी जरूरी है.
Maharashtra Deputy CM: महाराष्ट्र की राजनीति में बड़ा मोड़ लेते हुए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता देवेंद्र फडणवीस मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने जा रहे हैं. उनके साथ, एकनाथ शिंदे उपमुख्यमंत्री पद की जिम्मेदारी संभालेंगे. हालांकि, शुरुआती रिपोर्ट्स में शिंदे के नाराज होने और सरकार से बाहर रहने की संभावना जताई जा रही थी. भाजपा के साथ कई मुद्दों पर असहमति के बावजूद, फडणवीस की पहल पर शिंदे ने महायुति सरकार में शामिल होने का फैसला किया.
राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि एकनाथ शिंदे का सत्ता में बने रहना भाजपा और शिवसेना (शिंदे गुट) के बीच स्थिरता बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण है. इसके अलावा, उनकी उपस्थिति गठबंधन की एकता और समन्वय के लिए भी आवश्यक है. आइए जानते हैं, किन कारणों से शिंदे का सत्ता में रहना अनिवार्य माना जा रहा है.
परिवारवाद का लगता आरोप
अगर एकनाथ शिंदे ने उपमुख्यमंत्री पद के लिए किसी और को चुना होता, तो पार्टी में आंतरिक विवाद बढ़ने का खतरा था. उनके बेटे श्रीकांत शिंदे इस पद के प्रमुख दावेदार थे, लेकिन शंभूराजे देसाई और उदय सामंत जैसे अन्य नेता भी चर्चा में थे. श्रीकांत को यह पद मिलने पर शिंदे पर परिवारवाद का आरोप लग सकता था, जबकि किसी अन्य नेता को यह पद देने से गुटबाजी बढ़ सकती थी. इस स्थिति में पार्टी की एकता और शिंदे का नेतृत्व कमजोर होने की संभावना थी.
नेतृत्व की पकड़ को बनाए रखना
जून 2022 में शिवसेना में बगावत के बाद एकनाथ शिंदे को निर्विवाद नेता के रूप में स्वीकार किया गया. उनके ढाई साल के मुख्यमंत्री कार्यकाल ने उनकी स्थिति और मजबूत की. यदि उपमुख्यमंत्री पद पर किसी अन्य नेता को नियुक्त किया जाता, तो एक नया शक्ति केंद्र उभर सकता था, जिससे शिंदे का प्रभाव कम हो सकता था. इससे उनका नेतृत्व अस्थिर हो सकता था और पार्टी में उनका वर्चस्व कमजोर हो सकता था.
गठबंधन की स्थिरता के लिए अहम
एकनाथ शिंदे भाजपा और शिवसेना (शिंदे गुट) के बीच समन्वय की मुख्य कड़ी हैं. उनके नेतृत्व में महायुति सरकार बिना किसी बड़े विवाद के काम करती रही है. यहां तक कि जब भाजपा ने अजित पवार के एनसीपी गुट को शामिल किया, तब भी शिंदे ने सहयोगात्मक रवैया अपनाया. उनके प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह से अच्छे संबंध हैं, जो गठबंधन की स्थिरता के लिए जरूरी है. अगर शिंदे सत्ता में किसी प्रमुख भूमिका में नहीं रहते, तो गठबंधन में दरार आ सकती है.
भाजपा के लिए रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण
एकनाथ शिंदे को सरकार में शामिल रखना भाजपा के लिए भी रणनीतिक रूप से आवश्यक है. उनकी पार्टी केंद्र में नरेंद्र मोदी सरकार का हिस्सा है. अगर शिंदे को नजरअंदाज किया गया, तो विपक्षी दल भाजपा पर अपने सहयोगियों को दबाने का आरोप लगा सकते हैं. इसके अलावा, शिंदे की नाराजगी से महाराष्ट्र में भाजपा की स्थिति कमजोर हो सकती है.