टाटा, हुंडई सरीखी नामी कार निर्माता कंपनियां सीएनजी कारों की अच्छी बिक्री देखते हुए इनके नए-नए मॉडल्स भारतीय बाजार में उतार रही हैं। इस बीच सरकार ने भी सीएनजी के दामों में थोड़ी गिरावट जरूर की है, जिससे सीएनजी कारों के मार्केट को और बूम मिलने की उम्मीद है। ग्राहकों के नजरिए से देखें तो सीएनजी वाहन कई तरह से पेट्रोल और डीजल वाहनों से बेहतर और फायदेमंद हैं, हालांकि सीएनजी कारों के कुछ नुकसान भी हैं। यदि आप भी नई सीएनजी कार लेने का मन बना रहे हैं तो उसकी बुकिंग या खरीदारी से पहले कुछ महत्वपूर्ण बातों काे जान लेना चाहिए। ताकि आप अपनी आवश्यकता के अनुसार कार ले पाएं और खरीदने के बाद आपको पछताना न पड़े।
सबसे पहले जानते हैं, सीएनजी कारों से मिलने वाले फायदों के बारे में। सीएनजी कार न केवल आपकी पॉकेट के लिए मुफीद है, बल्कि पर्यावरण के लिए भी बेहतर है।
कंप्रेस्ड नेचुरल गैस यानी सीएनजी पर चलने वाले वाहनों में पेट्रोल-डीजल कारों की तुलना में अधिक माइलेज मिलता है। कई सीएनजी कार तो 26 किलोमीटर प्रति किलो तक का एवरेज दे रही हैं। वहीं, पेट्रोल-डीजल की तुलना में सीएनजी की रेट काफी कम है। ऐसे में सीएनजी वाहन चालक की जेब कम ढीली होती है और उसे डबल फायदा मिल जाता है। यदि आप कार से लंबी-लंबी दूरी की रनिंग करते हैं या आपकी मासिक ट्रेवलिंग 5 हजार किलोमीटर से अधिक है तो आप फ्यूल पर काफी पैसे बचा सकते हैं।
कम प्रदूषण फैलाने के कारण सीएनजी ईंधन से चलने वाली कारें पेट्राेल-डीजल की कारों की तुलना में अधिक इकोफ्रेंडली मानी जाती हैं। ऐसे में पर्यावरण, मनुष्य और जीव-जंतुओं को कम से कम नुकसान पहुंचता है। सीएनजी कारों का यह भी फायदा है कि इन्हें प्रदूषण मानकों के मामले में सख्त दिल्ली-एनसीआर आदि क्षेत्रों में भी आसानी से ले जाया सकता है। वहीं, सरकार द्वारा समय-समय पर जो उत्सर्जन मानक जारी किए जाते हैं, उनमें कई डीजल-पेट्रोल मॉडल आउटडेटेड हो जाते हैं। हाल ही में जारी बीएस6 फेज 2 के उत्सर्जन मानकों में सीएनजी फ्यूल आधारित वाहनों को छूट दी गई है। सरकार ने बीएस6 के पेट्रोल-डीजल वाहनों में सीएनजी रेट्रो फिटमेंट की मंजूरी दी है।
सीएनजी एक स्वच्छ ईंधन है। यदि सीएनजी वाहन की सार-संभाल और संचालन सही तरह से किया जाए तो इसके रखरखाव का खर्च डीजल वाहनों की तुलना में काफी कम पड़ता है और पेट्रोल वाहनों से थोड़ा ही अधिक पड़ता है। ऐसे में मेंटीनेंस को लेकर भी सीएनजी व्हीकल बेहतर हैं।
