उद्योगपति मुकेश अंबानी की कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज ने गैस कीमत निर्धारण की समीक्षा के लिये सरकार की तरफ से गठित समिति से कहा है कि दरों पर कृत्रिम रूप से अंकुश लगाने का कोई भी कदम प्रतिगामी होगा। इससे राजकोषीय नीति के मोर्चे पर अस्थिरता बढ़ने के साथ निवेश में देरी होगी और ईंधन उत्पादन में आत्मनिर्भर बनने के देश के प्रयास को झटका लगेगा। पूर्ववर्ती योजना आयोग के सदस्य रहे किरीट पारेख की अध्यक्षता वाली समिति के समक्ष अपने प्रतिवेदन में कंपनी ने कहा है कि केजी डी-6 में शुरू होने के करीब पहुंचे क्षेत्र में ईंधन भंडार समुद्री क्षेत्र की गहराई में स्थित है और इसे प्राप्त करने के लिये अरबों डॉलर का निवेश किया गया है।
उसने प्रतिवेदन में इस बारे में विस्तार से बताया कि विभिन्न कीमतों के तहत क्षेत्र के अर्थशास्त्र पर किस प्रकार का असर पड़ेगा। मामले से जुड़े सूत्रों ने बताया कि रिलायंस इंडस्ट्रीज के अनुसार कीमत सीमा के जरिये बीच में बदलाव न केवल नीतियों के जरिये सरकार की तरफ से कीमत निर्धारण और विपणन को लेकर दी गयी स्वतंत्रता का उल्लंघन होगा, बल्कि यह राजकोषीय व्यवस्था के लिये भी अनिश्चितता उत्पन्न करेगा, जिसका असर निवेश पर पड़ेगा।
सरकार अधिशेष गैस वाले देशों में मूल्यों के आधार पर साल में दो बार गैस के दाम निर्धारित करती है। इस फॉर्मूले के अनुसार दरें अक्टूबर, 2015 से छह साल 3 से 3.5 डॉलर प्रति 10 लाख ब्रिटिश थर्मल यूनिट (एमएमबीटीयू) रही। लेकिन पिछले एक साल में पुराने क्षेत्रों से उत्पादित गैस की कीमत पांच गुना बढ़कर 8.57 डॉलर प्रति इकाई, जबकि कठिन माने जाने वाले क्षेत्रों में 12.46 डॉलर प्रति इकाई पहुंच गयी हैं। First Updated : Wednesday, 05 October 2022