Apple iPhone Big PLI Scheme: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू की गई प्रोडक्शन-लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) स्कीम का मुख्य उद्देश्य भारत में इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देना और विदेशी निवेश आकर्षित करना है। इस स्कीम के तहत, सरकार ने 410 अरब रुपये की सब्सिडी देने का वादा किया था। हालांकि, कुछ कंपनियां निर्धारित प्रोडक्शन टारगेट तक नहीं पहुँच पाईं, जिससे कुछ फंड बच गए हैं। अब, इस खाली फंड को लेकर Apple iPhone बनाने वाली प्रमुख कंपनियां फॉक्सकॉन और डिक्सन टेक्नोलॉजीज ने भारत सरकार से अपनी सब्सिडी की मांग की है।
भारत में iPhone बनाने वाली कंपनी फॉक्सकॉन ने वित्तीय वर्ष 2022-23 में लगभग 300 अरब रुपये के iPhones का उत्पादन किया, जो सरकार के तय किए गए टारगेट 200 अरब रुपये से कहीं ज्यादा था। वहीं, डिक्सन टेक्नोलॉजीज ने 2023-24 में 80 अरब रुपये के स्मार्टफोन बनाए, जबकि उसका टारगेट था 60 अरब रुपये। इन कंपनियों का कहना है कि उनके बेहतरीन प्रदर्शन को देखते हुए वे बाकी बचे फंड के लिए पूरी तरह से योग्य हैं।
अब सवाल ये है कि इन दोनों कंपनियों को कितनी सब्सिडी मिल सकती है? अगर सरकार इन कंपनियों की रिक्वेस्ट को मंजूरी देती है तो फॉक्सकॉन को 6 अरब रुपये और डिक्सन को 1 अरब रुपये की सब्सिडी मिल सकती है। हालांकि, इस मामले पर अभी तक फॉक्सकॉन, डिक्सन और मंत्रालय की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है।
डिक्सन के मामले में एक दिलचस्प पहलू यह है कि सरकार ये भी जांच रही है कि डिक्सन ने शाओमी के स्मार्टफोन प्रोडक्शन के लिए नया निवेश किया है या फिर केवल पुराने प्लांट की मशीनों को ही शिफ्ट किया है। शाओमी की बाजार हिस्सेदारी में गिरावट के चलते इस मामले पर और अधिक विचार किया जा रहा है।
भारत सरकार ने PLI स्कीम के तहत प्रोडक्शन के लिए ग्लोबल और लोकल कंपनियों के लिए वैल्यू-बेस्ड लिमिट तय की है। इसके तहत, अगर कोई कंपनी तय प्रोडक्शन टारगेट को पूरा नहीं कर पाती तो उसकी बची हुई सब्सिडी उन कंपनियों में बांटी जा सकती है, जो निर्धारित लक्ष्य से ज्यादा उत्पादन करती हैं।
फॉक्सकॉन और डिक्सन टेक्नोलॉजीज जैसी कंपनियों ने चीन से बाहर आकर भारत में आईफोन का निर्माण शुरू किया है, जिसके लिए उन्होंने 14 अरब डॉलर यानी करीब 1.2 लाख करोड़ रुपये का निवेश किया है। इन कंपनियों का मानना है कि PLI स्कीम का फायदा मिलने से भारतीय मैन्युफैक्चरिंग उद्योग और अधिक मजबूत होगा और वे भारतीय बाजार के साथ-साथ ग्लोबल मार्केट में भी प्रतिस्पर्धा करने में सक्षम होंगे।
अंत में, यह कहना गलत नहीं होगा कि यदि इन कंपनियों को सरकार की सब्सिडी मिलती है, तो यह ना केवल इन कंपनियों के लिए बल्कि भारत के इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग उद्योग के लिए भी एक बड़ी जीत साबित हो सकती है। First Updated : Wednesday, 08 January 2025