Haryana Oath Ceremony: भारत में चुनाव और सियासी दलों का तारिखों, त्यौहारों के साथ ज्योतिष के साथ गहरा नाता है. इसी कारण आपने देखा होगा कि शपथ आदि को लेकर तय होने वाली तारीखों में ज्यादातर नेता विशेष दिन और समय का चयन करते हैं. कई बार ये तिथियां अध्यात्म के लिए लिहाज से कम और राजनीति के लिहाज से ज्यादा मायने रखती है. यही कारण है कि हरियाणा में चुनाव जीतने के बाद भारतीय जनता पार्टी ने 15 अक्टूबर को होने वाली शपथ 17 अक्टूबर के लिए टाल दी. आइये जानें इस दिन क्या है और भाजपा इस दिन शपथ कराकर क्या संदेश देना चाहती है?
बता दें हरियाणा में 5 अक्टूबर को विधानसभा चुनाव के लिए मतदान कराए गए थे. इसके रिजल्ट 8 अक्टूबर को जारी हुए. इसमें भाजपा ने न सिर्फ अपने वोट शेयर बढ़ाए हैं. बल्कि, उसने अपने सीटों में भी 8 का इजाफा किया है और प्रदेश में ऐतिहासिक जीत हासिल की. अब शपथ की बारी है. फिलहाल CM के नाम का ऐलान नहीं किया गया है लेकिन तारीख पर चर्चा जारी है.
हरियाणा में भारतीय जनता पार्टी की नई सरकार का शपथ ग्रहण 17 अक्टूबर को होगा. पहले खबर थी कि शपथ ग्रहण 15 अक्टूबर को होगा, लेकिन बाद में इसे बदलकर 17 अक्टूबर कर दिया गया. इस बदलाव की वजह अब स्पष्ट हो गई है. 17 अक्टूबर को वाल्मीकि जयंती मनाई जाती है और भाजपा इस अवसर पर शपथ के जरिए दलित समाज को विशेष संदेश देना चाहती है. इस दिन प्रदेश में सार्वजनिक अवकाश घोषित है.
यह पहली बार नहीं है जब भाजपा ने महर्षि वाल्मीकि को ध्यान में रखते हुए कदम उठाए हैं. जनवरी में अयोध्या इंटरनेशनल एयरपोर्ट का नाम महर्षि वाल्मीकि के नाम पर रखा गया था. इसके अलावा, 2014 में सत्ता में आने के बाद भाजपा ने हरियाणा में संतों से जुड़े कई कार्यक्रम शुरू किए. खट्टर सरकार ने 2015 में एक यूनिवर्सिटी का नाम महर्षि वाल्मीकि के नाम पर रखा और 2016 से हरियाणा में वाल्मीकि जयंती को सार्वजनिक रूप से मनाया जा रहा है.
भाजपा ने केवल वाल्मीकि ही नहीं, बल्कि अन्य संतों को भी महत्व दिया है. जून 2022 में मुख्यमंत्री खट्टर ने अपने सरकारी आवास का नाम 'संत कबीर कुटीर' रखा था. साथ ही, सरकार ने संत-महापुरुष विचार सम्मान और प्रसार योजना भी शुरू की, जिसमें सरकारी कार्यक्रमों में धार्मिक नामों को प्राथमिकता दी गई.
लोकसभा चुनाव में भाजपा का प्रदर्शन हरियाणा में उम्मीद के मुताबिक नहीं रहा था, क्योंकि पार्टी केवल पांच सीटें ही जीत पाई थी. अब विधानसभा चुनाव में भाजपा ने शानदार वापसी की और लगातार तीसरी बार सरकार बनाने जा रही है. जाटलैंड में पार्टी की मजबूत पकड़ और दलित-ओबीसी वोटों का समर्थन इस जीत का मुख्य कारण रहा.