स्पेसएक्स की मदद से लॉन्च हुआ GSAT-20, डिजिटल इंडिया अभियान को मिलेगा बूस्ट
स्पेसएक्स की मदद से इसरो ने एक नए संचार उपग्रह, जीसैट-एन2 (GSAT-N2) का सफल प्रक्षेपण किया है, जो भारत के डिजिटल और संचार क्षेत्र के विकास के लिए मील का पत्थर साबित होगा. इस उपग्रह को अंतरिक्ष में भेजने का उद्देश्य भारत की संचार प्रणाली को और अधिक मजबूत करना है.
एलन मस्क की कंपनी स्पेसएक्स ने भारत के उन्नत संचार उपग्रह, GSAT-20 (GSAT N-2), को सफलतापूर्वक अंतरिक्ष में प्रक्षेपित किया है. यह प्रक्षेपण अमेरिका के फ्लोरिडा स्थित केप कैनावेरल स्पेस कॉम्प्लेक्स से हुआ. GSAT-20 उपग्रह का मुख्य उद्देश्य भारत के दूर-दराज क्षेत्रों में ब्रॉडबैंड सेवाएं प्रदान करना और विमानों में उड़ान के दौरान इंटरनेट की सुविधा उपलब्ध कराना है.
क्यों खास है GSAT-20 उपग्रह?
GSAT-20 उपग्रह भारत का अब तक का सबसे परिष्कृत संचार उपग्रह है. इसकी विशेषता यह है कि यह उपग्रह 32 उपयोगकर्ता बीम से लैस है, जिसमें पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिए आठ संकीर्ण बीम और शेष भारत के लिए 24 विस्तृत बीम शामिल हैं. इन बीम की मदद से भारत के सुदूर इलाकों में भी उच्च गुणवत्ता की इंटरनेट सेवाएं पहुंचाई जा सकेंगी.
इसके अलावा, GSAT-20 की एक महत्वपूर्ण विशेषता यह है कि यह इन-फ्लाइट इंटरनेट कनेक्टिविटी को भी सक्षम बनाएगा. यानी हवाई यात्रा के दौरान यात्री इंटरनेट का उपयोग कर सकेंगे, जो कि भारत के लिए एक बड़ी उपलब्धि है.
स्पेसएक्स की मदद क्यों ली गई?
GSAT-20 उपग्रह का वजन 4700 किलोग्राम है, जो भारत के मौजूदा रॉकेट की भार वहन क्षमता से अधिक है. भारत का लॉन्च व्हीकल मार्क-3 (LVM-3), जिसे 'बाहुबली' भी कहा जाता है, अधिकतम 4000 से 4100 किलोग्राम तक का ही भार अंतरिक्ष में ले जा सकता है. ऐसे में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने एलन मस्क की कंपनी स्पेसएक्स की सहायता ली. स्पेसएक्स का फाल्कन 9 रॉकेट अधिक भार वहन करने में सक्षम है, इसलिए यह प्रक्षेपण स्पेसएक्स के जरिए किया गया.
एरियनस्पेस पर निर्भरता से स्पेसएक्स तक का सफर
भारत अब तक अपने भारी उपग्रहों को प्रक्षेपित करने के लिए यूरोप की एरियनस्पेस कंपनी पर निर्भर था, लेकिन एरियनस्पेस के पास वर्तमान में कोई भी चालू रॉकेट उपलब्ध नहीं है. इसके अलावा, रूस और यूक्रेन के बीच संघर्ष के कारण रूस के वाणिज्यिक प्रक्षेपण सेवाओं का भी विकल्प सीमित हो गया है. चीन के रॉकेट भारत के लिए उपयुक्त नहीं हैं, इसलिए इसरो के पास एकमात्र विश्वसनीय विकल्प स्पेसएक्स ही था.
GSAT-20 के प्रक्षेपण के लाभ
GSAT-20 के सफल प्रक्षेपण से भारत की डिजिटल कनेक्टिविटी को मजबूती मिलेगी. यह उपग्रह ग्रामीण और दुर्गम क्षेत्रों में इंटरनेट की पहुंच सुनिश्चित करेगा, जिससे डिजिटल इंडिया अभियान को भी बढ़ावा मिलेगा. इसके साथ ही, आपदा प्रबंधन, सरकारी सेवाएं, और अन्य संचार सेवाओं में भी सुधार होगा.
इस प्रक्षेपण से भारत के संचार नेटवर्क को एक नया आयाम मिलेगा और अंतरिक्ष क्षेत्र में भारत की ताकत बढ़ेगी.