सीएनजी वाहनों में इस्तेमाल होने वाले इंजनों की खासियत है कि इन्हें पेट्रोल से चलाया जा सकता है और यही कारण है कि कंपनियां कारों में दोनों तरह की फ्यूल टैंक कैपेसिटी दे रही है। इसका फायदा यह है कि आपके पास एक ईंधन का विकल्प हमेशा रहता है और आपको ईंधन खत्म होने की वजह से रुकने की जरूरत नहीं होती। यदि आप सीएनजी और पेट्रोल टैंक फुल कराकर सफर पर निकले हैं तो लंबी दूरी तक आपको फ्यूल की जरूरत ही नहीं पड़ेगी। इसके अलावा फैक्ट्री फिटेड सीएनजी किट वाली कारों में अधिकांश कंपनियां सीएनजी से पेट्रोल और पेट्रोल से सीएनजी मोड में ऑटोमेटिक स्विच करने की सुविधा दे रही हैं। वहीं बाहर से सीएनजी किट लगवाने वालों को यह काम मैनुअल करना होता है।
यह तो थे सीएनजी कारों के फायदे, लेकिन अब इन कारों के कुछ नुकसान के बारे में भी जान लीजिए
देश में आए दिन नए सीएनजी पंप खुल रहे हैं, लेकिन इनकी संख्या सीएनजी वाहनों की बिक्री के अनुपात में काफी कम है। वहीं कुछ शहर ऐसे हैं जहां सीएनजी पंप बहुतायत में हैं, लेकिन छोटे कस्बों और गांवों में अभी भी सीएनजी पंप इक्का-दुक्का ही हैं या नहीं के बराबर हैं। ऐसे में इन स्थानों के लिए सीएनजी अधिक बेहतर ऑप्शन नहीं। सीएनजी फ्यूल की सप्लाई, मांग की तुलना में कम होने के कारण कई बार सीएनजी पंपों पर वाहनों की लंबी कतार लग जाती है और कस्टमर को घंटाें तक इंतजार करना पड़ता है।
वाहनों को सीएनजी गैस से चलाने के लिए फैक्ट्री में कार के इंजन में सीएनजी फिटमेंट लगाते हैं, जिसकी अतिरिक्त कॉस्ट के कारण यह पेट्रोल के समान मॉडल से 60 हजार से 80 हजार रुपये महंगी पड़ती है।
अधिकतर सीएनजी फिटेड वाहनों में सामान रखने की समस्या आती है, क्योंकि इनमें बूट स्पेस काफी कम होता है। यदि हैचबैक-एसयूवी श्रेणी की सीएनजी कार की बात करें तो इसमें केवल एक ही व्यक्ति के छोटे बैग्स आ सकते हैं, वहीं सिडान कैटेगिरी में जरूरी थोड़ा बूट स्पेस मिलता है, लेकिन पांच सवारियों के सामान के लिहाज से यह भी नाकाफी होता है। हालांकि टाटा समेत कई कंपनियां अब 60 लीटर के सिंगल सीएनजी सिलेंडर की जगह 30-30 लीटर के डबल सिलेंडर का उपयोग कर रही हैं, जिससे बूट स्पेस में बढ़ोतरी हुई है, लेकिन साथ ही यह भी सवााल खड़ा हुआ है कि ऐसे मॉडल्स में स्टेपनी को रखने की कोई गुंजाइश रहेगी या नहीं।
गैस फ्यूल बेस्ड होने के कारण सीएनजी कारों में गैस लीकेज का खतरा काफी रहता है। लीकेज की स्थिति में किसी भी शॉर्ट सर्किट से कार में आग लगने का डर रहता है। यही कारण है कि गैस फिलिंग कराते समय सीएनजी पंप पर कारों का इग्निशन बंद करा दिया जाता है और सवारियों को उतरकर थोड़ी दूर खड़े होने के लिए कहा जाता है।
सीएनजी कारें पॉवर, पिकअप और टॉप स्पीड में पेट्रोल-डीजल के वाहनों से कमजोर रहती हैं। सामान्यत: सीएनजी कारें पेट़्रोल के लिए बने बेसिक कंबशन इंजन पर ही चलाई जाती हैं। इनमें सीएनजी एक अल्टरनेटिव फ्यूल के रूप में काम करती है। ऐसे में कई बार ओवरटेक करते समय या स्टार्ट कराते समय सीएनजी कारों में आपको दमखम की कमी नजर आ सकती है। First Updated : Monday, 01 May 2023