गेम चेंजर साबित होगी लड़की बहिन योजना? महाराष्ट्र की महिलाओं का जीता दिल, विरोधियों की चाल नाकाम

Ladki Bahini Yojana: महाराष्ट्र में महिलाओं के लिए शुरू की गई "लड़की बहिन" योजना ने राज्य भर में महिलाओं के बीच लोकप्रियता हासिल कर ली है. विपक्ष ने इसे राजनीतिक चाल बताते हुए इसकी आलोचना की और राज्य की वित्तीय स्थिति पर सवाल उठाए. बावजूद इसके, महिलाओं ने इस योजना को बड़े पैमाने पर अपनाया है, जिससे यह सरकार के लिए एक महत्वपूर्ण राजनीतिक कदम साबित हो सकती है.

Shivani Mishra
Shivani Mishra

Ladki Bahini Yojana: महाराष्ट्र में महिलाओं के लिए शुरू की गई "लड़की बहिन" योजना ने राज्य भर में लोकप्रियता हासिल कर ली है, विशेषकर महिलाओं के बीच. इस योजना के तहत पात्र महिलाओं को प्रति माह ₹1,500 का भुगतान किया जाता है. इस वर्ष के बजट में वित्त मंत्री इसे अजीत पवार ने घोषित किया था. अगस्त 2024 से अब तक 15 मिलियन से अधिक महिलाएं इस योजना में पंजीकरण करा चुकी हैं और उन्हें उनके खातों में धनराशि प्राप्त हो रही है.  

हालांकि, योजना की बढ़ती लोकप्रियता के साथ-साथ इसे विरोधियों के तीखे हमलों का सामना करना पड़ा है. विपक्ष ने इसे राजनीतिक चाल बताते हुए इसकी आलोचना की और राज्य की वित्तीय स्थिति पर सवाल उठाए. बावजूद इसके, महिलाओं ने इस योजना को बड़े पैमाने पर अपनाया है, जिससे यह सरकार के लिए एक महत्वपूर्ण राजनीतिक कदम साबित हो सकती है.

विपक्ष के आरोप और योजना की लोकप्रियता  

विपक्ष ने इस योजना की शुरुआत के बाद से ही इस डर से कि योजना की लोकप्रियता से आगामी चुनावों में सत्तारूढ़ गठबंधन को फायदा हो सकता है, इसकी भारी आलोचना शुरू कर दी. उन्होंने सरकार पर इसे चुनावी चाल बताने के साथ-साथ राज्य की वित्तीय स्थिति को लेकर चिंता जताई. लेकिन महिलाओं ने इन आलोचनाओं को नजरअंदाज करते हुए योजना के लिए भारी संख्या में पंजीकरण जारी रखा. जैसे ही योजना में विश्वास स्पष्ट हुआ, आलोचकों ने राज्य की वित्तीय स्थिरता के बारे में चिंता जताई और सरकार पर योजना को निधि देने के लिए हर हफ्ते ऋण लेने का आरोप लगाया.

वित्तीय स्थिरता पर जवाब  

वित्त मंत्री अजीत पवार ने विपक्ष के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि इस योजना के लिए बजट में ₹46,000 करोड़ अलग रखे गए हैं. उन्होंने स्पष्ट किया कि राज्य की वित्तीय स्थिरता पर इसका कोई असर नहीं होगा. सरकार की ओर से आश्वासन मिलने के बावजूद, विपक्ष ने राज्य के ठेकेदारों को भुगतान न किए जाने और राज्य के विकास पर असर पड़ने की अफवाहें फैलाईं, लेकिन ये हमले योजना की लोकप्रियता को कम करने में असफल रहे.  

नैतिक तर्क और विरोध  

जैसे-जैसे योजना सफल होती गई, विपक्ष ने इसे "वोट खरीदने" का तरीका बताकर नैतिक आधार पर भी निशाना साधा. सोशल मीडिया पर वीडियो प्रसारित किए गए जिसमें महिलाओं को पैसे के बदले सस्ता एलपीजी सिलेंडर मांगते हुए दिखाया गया. फिर भी, महिलाओं ने इन आलोचनाओं को नजरअंदाज किया और सरकार पर अपना भरोसा कायम रखा.  

पंजीकरण प्रक्रिया में बाधाएं  

विपक्ष ने तकनीकी बाधाओं का सहारा लेकर योजना की छवि खराब करने की कोशिश की. पंजीकरण प्रक्रिया में जानबूझकर गलत डेटा अपलोड किया गया ताकि महिलाओं को लाभ प्राप्त करने में समस्याएं हो. विधानसभा में इस मुद्दे को उठाते हुए बीजेपी विधायक राम कदम ने योजना को धीमा करने के लिए जंक डेटा अपलोड किए जाने का आरोप लगाया. सरकार ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए ऑफलाइन आवेदन प्रक्रिया शुरू की ताकि महिलाएं योजना से वंचित न हों.  

चुनावी माहौल और आगे की रणनीति  

चुनावों के नजदीक आते ही विपक्ष ने फर्जी खबरें फैलानी शुरू कर दीं, जिसमें पंजीकृत महिलाओं के लिए ₹5,500 बोनस देने का दावा किया गया, जबकि सरकार ने ऐसी कोई घोषणा नहीं की थी. चुनाव आचार संहिता के चलते योजना अस्थायी रूप से रुकी हुई थी, लेकिन मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने स्पष्ट किया कि चुनाव के बाद यह फिर से जारी होगी.  

महिलाओं का समर्थन और सरकारी आश्वासन  

सरकार ने योजना की सफलता को बनाए रखने के लिए अग्रिम भुगतान की व्यवस्था की, ताकि चुनावी अवधि में भी महिलाएं लाभ प्राप्त कर सकें. महिला एवं बाल विकास मंत्री अदिति तटकरे ने आश्वासन दिया कि "लड़की बहिन" योजना पर कोई रोक नहीं लगेगी और महिलाओं को मिलने वाला लाभ चुनाव के बाद भी जारी रहेगा.

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22 October 2024, 06:39 PM IST

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